सोमवार, 25 नवंबर 2019

संसद का शीतकालीन सत्र में हंगामे के आसार!


सरकार के खिलाफ कई मुद्दो पर लामबंद विपक्ष
विपक्ष को माकूल जवाब देने को तैयार सरकार
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।  
सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र से पहले बुलाई गई सर्वदलीय बैठकों में केई मुद्दों पर विपक्षी दलों तेवरों से ऐसे आसार बने हुए हैं कि संसद सत्र की शुरूआत हंगामेदार होगी। भले ही सरकार ने विपक्ष के हरेक मुद्दे पर चर्चा कराने का भरोसा दे दिया हो। हालांकि मोदी सरकार भी विपक्षी दलों को माकूल जवाब देने की ठोस रणनीति के साथ संसद में आएगी।
संसद के कल सोमवार से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने के लिए केंद्र सरकार के अलावा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने अपने अपने सदन के सर्वदलीय नेताओं के साथ विभिन्न मुद्दो पर चर्चा की है। इसके बावजूद पिछले दिनों कांग्रेस की अगुवाई में एक दर्जन से ज्यादा सियासी दलों ने मोदी सरकार को संसद में आर्थिक मंदी, किसानों की समस्या और बेरोजगारी जैसे मुद्दों जैसे अनेके मुद्दों पर एकजुट होकर घेराबंदी करने की रणनीति और उसके बाद सर्वदलीय बैठक में उनके तेवरों से जाहिर है कि विपक्ष संसद में मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ाने का प्रयास करेगा। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने संकेत दिये हैं कि देश को अस्थिरता के मोड़ पर ले जा रही सरकार को संसद में एक-एक मुद्दे पर तमाम विपक्षी दल एकसाथ घेराबंदी करने की रणनीति तय कर चुके हैं। उधर केंद्र सरकार और भाजपा भी अपने-अपने स्तर पर विपक्षी दलों को मुकाबला करने की रणनीति के साथ सदन में आएंगे। भाजपा के एक वरिष्ठ सांसद का कहना है कि जिस प्रकार से पिछले संसद सत्र में सरकार ने विपक्ष के सामने असंभव लग रहे महत्वपूर्ण विधेयकों को अंजाम तक पहुंचाया है उसी प्रकार की रणनीति से संसद के अंदर विपक्ष बेदम नजर आएगा।
नागरिक संशोधन विधेयक पर आक्रमक विपक्ष
मोदी सरकार सोमवार से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में अपने एजेंडे में नागरिकता (संशोधन) विधेयक को पारित कराने के इरादे से पेश करने का ऐलान कर चुकी है, लेकिन इस विधेयक को लेकर कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष आक्रमक तेवरों के साथ विरोध करने का ऐलान कर चुके हैं। यह विधेयक भाजपानीत राजग सरकार के एजेंडे में शामिल है। ऐसे में इस विधेयक पर विपक्षी दलों के विरोध का सरकार किस रणनिति से सामना करेगी, इसके लिए भाजपा और सहयोगी दलों के सांसदों को राजग की बैठक में रणनीति से अवगत करा दिया गया है। दरअसल यह विधेयक पहली बार सरकार ने 19 जुलाई 2016 को पेश किया, जिसे संसदीय समिति को भेज दिया गया था। समिति ने इसी साल जनवरी में अपनी रिपोर्ट दी है, जिसे पिछले सत्र में भी एजेंडा का हिस्सा बनाया गया था, लेकिन इस के दौरान मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर पर लागू अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने, तीन तलाक जैसे महत्वपूर्ण बिल पास करा लिये थे और इस बिल को पेश नहीं किया जा सका था। इसलिए इस सत्र में सरकार के लिए यह विधेयक प्राथमिकता पर होगा। नागरिकता संशोधन विधेयक में प्रावधान है कि इच्छुक गैर मुस्लिम बांग्लादेशी, पाकिस्तानी और अफगानिस्तानी भारतीय नागरिकता पा सकेंगे।
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नागरिकता विधेयक होगी सरकार की प्राथमिकता!                         
47 विधेयकों समेत भारी कामकाज के साथ संसद में आएगी मोदी सरकार
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
मोदी सरकार के सामने संसद के शीतकालीन सत्र में नागरिकता (संशोधन) विधेयक को पारित कराने की प्राथमिकता होगी। सोमवार से शुरू हो रहे सत्र की बीस बैठकों के लिए मोदी सरकार भारी भरकम कामकाज के साथ आ रही है, जिसमें दो अध्यादेशों और पिछले सत्र में लंबित रहे महत्वपूर्ण विधेयकों को भी पारित कराने का प्रयास किया जाएगा, जबकि नागरिकता (संशोधन) विधेयक को लेकर विपक्ष के तेवर आक्रमक हैं।
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्रालय के अनुसार कल सोमवार 18 नवंबर से 13 दिसंबर तक चलने वाले संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान बीस बैठकों का आयोजन होगा। मंत्रालय के अनुसार सरकार इस सत्र में 47 विधेयकों के साथ पिछले सत्र से ज्यादा कामकाज करने के इरादे से सदन में आएगी, जिनमें चर्चा के लिए 27 नए विधेयक भी शामिल हैं। इनके अलावा दो अध्यादेशों को विधेयक के रूप में पारित कराने की भी सरकार के सामने चुनौती होगी। इनमें इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट (उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री, वितरण, भंडारण और विज्ञापन) निषेध अध्यादेश और विधि कराधान (संशोधन) अध्यादेश-2019 शामिल हैं। सरकार के पास पिछले सत्र के दौरान राज्यसभा से पारित दो विधेयक लोकसभा में लंबित है। जबकि 10 विधेयक ऐसे हैं जो लोकसभा में पारित हो चुके हैं उन्हें राज्यसभा में लंबित होने के कारण पारित कराना है।
लंबित विधेयकों पास कराने की चुनौती                
लोकसभा में लंबित विधेयकों राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान (संशोधन) विधेयक, चिट फंड (संशोधन) विधेयक के आलवा राज्यसभा में लंबित सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद (संशोधन) विधेयक, बांध सुरक्षा विधेयक, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक, संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, और संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (दूसरा संशोधन) विधेयक शामिल हैं।
महत्वपूर्ण नए विधेयकों पर नजर
दो अध्यादेशों के स्थान पर विधेयकों को पास कराने के अलावा महत्वपूर्ण नए विधेयकों में नागरिकता (संशोधन) विधेयक, कीटनाशक प्रबंधन विधेयक, दिवाला और शोधन अक्षमता (दूसरा) संशोधन विधेयक, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण विधेयक, गर्भपात (संशोधन) विधेयक, व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, विमान (संशोधन) विधेयक, शस्त्र अधिनियम (संशोधन) विधेयक, समुद्री डकैती निरोधक विधेयक, राष्ट्रीय पुलिस विश्वविद्यालय विधेयक, आपदा प्रबंधन (पहला संशोधन) विधेयक, राष्ट्रीय नदी गंगा (कायाकल्प, संरक्षण और प्रबंधन) विधेयक,    किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन विधेयक, औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक, जहाजों का पुनर्चक्रण विधेयक, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक शामिल हैं। विधायी विषयों के अलावा 2019-20 के लिए अनुदानों की अनुपूरक मांगों के पहले बैच से संबंधित 1 वित्तीय विषय पर चर्चा और सत्र के दौरान पारित कराने का प्रयास रहेगा।
राज्य सभा से लौटाए जाने वाले विधेयक
शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा से लौटाए जाने वाले विधेयकों में भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) विधेयक, भारतीय औषध और होम्योपैथी फार्मेसी विधेयक, कीटनाशक प्रबंधन विधेयक,  स्वास्थ्य विधेयक (2011 के लिए राष्ट्रीय मानव संसाधन आयोग), भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) विधेयक, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण विधेयक तथा जम्मू और कश्मीर आरक्षण (दूसरा संशोधन) विधेयक शामिल रहेंगे।
18Nov-2019
 


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