बुधवार, 9 मई 2018

कृषि अपशिष्ट व कचरे से पैदा होगी बिजली!



पर्यावरण संरक्षण सरकार का प्रमुख लक्ष्य: सिंह
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
पर्यावारण संरक्षण की दिशा में केंद्र सरकार बिजली के उत्पादन को प्राथमिकता दे रही है। केंद्र सरकार की इसी दृष्टिकोण से कृषि अपशिष्ट और ठोस कचरे से ऊर्जा उत्पादन करने योजना हैं, जिसमें आने वाली चुनौतियों से निपटने के प्रयास किये जा रहे हैं।
यह बात मंगलवार को यहां कृषि अपशिष्ट और ठोस कचरे से ऊर्जा का उत्पादन करने के विषय पर एनटीपीसी के शुरू हुए दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय विद्युत और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने कही है। 
उन्होंने कहा कि पर्यावरण के स्तर पर स्वस्थ और स्वच्छता केंद्र सरकार की दीर्घकालीक उद्देश्य का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसलिए पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए ऊर्जा का उत्पादन को इस प्रकार बढ़ाना है कि स्वच्छ भारत में इसकी हिस्सेदारी हो सके। केंद्रीय मंत्री सिंह ने कहा कि सरकार का मकसद ऐसी नीतियां तैयार करना है जिससे कि स्वच्छ भारत के उद्देश्य को पूरा किया जा सके। उन्होंने कहा कि कृषि अपशिष्ट और नगरों से निकलने वाले ठोस कचरे से ऊर्जा पैदा की जा सकती है, लेकिन इसके लिए पर्यावरण के मद्देनजर आने वाली कुछ चुनौतियों से निपटने की जरूरत होगी।
एनटीपीसी ने की शुरूआत
सम्मेलन में विद्युत मंत्रालय के सचिव ए.के. भल्ला ने कहा कि एनटीपीसी देश की महत्वपूर्ण कंपनी है और स्वच्छ पर्यावरण के लिए नवाचार को प्रतिबद्धता के साथ अपना कार्य कर रही हैं। उन्होंने कहा कि एनटीपीसी ने कृषि अपशिष्ट और ठोस कचरे से बिजली उत्पादन करने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसके लिए एनटीपीसी ने वायु प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य के तहत कृषि अपशिष्टों को खरीदने के लिए निविदा आमंत्रित की है। उन्होंने जानकारी दी कि कंपनी को लगभग 200 मीट्रिक टन कृषि अपशिष्ट प्राप्त हो रहा है। उससे एनटीपीसी की दादरी इकाई में ईंधन का उत्पादन किया जा रहा है। इससे प्रतिवर्ष 150 एमयू नवीकरणीय विद्युत का उत्पादन होगा।
09May-2018
 


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