शनिवार, 20 जनवरी 2018

लाभ का पद: आप के 20 विधायक अयोग्य करार!


चुनाव आयोग ने किया फैसला, राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
चुनाव आयोग ने लाभ के पद वाले मामले पर अपना फैसला देते हुए आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया और इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा दिया गया है। आयोग के इस फैसले के बाद अरविंद केजरीवाल की आप पार्टी को बड़ा झटका माना जा रहा है।
केंद्रीय चुनाव आयोग ने वर्ष 2015 को चर्चा में आए लाभ के पद मामले में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित कर लंबित मामले का पटाक्षेप किया है। आयोग के इस फैसले पर राष्ट्रपति की मुहर लगते ही आप के इन विधायकों की सदस्यता समाप्त हो जाएगी। गौरतलब है कि आप के 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाने पर तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ही इन विधायकों की सदस्यता पर फैसला करने के लिए मामले को चुनाव आयोग को भेजा था। इसलिए माना जा रहा है कि राष्ट्रपति द्वारा चुनाव आयोग के फैसले को स्वीकार करेंगे। यदि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद चुनाव आयोग की इस सिफारिश पर इन विधायकों की सदस्यता रद्द करते हैं, तो 70 सदस्यों वाली दिल्ली विधान सभा में आप के 46 विधायक रह जाएंगे। हालांकि इस कार्यवाही के बावजूद अरविंद केजरीवाल सरकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि बहुमत के लिए केवल 36 विधायक ही पर्याप्त हैं। फिर भी चुनाव आयोग के इस फैसले को केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका माना जा रहा है।
कोर्ट से भी नहीं मिली राहत
दिल्ली हाई कोर्ट ने 'लाभ का पद' मामले में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को फौरी राहत देने से इनकार कर दिया है। चुनाव आयोग के फैसले के बाद आम आदमी पार्टी की ओर से हाई कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल सुनवाई करते हुए आम आदमी पार्टी को फौरी राहत देने से इंकार कर दिया। इससे पहले सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने आप से पूछा है कि क्या राष्ट्रपति को कोई सलाह दी गई है? साथ ही आप को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग के नोटिस के बाद भी आपने जवाब नहीं दिया। बुलाने पर भी नहीं गए तो चुनाव आयोग आदेश देने के लिए स्वतंत्र है।
क्या है प्रक्रिया
राष्ट्रपति आयोग की अनुशंसा मानने को बाध्य हैं। जिन मामलों में विधायकों या सांसदों की अयोग्यता की मांग वाली याचिकाएं दी जाती हैं, उन्हें राष्ट्रपति राय जानने के लिए चुनाव आयोग के पास भेजते हैं। चुनाव आयोग मामले पर अपनी राय भेजता है। वर्तमान मामले में 21 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की याचिका दी गई थी, लेकिन एक ने कुछ महीने पहले इस्तीफा दे दिया था।
क्या है पूरा मामला
दरअसल आम आदमी पार्टी ने 13 मार्च 2015 को अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था, जिनमें से जरनैल सिंह पहले ही इस्तीफा दे चुकें हैं। इन विधायकों को संसदीय सचिव बनाने के बाद 19 जून 2015 को अधिवक्ता प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास इन सचिवों की सदस्यता रद्द करने के लिए आवेदन किया था। राष्ट्रपति की ओर से अगले ही दिन 22 जून को यह शिकायत चुनाव आयोग में भेज दी गई थी, जिसमें शिकायत की गई थी कि 'लाभ का पद' होने के कारण आप विधायकों की सदस्यता रद्द की जानी चाहिए। यह भी गौरतलब है कि इन विधायको को संसदीय सचिव नियुक्त करने के लिए दिल्ली विधानसभा सदस्यता संशोधन अधिनियम 2015 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंजूरी नहीं दी थी। यह संशोधन इन विधायकों को लाभ के पद से बाहर रखने के लिए विधानसभा से पारित कराया गया था। यहीं नहीं केंद्र सरकार ने भी संसदीय सचिवों की नियुक्ति का विरोध किया था। केंद्र ने कहा था कि मुख्यमंत्री के संसदीय सचिव पद के अलावा इस पद का न तो संविधान में कोई स्थान है और न ही दिल्ली विधानसभा (अयोग्यता निवारण) कानून-1997 में ऐसा कोई प्रावधान है।केंद्र सरकार ने न्यायालय से कहा था कि इस तरह की नियुक्ति कानून सम्मत नहीं है।
क्या हैं विकल्प
आयोग अगर विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश करता है तो इसे विधायक हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। हालांकि जानकारों का एक मत यह भी है कि संसदीय सचिव नियुक्त करने संबंधी केजरीवाल के आदेश की वैधानिकता को हाईकोर्ट में पहले ही चुनौती दी जा चुकी है। अदालत इस मामले को उपराज्यपाल एवं मुख्यमंत्री के अधिकारक्षेत्र से संबंधित याचिका के साथ मिलाकर सुनवाई कर रही है। इसलिए हाईकोर्ट का फैसला आने तक निर्वाचन आयोग कोई सिफारिश नहीं करेगा। दिल्ली में 1997 में सिर्फ दो पद (महिला आयोग और खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष) ही लाभ के पद से बाहर थे। 2006 में नौ पद इस श्रेणी में रखे गए, पहली बार मुख्यमंत्री के संसदीय सचिव पद को भी शामिल किया गया था। दिल्ली सरकार मौजूदा कानून में संशोधन कर "मुख्यमंत्री और मंत्रियों के संसदीय सचिव" शब्द को शामिल करना चाहती है।
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संकट में फंसने वाले विधायक
1. आदर्श शास्त्री, द्वारका 
2. जरनैल सिंह, तिलक नगर
3. नरेश यादव, मेहरौली
4. अल्का लांबा, चांदनी चौक
5. प्रवीण कुमार, जंगपुरा
6. राजेश ऋषि, जनकपुरी
7. राजेश गुप्ता, वज़ीरपुर
8. मदन लाल, कस्तूरबा नगर
9. विजेंद्र गर्ग, राजिंदर नगर
10. अवतार सिंह, कालकाजी
11. शरद चौहान, नरेला
12. सरिता सिंह, रोहताश नगर
13. संजीव झा, बुराड़ी
14. सोम दत्त, सदर बाज़ार
15. शिव चरण गोयल, मोती नगर
16. अनिल कुमार बाजपई, गांधी नगर
17. मनोज कुमार, कोंडली
18. नितिन त्यागी, लक्ष्मी नगर
19. सुखबीर दलाल, मुंडका
20. कैलाश गहलोत, नजफ़गढ़
20jan-2018

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