इसी आधार पर तय की जाएगी नागरिकता की पहचान
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्रीय
गृहमंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी में विपक्ष की धर्म के
आधार पर भेदभाव की आशंका को एक सिरे से खारिज किया है। वहीं उन्होंने ऐलान किया कि
एनआरसी को पूरे देश में लागू की जाएगी और इससे किसी को डरने की जरुरत नहीं है।
एनआरसी को लागू करने का मकसद इसके आधार पर नागरिकता की पहचान सुनिश्चित करना है।
राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान एनआरसी के बारे में सांसद
सैयद नासिर हुसैन के सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि केंद्र
सरकार एनआरसी को पूरे देश में लागू करेगी और इससे किसी धर्म विशेष के लोगों को को
डरने की जरुरत नहीं है। उन्होंने विपक्ष द्वारा एनआरसी में धर्म विशेष के साथ
भेदभाव की आशंका और एनआरसी मुद्दे पर लगाए जा रहे आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि एनआरसी के आधार
पर नागरिकता की पहचान सुनिश्चित की जाएगी। एनआरसी
केवल यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे देश के सभी
नागरिक एनआरसी लिस्ट में शामिल हो सकें। उन्होंने सदन में सभी दलों को
स्पष्ट किया कि एनआरसी में धर्म विशेष के आधार पर भेदभाव नहीं होगा
और न ही इसमें ऐसा कोई प्रावधान है जिसके आधार पर यह कहा जाए
कि अमुख धर्म के लोगों को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा। उन्होंने
कहा कि सभी नागरिक भले ही उनका धर्म कुछ भी हो, एनआरसी सूची में शामिल हो सकते हैं।
एनआरसी और नागरिकता कानून में अंतर
उच्च सदन में कांग्रेस सांसद नासिर हुसैन के सवाल के साथ
विपक्ष द्वारा फैलाए जा रहे भ्रम को भी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दूर करते
हुए कहा कि एनआरसी और नागरिकता (संशोधन) विधेयक अलग-अलग प्रक्रिया है, जिसे एक साथ
नहीं रखा जा सकता। सांसद नासिर हुसैन ने शाह द्वारा कोलकाता में दिये गये एक बयान
का हवाला देते हुए सवाल उठाया कि उन्होंने एनआरसी में गैर मुस्लिम धर्मो के
आप्रवासियों की नागरिकता की बात कही थी। इस आशंका को दूर करते हुए कहा कि एनआरसी
प्रक्रिया में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। ऐसा प्रावधान नागरिकता (संशोधन) विधेयक में किया गया है। उन्होंने कहा इस विधेयक के जरिए
उन 'हिंदू, बुद्ध, सिख, जैन, ईसाई,
पारसी
शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है जो पडोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान
में धर्म के आधार पर भेदभाव का शिकार होकर भारत में शरण लिये हुए हैं। इसका
मकसद धर्म के आधार पर भेदभाव के कारण इन शरणार्थियों
को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है।
क्या थे कांग्रेस सांसद के सवाल
राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस सांसद सैयद नासिर
हुसैन ने गृहमंत्री से पहला सवाल पूछा गया कि क्या राष्ट्रीय नागरिक
रजिस्टर छह गैर मुस्लिम धर्मो के आप्रवासियों को नागरिकता प्रदान करता है?
यदि ऐसा है तो ऐसा विधान किन आधारों पर बनाया गया है। एक सवाल में पूछा गया कि
क्या सरकार ने इस विधान के संबन्ध में उपायों का प्रस्ताव किया है ताकि एनआरसी को
उसके ऐसे वास्तविक भाव, जिसके अंतर्गत जाति, पंथ, रंग या धर्म से निरपेक्ष रहते
हुए सभी अवैध आप्रवासियों का पता लगाना है के अनुरूप बनाया जा सके? इनके जवाब में
गृहमंत्री अमित शाह ने एनआरसी और नागरिकता कानून में अंतर को लेकर विपक्ष को हो
रहे सभी भ्रमों और आशंकाओं को दूर कर दिया है।
21Nov-2019
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