सोमवार, 25 नवंबर 2019

अब कांग्रेस का अध्यक्ष नहीं होगा जलियांवाला बाग स्मारक का ट्रस्टी


जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक संशोधन विधेयक पर संसद की मुहर
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन दोपहर से पहले भले ही जेएनयू और जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को लेकर विपक्ष के हंगामी विरोध के कारण शून्यकाल और प्रश्नकाल न चल पाया हो। लेकिन उसके बाद उच्च सदन की सुचारू रूप से चली कार्यवाही के दौरान राज्यसभा ने चर्चा के बाद जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक को पारित कर दिया, जो लोकसभा पहले ही पारित कर चुकी है।
राज्यसभा में मंगलवार को भोजनावकाश के बाद शुरू हुई कार्यवाही के दौरान पहले भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (संशोधन) विधेयक-1987 को सर्वसम्मिति से वापस लिया गया और उसके बाद सदन में लंबित जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक पर चर्चा कराई गई। चर्चा के बाद इस विधेयक को पारित कर दिया गया। इस विधेयक में किये गये संशोधन के प्रावधानों के अनुसार जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक के न्यासी (ट्रस्टी) के रूप में कांग्रेस अध्यक्ष को हटाए जाने की बात कही गई थी, जिसे राज्यसभा से मंजूरी मिल गई है। विधेयक पारित होने के बाद न्यासी के रूप में अब कांग्रेस के अध्यक्ष को हटाकर लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष को न्यासी बनाया जाएगा। गौरतलब है कि यह विधेयक लोकसभा में पिछले सत्र के दौरान पारित कर दिया गया था। संशोधन विधेयक के मसौदा कानून में ऐसा प्रावधान था कि अगर विपक्ष का कोई नेता नहीं है तो ऐसे में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी के नेता को ट्रस्टी बनाया जाएगा। गत 12 अप्रैल 1919 में अमृतसर में निहत्थे लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस नरसंहार के इस वर्ष 100 साल पूरे होने के बाद यह कदम उठाया गया था। विधेयक के प्रावधान के अनुसार वर्तमान में न्यास के अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। इसके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष, केंद्रीय संस्कृति मंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के साथ ही पंजाब के मुख्यमंत्री और राज्यपाल इसमें बतौर न्यासी शामिल हैं।
राज्यसभा में पेश हुआ सरोगेसी (विनियमन) विधेयक
उच्च सदन में जलियांवाला बाग स्मारक संबन्धी विधेयक के बाद लोकसभा से पारित होने के बाद से राज्यसभा में लंबित पड़े सरोगेसी (विनियमन) विधेयक को चर्चा के लिए पेश किया गया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्ष वर्धन के प्रस्ताव पर इस विधेयक पर सदन में चर्चा शुरू हो चुकी है, जो समाचार लिखे जाने तक जारी थी। इस विधेयक में सरोगेसी व्यवहार ओर प्रक्रिया के लिए राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड और राज्य सरोगेसी बोर्डो का गठन करने के साथ समुचित प्राधिकारियों की नियुक्ति से संबन्धित प्रावधान किये गये हैं।
जेएनयू व जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर हंगामा  
इससे पहले मंगलवार को उच्च सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सभापति एम. वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेजों को सदन के पटल पर रखवाया। इसके बाद जैसे ही शून्यकाल शुरू करने का ऐलान किया गया तो वाम, कांग्रेस और अन्य दलों के सदस्यों ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि का विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर कल हुई पुलिस की कथित कार्रवाई के अलावा गत पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के बाद से वहां लगातार जारी पाबंदियों का मुद्दा उठाने का प्रयास किया। इस पर नायडू ने कहा कि उन्हें सदस्यों के पास से तीन कार्य स्थगन नोटिस मिले हैं लेकिन उन्होंने वे तीनों नोटिस स्वीकार नहीं किये। यह सुनकर विपक्षी दलों के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। वहीं विपक्षी दलों के कुछ सदस्यों ने मार्शल के ड्रेस कोड में किये गये गये बदलाव पर भी आपत्ति जाहिर की। विपक्षी दलों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही को दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
नोबेल पुरस्कार पर अभिजीत बनर्जी को बधाई
राज्यसभा ने मंगलवार को अर्थशास्त्र के क्षेत्र में प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार के लिए चुने जाने पर बधाई दी गई। सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति वेंकैया नायडू ने अभिजीत बनर्जी की इस उपलब्धि का जिक्र करते हुए कहा कि वैश्विक स्तर पर गरीबी उन्मूलन के लिए नवोन्मेषी प्रयासों की खातिर बनर्जी, एस्थर डुफ्लो और मिशेल क्रेमर को अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है। नायडू ने कहा कि बनर्जी का इस सम्मान के लिए चुना जाना भारत के लिए बहुत ही गर्व की बात है।
20Nov-2019

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