शनिवार, 5 मई 2018

तकनीक प्रणाली से तैयार होगा आपदा डेटाबेस

एनडीएमए की कार्यशाला में शुरू हुआ मंथन
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
भारत ने संयुक्त राष्‍ट्र आपदा न्‍यूनीकरण की अंतर्राष्‍ट्रीय रणनीति के तहत राष्ट्रीय स्तर पर आपदा डेटाबेस विकसित करने के लिए तकनीकी प्रणाली पर मंथन शुरू कर दिया है।
गृहमंत्रालय के अधीन राष्‍ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण डेटाबेस तैयार करने के मकसद से यहां नई दिल्ली में ‘आपदा सूचना तथा क्षति पर डेटा प्रबंधन प्रणाली’ विषय पर एक दो दिवसीय राष्‍ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई, जिसके तकनीकी सत्र की अध्‍यक्षता एनडीएमए के सदस्य सेवा निवृत्त लेफ्टिनेंट जर्नल एन.सी. मारवाह ने की। इस कार्यशाला में यूनीसेफ, संयुक्त राष्‍ट्र विकास कार्यक्रम, संयुक्त राष्‍ट्र आपदा न्‍यूनीकरण के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय रणनीति (यूएनआईएसडीआर) समेत अन्य हितधारकों के बीच मंथन शुरू हुआ। इस सत्र में ऐसे डेटाबेस बनाने, व्‍यवस्थित करने तथा उपयोग करने की चुनौतियों के अलावा वैश्विक अनुभव और सर्वोत्तम अभ्‍यासों पर भी चर्चा हुई। इस कार्यशाला में भारत का राष्‍ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) राष्‍ट्रीय और राज्य स्तर पर आपदा डेटाबेस विकसित करने की तकनीक प्रणाली को विकसित करने का प्रयास है। कार्यशाला में विभिन्न हित धारकों के बीच सर्वसम्‍मति से डेटा संग्रह, अद्यतन और सत्‍यापन के लिए ऐसी मानक प्रणाली विकसित करने पर विचार विमर्श किया गया, जैसा डेटाबेस, सेंडई फ्रेमवर्क के लक्ष्‍यों को प्राप्त करने की दिशा में हुई प्रगति में सहायता प्रदान करेगा। एनडीएमए के सदस्य आरके जैन ने कहा कि राष्‍ट्रीय आपदा प्रबंधन सूचना प्रणाली विकसित करने के दिशा में यह पहला कदम है, जिसमें राहत और पुनर्वास, नीति हस्‍तक्षेप, योजना तथा अनुसंधान के बारे में एक तकनीकी प्रणाली की जानकारी उपलब्ध हो सकेगी। उन्होंने कहा कि एक बार तैयार होने के बाद यह डेटाबेस वास्‍तविक समय में असंगत डेटा प्रदान करने में सक्षम होगा, जिसमें साक्ष्य तैयार करने और विशलेषण करने में मदद मिलेगी।
आपदा के प्रभाव समझने पर बल
कार्यशाला में संयुक्त राष्‍ट्र के स्‍थानीय समन्वयक यूरी अफांसीव ने भारत जैसे विशाल देश में आपदाओं के प्रभावों को समझने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि प्रस्‍तावित डेटाबेस को विभिन्न विकास कार्य योजनाओं और लक्ष्‍यों से जोड़े जाने की आवश्‍यकता है ताकि नीति निर्माता विश्‍वसनीय सूचना प्राप्त कर सकें, इसका विशलेषण कर सके और निर्णय लेने के लिए निष्‍कर्ष तक पहुंच सकें। ‘राष्‍ट्रीय तथा राज्य स्तर पर आपदा के रूप में एक घटना को डीआरआर डेटाबेस में दर्ज करना’ विषय पर आधारित सत्र में डेटा संग्रह, डेटा स्रोत तथा डेटा के संचालन और रख रखाव आदि मुद्दों पर भी चर्चा हुई। कार्यशाला में एनडीएमए के अधिकारी, संबंधित मंत्रालयों तथा विभागों के प्रतिनिधि, राज्य सरकारें, संयुक्त राष्‍ट्र की एजेंसियां, प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्‍थान, आपदा प्रबंधन संस्‍थान व विश्‍वविद्यालय इस कार्यशाला में हिस्सेदारी कर रहे है।
03May-2018

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