शनिवार, 13 जनवरी 2018

जल्द ही सड़कों पर नजर आएंगी इलेक्ट्रिक बसें

केंद्र सरकार ने बनाई पांच हजार बसे खरीदने की योजना
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश की सार्वजिनक परिवहन प्रणाली में सुधार के लिए ब्रिटेन की तकनीक के लिए करार होने के बाद भारतीय सड़क परिवहन मंत्रालय एक्शन मोड़ में है, जिसने नए वित्तीय वर्ष में देश के शहरी क्षेत्र की सड़को पर पांच हजार इलेक्ट्रानिक बसों को उतारने के लिए उनकी खरीद करने की योजना को अंजाम दे दिया है, जिसके लिए पांच हजार करोड़ रुपये के बजट का प्रस्ताव किया है।
केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के अनुसार केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सरकारी इलेक्ट्रिक बसों और विश्वस्तरीय बस स्टैंड के लिए वित्त मंत्रालय को आगामी बजट में अलग से पांच हजार करोड़ रुपये की मांग का प्रस्ताव भेजा है। केंद्रीय मंत्री गडकरी का कहना है कि उनके मंत्रालय की इस योजना को राज्य सरकारों के साथ मिलकर एक विशेष उद्देश्य वाहन (एसपीवी) योजना को अंतिम रूप दिया गया है और राज्यों को परामर्श दिया गया है कि वे राज्य परिवहन निगम को डीजल बसों का इस्तेमाल बंद करके हो रहे घाटे को पाटने के लिए इलेक्ट्रॉनिक बस के परिचालन को शुरू करें। मंत्रालय के सूत्रों ने हरिभूमि को जानकारी दी है कि मंत्रालय ने आगामी अप्रैल यानि नए वित्तीय वर्ष में पांच हजार इलेक्ट्रानिक बसें खरीदने की योजना बनाई है, जो शहरी स्तर पर चलाई जाएंगी। इस योजना में सार्वजिनक परिवहन में आधुनिक तकनीक लाने की दिशा में ही ट्रांसपोर्ट लंदन के साथ एक करार पर हस्ताक्षर किये गये हैं, जिसमें डबल डबल डेकर बसे चलाना भी शामिल होगा।
ई-वाहन पर सब्सिडी की सुविधा
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि मंत्रालय ने ई-वाहन को प्रोत्साहन देने के लिए तैयार की योजना में देश में 11 प्रमुख शहरों दिल्ली, अहमदाबाद, बंगलूरू, जयपुर, मुंबई, लखनऊ, हैदराबाद, इंदौर, कोलकाता, जम्मू और गुवाहाटी की पहचान की है। इन शहरों में बैटरी से चलने वाली बस, टैक्सी और तिपहिया ऑटो रिक्शा जैसे ई-वाहनों की खरीद के लिए केंद्र सरकार 437 करोड़ रुपये की सब्सिडी उपलब्ध कराएगी। इसमें से 40 करोड़ रुपए ई-व्हीकल के लिए चार्जिंग स्टेशन बनाने पर खर्च किए जाएंगे।
जल्द आएगी ई-वाहन पर नीति
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दो दिन पहले ट्रांसपोर्ट फार लंदन (टीएफएल)के साथ देश की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में सुधार के लिए किये करार के समय ऐलान किया था कि ई-वाहन को प्रोत्साहन देने के लिए केंद्र सरकार जल्द ही एक अच्छी नीति लेकर आएगी। ऐसी नीति के लिए हम लंबे समय से महसूस कर रहे हैं। इस नीति मकसद ऐसे सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना होगा, जो इलेक्ट्रिक अथवा एथनॉल व मेथनॉल जैसे वैकल्पिक व कम प्रदूषणकारी ईधन पर चलता हो। सरकार वायु प्रदूषण की समस्या से भी निपटने की तैयारी कर रही है और अब उम्मीद है कि इससे राज्य परिवहन निगमों की स्थिति में सुधार हो सकेगा। मंत्रालय के अनुसार इस नीति के मसौदे में चुनिंदा शहरों में नए पेट्रोल और डीजल वाहनों का पंजीकरण चरणबद्ध तरीके से बंद करने का प्रावधान भी किया जाएगा, जिसके लक्ष्य को सरकार वर्ष 2030 तक पूरा करने का प्रयास करेगी।
फेमा इंडिया में मिला प्रोत्साहन
केंद्र सरकार ने ई-वाहनों को प्रोत्साहन देने के लिए केंद्र सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के रूप में पहले चरण में 795 करोड़ रुपये की सब्सिडी का आवंटन करते हुए फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्यूफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक एंड हाइब्रिड व्हीकल इन इंडिया यानि ‘फेम इंडिया’ नामक योजना शुरू की थी। इस योजना में मिले प्रोत्साहन के तहत 21 राज्यों ने 44 शहरों के लिए 47 प्रस्ताव भेजे हैं। इन प्रस्तावों में राज्यों की ओर से 3144 ई-बसें, 2430 चार पहिया ई-टैक्सी और 21,545 तिपहिया ऑटो ई- रिक्शा खरीदना शामिल है। इस प्रस्ताव के तहत सब्सिडी की रकम 4054.6 करोड़ रुपये की जरूरत है। इसलिए जम्मू व गुवाहाटी को छोड़कर बाकी नौ शहरों को 40-40 ई-बसों के लिए 85 लाख से एक करोड़ रुपये तक की सब्सिडी मंजूर की गई है।
13Jan-2018

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