31 मई तक उद्घाटन
नहीं होता, तो एक जून से खोले एक्सप्रेस-वे: सुप्रीम कोर्ट
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
भले ही
सुप्रीम कोर्ट ने एनएचएआई को निर्देश दिया है कि 31 मई तक उद्घाटन नहीं होता तो एक
जून से इस्टर्न पैरीफेरल एक्सप्रेस-वे को आवागमन के लिए खोला जाए। लेकिन इससे पहले
ही केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यातायात के बोझ को कम करने वाले इस्टर्न
पैरीफेरल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन करने के लिए 26 मई की तारीख तय कर चुकी है,
जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे।
दरअसल
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बढ़ती यातायात और वायु प्रदूषण की समस्या को लेकर
केंद्र सरकार की इस्टर्न पैरीफेरल एक्सप्रेस-वे और वेस्टर्न पैरीफेरल एक्सप्रेस-वे
यानि ‘गोल्डन नेकलस’ की परियोजना को मोदी सरकार ने तेजी से आगे बढ़ाना शुरू किया,
जबकि वेस्टर्न पैरीफेरल एक्सप्रेस-वे कुंडली (सोनीपत) से वाया मानेसर पलवल तक पहले
से ही शुरू है, जिसे दिल्ली के चारो ओर एक रिंग रोड के रूप में जोडने के लिए
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 नवंबर 2015 को पलवल से कुंडली तक 135 किमी लंबे इस्टर्न
पैरीफेरल एक्सप्रेस-वे की आधारशिला रखी थी। इसके निर्माण में आई बाधाओं के बावजूद इसका
90 फीसदी से ज्यादा निर्माण कार्य अप्रैल में ही पूरा कर लिया गया है। केंद्रीय
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने अप्रैल में इसे आवागमन के लिए
खोलने का भी दावा किया था, जिसका 15 अप्रैल को उद्घाटन करने के लिए एनएचएआई ने
तैयारियां भी कर ली थी। इसके बाद 29 अप्रैल को उद्घाटन करने की खबरे आई, लेकिन
कर्नाटक चुनाव में पीएम मोदी की व्यवस्ता के कारण सरकार ने इसे मोदी सरकार के चार
साल पूरे होने पर खोलने का निर्णय लिया और मंत्रालय के अनुसार 26 मई को
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस्टर्न पैरीफेरल एक्सप्रेस-वे को आवागमन के लिए जनता
को समर्पित करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया यह आदेश
केंद्र
सरकार की देश के पहले ग्रीन एक्सप्रेस-वे के रूप में इस्टर्न पैरीफेरल एक्सप्रेस-वे
को आवागमन के लिए खोलने की सभी तैयारियों के बीच गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ईस्टर्न
पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य पूरा होने के बावजूद इसे आवागमन के लिए न
खोले जाने के प्रति नाराजगी जाहिर की और एनएचएआई को स्प्ष्ट निर्देश जारी किये कि
इसका उद्घाटन 31 मई तक हो या न हो, इसे एक जून से आवागमन के लिए खोल दिया जाए।
कोर्ट ने टिप्पणी की है कि इसे आवागमन के लिए खोलने में किसी भी तरह की देरी दिल्ली
की जनता के हित में नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई के दौरान जस्टिस
मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने की। सुप्रीम कोर्ट
ने यहां तक टिप्पणी की है कि मेघालय हाईकोर्ट बिना औपचारिक उद्घाटन के 5 साल से काम
कर रहा है, तो फिर ईस्टर्न कॉरिडोर क्यों चालू नहीं किया जा सकता।
आबाद होंगे 98 गांव
उद्घाटन
की इंतजार में 135 किमी लंबे ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे यानि ईपीई के दायरे में
हरियाणा के 32 गांव के दिन फिरने वाले हैं, जिसमें सोनीपत जिले के आठ व फरीदाबाद-पलवल
जिले के 24 गांव शामिल हैं। जबकि उत्तर प्रदेश के 66 गांव इस एक्सप्रेस-वे के दायरे
में शामिल हैं, जिनमें बागपत जिले के 12, गाजियाबाद जिले के 16 तथा गौतमबुद्धनगर के
39 गांव शामिल हैं।
दिल्ली को होगा फायदा
ईस्टर्न पेरिफेरल
एक्सप्रेस-वे के शुरू हो जाने से भारी वाहन दिल्ली में प्रवेश नहीं कर पाएंगे। इससे
दिल्ली के वातावरण में वायु प्रदूषण में बेहद कमी आना तय है, वहीं याताया का बोझ
भी कम होगा। उम्मीद की जा रही है कि इस एक्सप्रेस-वे के चालू होने से 40 फीसदी भारी वाहन घटने से दिल्ली में प्रदूषण
की समस्या बहुत हद तक कम होगी। खास बात है कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान,
हिमाचल और गुजरात से आने वाले व्यवसायिक व निजी वाहन एक्सप्रेस वे से दिल्ली में
प्रवेश किये बिना बाहर से बाहर ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे से होते हुए गंतव्य तक
जा सकेंगे।
11May-2018
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें