शुक्रवार, 8 नवंबर 2019

संसदीय समिति करेगी श्रम कोड की जांच



लोकसभा में पेश किया गया था विधेयक
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश के श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में संसद के पिछले सत्र में पेश किये गये उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता विधेयक की जांच संसद की स्थायी समित द्वारा की जाएगी, जिसके लिए समिति ने सुझाव मांगे हैं।
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय क अनुसार यह विधेयक गत 23 जुलाई को लोकसभा में पेश किया गया था, लेकिन विपक्ष की मांग पर इसे संबन्धित संसदीय स्थायी समिति को भेजने का फैसला किया गया। संसद सत्र के बाद बीजद सांसद भर्तृहरि महताब की अध्यक्षता में पुनर्गठित विभागीय संबन्धित श्रम समिति की संसदीय स्थायी समिति को इस विधेयक को जांच के लिए सौंप दिया है। समिति ने इस विधेयक में किये गये प्रावधानों के बारे में विशेषज्ञों, हितधारकों, संस्थानों, श्रम संगठनों एवं आम लोगों के सुझाव मांगे हैं। ताकि इस विधेयक की जांच करके समिति अपनी रिपोर्ट संसद में पेश कर सके।
मंत्रालय के अनुसार इस विधेयक में श्रमिकों की सामाजिक, व्यववायिक, स्वास्थ्य और जोखम जैसे मामलों में सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करने के प्रावधान शामिल किये गये हैं। इसमें ठेका श्रमिकों और अन्तरराज्यिक प्रवासी कर्मकारों, बीड़ी तथा सिगार कर्मकारों के साथ ही महिलाओं के रोजगार के संबंध में विशेष उपबंध किये गये हैं। वहीं श्रमिकों के हितों में मजदूरी सहित काम के घंटे और वार्षिक छुट्टी जैसे पहलुओं का भी ध्यान रखा गया है। इस विधेयक के उद्देश्यों और कारणों में सरकार ने केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने कहा है कि द्वितीय राष्ट्रीय श्रम आयोग (आयोग) की जून 2002 को कर्मकारों की उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशाओं पर प्रस्तुत रिपोर्ट की सिफारिशों के अनुसरण में एक संहिता के रूप में एक केन्द्रीय विधान अर्थात उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता- 2019 अधिनियमित करना आवश्यक है, जिसमें कारखानें, खान, डाक कर्मकार, भवन और अन्य संनिर्माण कर्मकार, बागान श्रम, ठेका श्रम, अंतरराज्यिक प्रवासी कर्मकार, श्रमजीवी पत्रकार और अन्य समाचारपत्र कर्मचारी, मोटर परिवहन कर्मकार, विक्रय संवर्धन कर्मचारी, बीड़ी तथा सिगार कर्मकार, सिनेमा कर्मकार और सिनेमा थिएटर कर्मकारों से संबंधित तेरह अधिनियमितियों की आवश्यक विशेषताओं को सम्मिलित किया गया है और जो संबंधित अधिनियमितियों को निरसित करने के लिए है। इसमें लचीलेपन के साथ कार्य की उपयुक्त और मानवोचित दशाओं को सुनिश्चित करने और उभरती हुई प्रौद्योगिकियों के अनुकूल नियम और विनियम बनाने हेतु सामर्थ्यकारी उपबंधों को उपबंधित करने के लिए व्यापक विधायी ढांचे का उपबंध शामिल है।
08Nov-2019

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