
शुरू हुई ब्रह्मपुत्र
बोर्ड को मजबूत बनाने की कवायद
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
ब्रह्मपुत्र
नदी के जल और नदी में भारत की जल एवं अन्य परियोजनाओं को लेकर चीन की तीखी नजरों
को बेअसर करने के लिए केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर राज्यों के हितों को साधने के
लिए प्रस्तावित सभी परियोजनाओं में तेजी लाने का निर्णय लिया है। इसके लिए ब्रह्मपुत्र
बोर्ड को उच्च शक्तियां देते हुए इसे मजबूत बनाने की कवायद तेज कर दी गई है।
केंद्रीय
जल संसाधन मंत्रालय ने केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री नितिन
गडकरी की अध्यक्षता में ब्रह्मपुत्र बोर्ड के 9वें उच्चाधिकार समीक्षा बोर्ड की
बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिये गये। नितिन गडकरी ने उम्मीद जताई है कि ब्रह्मपुत्र
बोर्ड सभी साझेदारों के साथ मिलकर ब्रह्मपुत्र नदी से जुड़ी तमाम चुनौतियों को बेहतर
आर्थिक विकास के अवसर के रूप में परिवर्तित करेगा, ताकि ब्रह्मपुत्र नदी से
संबन्धित सभी परियोजनाओं को तेजी के साथ पूरा किया जा सके। इस दिशा में विचार
विमश्र के बाद इस नौवीं बैठक में उच्चाधिकार समीक्षा बोर्ड ने ब्रह्मपुत्र बोर्ड के
नवनीकरण को स्वीकृति देते हुए सुझाव दिया कि धन व्यापक रूप से कार्यो मे खर्च होना
चाहिए तथा वेतन और भत्तों सहित बाकी खर्चों पर सीमित धन व्यय होना चाहिए। बैठक में
बोर्ड ने बाढ़ और कटाव से माजुली द्वीप के संरक्षण की परियोजना के लिए 237 करोड़ रुपए
का अनुमोदन किया, जिनकी आधारशिला दो दिन पहले गडकरी ने रखी है। इस दौरान माजुली में
ब्रह्मपुत्र बोर्ड परिसर की स्थापना को भी मंजूरी दी गई। उच्चाधिकार समीक्षा बोर्ड
ने माना है कि ब्रह्मपुत्र नदी पूर्वोत्तर भारत में आर्थिक विकास और रोजगार सृजन के
लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है और जलमार्गों के विकास के जरिए यहां पर्यटन, उद्योग, कृषि
और अन्य क्षेत्रों को भी लाभ होगा। नितिन गडकरी ने इस अवसर पर आईआईटी गुवाहटी द्वारा
तैयार किये गए गणतीय आदर्श अध्ययन ब्रह्मा-आईडी का भी उद्घाटन किया। इस परियोजना को
ब्रह्मपुत्र बोर्ड ने 3 करोड़ रूपये का अनुदान दिया है।
आईआईटी केंद्र की स्थापना
उच्चाधिकार
समीक्षा बोर्ड ने आईआईटी गुवाहाटी में ब्रह्मपुत्र अध्ययन के लिए एक केंद्र बनाने का
सुझाव दिया है, जिसमें जल विज्ञान, पर्यावरण, अंतर्देशीय जलमार्ग, कृषि और समाजशास्त्र
के बहु-संकाय कार्यक्रमों को शामिल किया जाएगा। इस प्रयोजन के लिए आईआईटी गुवाहाटी
केंद्र के विकास के लिए लगभग चार एकड़ जमीन की पहचान की जाएगी। भारत सरकार इस केंद्र
की स्थापना में सहयोग करेगी। इस बैठक में असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, जल
संसाधन मंत्री केशव महंत परिवहन मंत्री चंद्रमोहन पटवारी, कृषि मंत्री अतुल बोरा मणिपुर
के जल संसाधन मंत्री लेतपाओ हॉपकिप असम और अरूणाचल के मुख्य सचिव सहित नदी घाटी वाले
राज्यों के कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
02Jan-2018
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें