जम्मू-कश्मीर में हालात बिल्कुल सामान्य:
केंद्र
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
राज्यसभा
की कार्यवाही भले ही बुधवार को सुचारू रूप से चली हो, लेकिन प्रश्नकाल के दौरान
विपक्ष खासकर कांग्रेस द्वारा जम्मू-कश्मीर से हटाई गये अनुच्छेद 370 के बाद
जम्मू-कश्मीर के हालातों पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा। इस पर केंद्रीय गृहमंत्री
अमित शाह ने जवाब देते हुए दावा किया कि जम्मू-कश्मीर में तेजी के साथ हालात
सामान्य हुए हैं और इंटरनेट सेवा को भी जल्द ही बहाल कर दिया जाएगा। इस दौरान
सरकार के दावों वाली रिपोर्ट पर नेता प्रतिपक्ष एवं कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद
की टिप्पणी करने पर गृहमंत्री अमित शाह ने आजाद को चैलेंज किया, जिसके कारण सदन
में पक्ष व विपक्ष में तीखी बहस नजर आई।
दरअसल
राज्यसभा में बुधवार को प्रश्नकाल के दौरान गृहमंत्रालय से संबन्धित सवालों के
जवाब गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी दे रहे थे, लेकिन विपक्ष की मांग पर
जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर कांग्रेस के डा. टी. सुब्बारामी रेड्डी द्वारा किये गये
सवाल का जवाब खुद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने विस्तार से देना शुरू किया। इसके
बाद कांग्रेस के गुलामनबी आजाद ने गृहमंत्री शाह द्वारा कश्मीर में हालातों के
सामान्य होने का दावा करने पर टिप्पणी की है और अमित शाह के इस बयान के बीच जब आजाद ने अमित शाह
को टोका तो उन्होंने कहा कि अगर गुलाम नबी आजाद इन आंकड़ों को चैलेंज करते हैं तो वह जिम्मेदारी
के साथ कह सकते हैं कि सारी जिम्मेदारी मेरी है। आप रिकॉर्ड पर कहिए कि ये आंकड़ा गलत है, तो इस मसले
पर वह घंटों की चर्चा के लिए भी तैयार हैं। शाह ने
दावा किया कि जम्मू-कश्मीर में
के हालात एकदम सामान्य हैं। कांग्रेस नेता आजाद ने इतिहास का हवाला दिया तो अमित शाह ने
कहा कि वह नहीं चाहते थे कि अतीत में जाएं, लेकिन वो घसीट कर वहां पर ही ले गए। इस पर सदन में हंगामे के साथ पक्ष और विपक्ष
में तीखी झड़पे भी हुई।
जल्द शुरू होगी इंटरनेट सेवाएं
कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने जम्मू-कश्मीर में शिक्षा और स्वास्थ्य के सवाल पर उन्होंने कहा कि
5 अगस्त के बाद से स्कूल-कॉलेजों
में छात्रों की उपस्थिति बेहद कम है। इंटरनेट नहीं चल रहा है और इससे बच्चों की पढ़ाई
बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। इसके जवाब में शाह ने कहा कि हम भी
माननीय सदस्य की चिंता से सहमत हैं कि कश्मीर में इंटरनेट जल्द से जल्द पूरी तरह से
बहाल हो। हालांकि उन्होंने कहा कि 1995-96 में देश में मोबाइल
फोन आया, लेकिन कश्मीर में इसकी शुरुआत
2003 में ही हो सकी। सिर्फ सुरक्षा
सुनिश्चित करने के लिए इंटरनेट बंद है। उन्होंने इंटरनेट सेवाओं के बारे में कहा कि पाकिस्तान की ओर से सीमा पार से होनेवाली आतंकी घटनाओं और सुरक्षा कारणों से
इंटरनेट पर पाबंदी है और जब भी स्थिति अनुकूल होगी इंटरनेट सुविधा
फिर से बहाल कर दी जाएगी।
हालांकि इसके
लिए स्थानीय प्रशासन को फैसला लेना है।
एक भी
नागरिक की जान नहीं गई
गृह मंत्री ने कश्मीर में हालात बिल्कुल सामान्य
बताते हुए राकांपा के सांसद माजिद मेमन के सवाल पर सदन में विस्तृत आंकड़ों
के साथ दावा किया कि कश्मीर में जनजीवन पूरी तरह पटरी पर है। वहां सभी स्कूल, अस्पताल, अदालत से लेकर सारे सरकारी दफ्तर सुचारू रूप से काम कर रहे हैं।
गृह मंत्री ने कहा कि इसी सदन में कहा गया था कि विशेष राज्य का दर्जा छिनने के बाद
जम्मू-कश्मीर में खून की नदियां बहेंगी,
लेकिन
आज हम कह
सकते हें कि 5 अगस्त के बाद से
अब तक पुलिस फायरिंग में वहां एक भी नागरिक की जान न हीं गई है। गृह मंत्री ने कहा
जहां तक बात इंटरनेट सर्विस की है तो वक्त आने पर यह बहाल हो जाएगी, फिलहाल आवश्यक कार्यों के लिए 10 जिलों में टर्मिनल्स काम कर रहे हैं।
अस्पताल भी खुले, दवाइयों की पर्याप्त आपूर्ति
उच्च सदन में मेमन से पहले कांग्रेस सांसद गुलाम
नबी आजाद और पीडीपी सांसद नजीर अहमद लवाय ने भी जम्मू-कश्मीर में शिक्षा और स्वास्थ्य
की स्थिति पर सवाल किए। लवाय ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में दवाइयों की कमी है। उन्होंने
सवाल किया कि क्या सरकार इसकी पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने का भरोसा दिलाएगी? इस पर गृह मंत्री ने कहा कि प्रदेश में दवाइयों
की कोई कमी नहीं है और वहां सभी अस्पताल एवं स्वास्थ्य केंद्र खुले हैं। गृह मंत्री
ने श्रीनगर शहर समेत कश्मीर के अन्य शहरों में आंकड़ों के साथ अपने जवाब दिये और विश्वास
दिलाया कि शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई होगी।
21Nov-2019
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