सड़क
सुरक्षा उपायों से पिछले आठ साल में स्थिरता का रहा उतार चढ़ाव
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
दुनिया
के तमाम देशों के मुकाबले सबसे ज्यादा हादसों के लिए जाने जा रहे भारत में सड़क
दुर्घटनाओं और उनमें मरने वालों पर लगाम लगाना एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। हालांकि
केंद्र सरकार का दावा है कि सड़क सुरक्षा के लिए उठाए गये कदमों से पिछले आठ साल
के मुकाबले सड़क हादसों में कमी आई है। सरकार को उम्मीद है कि इस साल सितंबर से
लागू हुए नए मोटर कानून के बाद देश में सड़क हादसों में कमी आएगी।
केंद्रीय
सड़क
परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट ‘भारत में सड़क दुर्घटनाएं- 2018’ पर गौर की जाए तो वर्ष 2017 के मुकाबले
सड़क हादसों में वर्ष 2018 के दौरान 0.46
फीसदी इजाफा हुआ है और इन हादसों में अपनी जान गंवाने वालों की संख्या भी
2.37 फीसदी बढ़ी है। इस रिपोर्ट के
मुताबिक वर्ष 2017 में 4.64 लाख 910 के मुकाबले वर्ष 2018 के दौरान 4.67 लाख 044 सड़क दुर्घटनाएं हुईं।
जबकि 2017 में सड़क हादसों में अपनी जान गंवाने वाले 1.47 लाख 913 की तुलना में वर्ष 2018 में 1.51 लाख 471 लोगों की असामयिक मौत
हुई है। सड़क हादसों में घायलों की संख्या जहां वर्ष 2017 में 4.70 लाख 975 थी वहीं उसकी तुलना में 2018 में 0.33 प्रतिशत कम होकर 4.69 लाख 418 रह गई है।
ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा हालत खराब
मंत्रालय की इस रिपोर्ट पर गौर की जाए तो वर्ष 2018 में देश
में हुए 4.67 लाख 044 सड़क हादसों में ग्रामीण
क्षेत्रो में 2.76 लाख 88 दुर्घटनाओं में एक लाख 38 लोगों की जान गई तो वहीं शहरी
क्षेत्रों में 1.90 लाख 956 सड़क हादसे हुए जिनमें 51,379 लोग मारे गये हैं।
घायलों की संख्या भी शहरी क्षेत्रों में 1.76 लाख 785 के मुकाबले ग्रामीण
क्षेत्रों में 2.92 लाख 633 लोग शारीरिक रूप से नुकसान करा चुके हैं।
छत्तीसगढ़
में कम नहीं हुए हादसे
मंत्रालय की इस ताजा रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ राज्य में
जहां वर्ष 2017 में हुए 13,563 सड़क हादसों में 4136 लोगों का असामयिक जान गंवानी
पड़ी थी, वहीं वर्ष 2018 में राज्य की सड़कों पर हुए हादसों में 4592 लोगों की मौत हुई है यानि 11
फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
मध्य प्रदेश में हादसों में आई कमी
मध्य प्रदेश में हादसों में कमी, मौतों की संख्या बढ़ी
रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश ऐसा राज्य है जिसमें वर्ष
2017 के मुकाबले वर्ष 2018 में सर्वाधिक 2002 यानि 3.7 फीसदी सड़क हादसों में कमी
दर्ज की गई है। मसलन वर्ष 2017 में राज्य में 53,399 सड़क दुर्घटनाएं हुई थी,
जिसके मुकाबले वर्ष 2018 में 51,397 हादसे हुए हैं। इसके बावजूद वर्ष 2018 के दौरान
हुए हादसों में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या में 529 यानि 5.2 फीसदी का इजाफा
हुआ है। वर्ष 2017 में इन असामयिक मौतों 10,177 के मुकाबले वर्ष 2018 के दौरान
10,706 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।
हरियाणा
में सड़क हादसों व मौतों पर अंकुश
मंत्रालय
के मुताबिक हरियाणा राज्य की सड़कों पर वर्ष 2017 के दौरान हुए 11,258 के मुकाबले
वर्ष 2018 में 11,238 दुर्घटनाएं हुई। हादसों में 0.2 फीसदी मामूली कमी के साथ
वर्ष 2018 में हुई 5118 मौतें हुई, जिनकी वर्ष 2017 में 5120 संख्या थी।
दिल्ली
में भी कम हुए हादसे
राष्ट्रीय
राजधानी दिल्ली में वर्ष 2017 में जहां 6673 सड़क दुर्घटनाएं हुई थी, उसके मुकाबले
वर्ष 2018 में 6515 हादसों के साथ 2.4 फीसदी की कमी दर्ज की गई। वर्ष 2018 में
सड़क हादसों में 1690 लोगों की मौत हुई, जो वर्ष 2017 के दौरान 1584 यानि दिल्ली
में वर्ष 2018 के दौरान 6.7 फीसदी लोगों ने अपनी जान गंवाई है।
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आठ साल के मुकाबले कमी
देश में सड़क दुर्घटनाओं को लेकर सड़क सुरक्षा के उपाय करने
का दावा कर रहे मंत्रालय की माने तो वर्ष 2010 तक दुर्घटनाओं, मौतों और घायलों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि
देखी गई है, जिसके बाद साल दर साल मामूली उतार-चढ़ाव के साथ इन
आंकड़ों में कुछ हद तक स्थिरता आई है। मसलन वर्ष 2010-2018 के बीच आठ सालों में दुर्घटनाओं के साथ दुर्घटनाओं की वार्षिक वृद्धि दर में भारी गिरावट दर्ज
की गई है, जो ऑटोमोबाइल के विकास की अधिक दर के बावजूद पिछले दशकों की तुलना में
कम थी। राष्ट्रीय राजमार्ग, जिसमें कुल सड़क
नेटवर्क का 1.94 प्रतिशत शामिल
है, कुल सड़क दुर्घटनाओं के
30.2 प्रतिशत और 2018 में 35.7 प्रतिशत मौतों का कारण है। राज्य के राजमार्गों में सड़क की
लंबाई का 2.97 प्रतिशत हिस्सा
25.2 प्रतिशत दुर्घटनाओं और
26.8 प्रतिशत मृत्यु का कारण
है। अन्य सड़कें, जो कुल सड़कों का
लगभग 95.1 प्रतिशत हैं, क्रमशः 45 प्रतिशत दुर्घटनाओं और 38 प्रतिशत मौतों के लिए
जिम्मेदार थीं।
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53 फीसदी पैदल, साइकिल व दुपहिया सवारों की मौत
रिपोर्ट के अनुसार वर्ष सड़क का उपयोग
करने वाले जो सड़क हादसों में मौत के मुहं में समा गये हैं उनमें 15 फीसद पैदल चलने वाले, 2.4 फीसदी साइकिल सवार और दुपहिया वाहन सवारों की संख्या 36.5 प्रतिशत है। यानि 53.9 फीसदी इसी श्रेणी के लोग असुरक्षित माने गये हैं। 2018 के दौरान पिछले दो वर्षों की तरह ही 18 से 45 वर्ष के युवा वयस्क
लगभग 69.6 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाओं
के शिकार बने। कुल सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में 18 वर्ष से 60 वर्ष आयुवर्ग के कामकाजी आयु समूह की हिस्सेदारी 84.7 प्रतिशत थी। जबकि 2018 में हिट एंड रन के मामलों में 18.9 प्रतिशत मौतें हुई थीं, जो 2017 में यह 17.5 प्रतिशत थी। 2018 में लगभग 56 प्रतिशत व्यक्तियों की मौत आमने-सामने टक्कर और उसके बाद पीछे
से लगी टक्कर के कारण हुई। इस श्रेणी में 2018 में मारे गए व्यक्तियों
के संदर्भ में अधिकतम वृद्धि दर्ज की गई थी।
20Nov-2019
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