
अनिश्चित कालीन स्थगित हुआ
शीतकालीन सत्र
संसद में
कई महत्वपूर्ण विधेयक पर अटकी सरकार
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद के
शीतकालीन सत्र में लोकसभा और राज्यसभा की बैठकें अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो गई
है। शीतकालीन सत्र में विपक्ष के विरोध के कारण बने गतिरोध के बीच केंद्र सरकार
राज्यसभा में तीन तलाक को अवैध करार देने वाले महत्वपूर्ण ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार
संरक्षण विधेयक’ को अंजाम तक नहीं पहुंचा सकी। इसके अलावा ओबीसी, मोटर वाहन व
जीएसटी संशोधन विधेयक भी अधर में लटके रह गये हैं।
संसद के
शीतकालीन की 15 दिसंबर को हुई शुरूआत से ही सरकार और विपक्ष खासकर कांग्रेस के बीच
गतिरोध बना रहा। संसद सत्र के दौरान 13 दिन की बैठकों में गतिरोध के बावजूद लोकसभा
में 13 और राज्यसभा में नौ विधेयक पारित किये गये, लेकिन महत्वपूर्ण विधेयकों में
सरकार विपक्ष के विरोध के सामने आगे नहीं बढ़ सकी। कांग्रेस के समर्थन के साथ
लोकसभा में पारित हुए तीन तलाक विधेयक पर राज्यसभा में कांग्रेस पैंतरा बदलती नजर
आई और कांग्रेस समेत 17 विपक्षी दल विधेयक में खामियों को दूर करने के लिए
शुक्रवार अंतिम दिन तक भी इसे प्रवर समिति को भेजने की मांग पर अडिग रहे और अंतिम
दिन भी सरकार और विपक्ष में सहमति नहीं बन सकी। जिसके कारण तीन तलाक विधेयक तो
राज्यसभा में अटक ही गया है, वहीं इसे आगे बढ़ाने के प्रयास में सरकार जीएसटी
संशोधन विधेयक और नए मोटरवाहन विधेयक जैसे कई महत्वपूर्ण विधेयकों को राज्यसभा में
पारित नहीं करा सकी है। मसलन दोपहर बाद राज्यसभा की कार्यवाही को अनिश्चित काल के
लिए स्थगित कर दिया गया। इससे पहले राज्यसभा में शुक्रवार को भी तीन तलाक विधेयक
पर कांग्रेस व अन्य दलों के सदस्यों ने जमकर हंगामा किया और विपक्ष इसे प्रवर
समिति को सौंपने की मांग पर अडिग रहा, जबकि सरकार इसे पारित कराने का प्रयास करती
रही। इस विधेयक पर अंतिम दिन भी सभापति वेंकैया नायडू ने गतिरोध खत्म करने के लिए सरकार
और विपक्ष की बैठक बुलाई, जो बेनतीजा रही।
राज्यसभा में नौ विधेयक पारित
उच्च सदन
में शीतकालीन सत्र के दौरान हुई 13 बैठकों में
करीब 42 घंटे ही काम हो सका और विपक्ष के हंगामे के कारण सदन 34 घंटे का
समय बर्बाद हुआ। इसके बावजूद सदन में लोकसभा से पारित होकर आए नौ सरकारी विधेयक
पारित कराए गये, जबकि 19 गैर सरकारी विधेयक भी पेश किये गये, जिनमें एक विधेयक पर
विचार किया गया। सदन में विभिन्न मुद्दो पर चर्चा और केंद्रीय मंत्रियों के बयान
भी हुए।
लोकसभा में 13 विधेयकों पर लगी मुहर
लोकसभा
में 13 दिन चली बैठक की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित होने से पूर्व
शुक्रवार को दो विधेयक पेश किये गये। सदन में इस दौरान कुल 17 विधेयक पेश हुए,
जिनमें से 13 विधेयक पारित किये गये। लोकसभा में पारित विधेयकों में तीन तलाक वाले
मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक के अलावा केंद्रीय सड़क निधि संशोधन विधेयक,
स्थावर संपत्ति अधिग्रहण और अर्जन संशोधन विधेयक, दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र
विधियां विशेष उपबंध दूसरा संशोधन विधेयक, माल एवं सेवाकर राज्यों को प्रतिकर संशोधन
विधेयक, उच्च एवं उच्चतम न्यायालय न्यायाधीश वेतन एवं सेवा शर्त संशोधन विधेयक
जैसे महत्वपूर्ण विधेयक शामिल रहे। लोकसभा में राज्यसभा से ज्यादा 61 घंटे से
ज्यादा कामकाज हुआ और 14.51 घंटे का समय हंगामे के कारण बर्बाद हुआ। लोकसभा में सदस्यों
ने देर शाम तक बैठकर भी लगभग 198 अविलंबनीय लोक महत्व के मामले और नियम 377 के अधीन
226 मामले भी उठाए। सभा में दक्षिण भारत में ओखी चक्रवात के विशेष संदर्भ में देश के
विभिन्न भागों में प्राकृतिक आपदाओं के बारे में नियम 193 के अधीन एक अल्पकालिक चर्चा
भी हुई।
चलती ट्रेनों में अपराधों
पर जताई सांसदों ने चिंता
दो महिला
सांसदों के चोरी हुआ सामान का सुराग नहीं
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
उच्च सदन
में लंबी दूरी की रेलगाड़ियों में बढ़ते अपराध पर राज्यसभा में सांसदों ने चिंता
जताई, जिसमें खुद दो महिला सांसदों ने राजधानी जैसी रेलगाड़ी के प्रथम श्रेणी कोच
से हुए अपने पूरे सामान की चोरी होने की घटना सुनाई। इसके जवाब में रेल मंत्री
पीयूष गोयल ने ऐसे अपराधों का ठींकरा राज्य सरकारों पर फोड़ा, लेकिन उन्होंने
अपराध रोकने के लिए रेलगाडियों में सीसीटीवी कैमरे लगाने योजना शुरू करने की
जानकारी सदन को दी।
दरअसल
राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की सांसद झरना दास बैद्य और बीजू जनता दल की सरोजिनी
हेमब्रम ने ट्रेन से यात्रा के दौरान उनके समान चोरी होने की घटना का जिक्र करते हुए
सवाल किया था कि क्यों ऐसी लंबी दूरी की रेलगाड़ियों में लूट व चोरी की घटनाओं को
रोकने के लिए सरकार की कोई योजना है। दोनों महिला सांसदों ने कहा कि आज तक राजधानी
में प्रथम श्रेणी के कोच में हुए उनके सामान का कोई सुराग नहीं लगाया जा चुका है,
जबकि इस मामले की रिपोर्ट भी दर्ज करा दी गई थी। इस सवाल के जवाब में पहले तो रेल मंत्री
पीयूष गोयल ने कहा कि सुरक्षा राज्य का विषय है। रेलवे पुलिस की जिम्मेदारी केवल रेलवे
संपत्ति और यात्रियों की सुरक्षा करना है, जो चोरी आदि के मामलों में रेलवे पुलिस राज्य
पुलिस की मदद करती है। राज्य पुलिस ही चोरी आदि के मामलों में प्रकरण दर्ज कर आगे की
कार्रवाई करती है।
जवाब पर माहौल गर्म
रेलगाड़ियों
में बढ़ते अपराधों पर जवाब में तंज कसते हुए पीयूष गोयल ने जब कहा कि इन घटनाओं से
पता चलता है कि संबन्धित राज्यों की कानून व्यवस्था कितनी खराब है। चूंकि वैद्य ने
मामला कोलकाता में दर्ज कराया था तो मंत्री के जवाब पर तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों
की नाराजगी सामने आनी ही थी और टीएमसी के सदस्यों ने राज्य सरकारों पर रेल में
अपराधों का ठींकरा फोडने का विरोध किया, जिनके समर्थन में कांग्रेस समेत अन्य
विपक्षी दलों ने भी हंगामा शुरू कर दिया और सरकार को नसीहत दी कि रेलवे की
व्यवस्था राज्यो पर न थौंपी जाएं।
बीस लाख सीसीटीवी कैमरों की योजना
रेलमंत्री
ने एक पूरक प्रश्न के जवाब में सदन को बताया कि चलती रेलगाड़ियों में होने वाले
अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए रेल मंत्रालय ने रेलवे परिसर और ट्रेनों में 20 लाख
सीसीटीवी कैमरे लगाने का प्रस्ताव रखा है। ट्रेन में लगे सीसीटीवी कैमरे की निरागनी
गार्ड के पास होगी, जबकि रेलवे स्टेशनों और अन्य स्थानों पर लगे इन कैमरों की निगरानी
स्थानीय पुलिस और स्टेशन अधीक्षक के पास होगी।
06Jan-2018
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