मंगलवार, 2 जनवरी 2018

राज्यसभा में आज पेश होगा तीन तलाक विधेयक!

मोदी सरकार की दांव पर लगी साख, कांग्रेस बदल सकती है पैंतरा      
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में तीन तलाक को अवैध करार देने वाले ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक’ को लोकसभा में पारित कराकर भले ही आधी मंजिल पार कर ली हो, लेकिन राज्यसभा में इस विधेयक को लेकर मोदी सरकार के सामने इसे पारित कराने की बड़ी चुनौती है। इसका कारण लोकसभा में समर्थन करने वाली कांग्रेस के राज्यसभा में पैंतरा बदलने की संभावनाएं हैं।
लोकसभा में पिछले सप्ताह ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2017’ बिना किसी संसोधन के पास हो गया था, जिसमें समर्थन देने वाली कांग्रेस का इस विधेयक की खामियां दूर करने के लिए इसे संसदीय समिति को भेजने का प्रस्ताव खारिज कर दिया गया था। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस अब इसे राज्यसभा में अटकाने की योजना बनाकर एक तीर से दो शिकार करने के प्रयास में हैं। खबरे आ रही हैं कि कांग्रेस इस विधेयक में खामियां बताने के बावजूद जहां लोकसभा में बिल का समर्थन करने वाले मुस्लिम तबके को एक संदेश दे चुकी है,तो वहीं इस विधेयक का विरोध कर रहे मुस्लिम तबके को राज्यसभा में इसका विरोध करके दूसरा संदेश देना चाहती है। यानि कांग्रेस मुस्लिम सियासत को बरकरार रखने का प्रयास कर रही है।  इसलिए माना जा रहा है कि कल बुधवार को राज्यसभा में इस विधेयक को पेश करते समय कांग्रेस विधेयक को प्रवर समिति को भेजने की मांग करते हुए विरोध कर सकती है? ऐसी स्थिति में तीन तलाक संबन्धी इस विधेयक को उच्च सदन में पारित करना मोदी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी। सूत्रों के अनुसार लोकसभा में विरोध करने के बावजूद कांग्रेस सत्तापक्ष के बहुमत के सामने इसे पारित होने रोक भी नहीं सकती थी, इसलिए उसने इस रणनीति को अंजाम दिया है।
अग्नि परीक्षा के मुहाने पर सरकार
राज्यसभा में 245 सदस्यों में भाजपा और कांग्रेस 57-57 सदस्यों के साथ बराबरी पर हैं, लेकिन भाजपानीत राजग में सहयोगी दलों की संख्या पर्याप्त नहीं है। भाजपा के अलावा राजग के सहयोगी दलों के 31 ही सदस्य सदन में मौजूद हैं और अपने बलबूते पर सत्तापक्ष उच्च सदन में इस विधेयक को पारित कराने में सक्षम नहीं है यानि उसे इस विधेयक को पारित कराने के लिए कम से कम 36 और सदस्यों का समर्थन चाहिए। 
भविष्य की सियासत पर कांग्रेस की नजरें
उच्च सदन में राजग का बहुमत न होने के कारण कांग्रेस उसका फायदा उठाते हुए अपनी पार्टी के भविष्य की सियासत के तीन का इस्तेमाल करने की फिराक में हैं, ताकि इस ऐतिहासिक फैसले का श्रेय मोदी सरकार को न मिल सके। कांग्रेस के सूत्रों का दावा है कि उनकी पार्टी विधेयक के विरोध में नहीं है, लेकिन उसमें कुछ खामियों को दूर कराने के लिए उनकी पार्टी इस विधेयक संसदीय समिति को सौंपने के पक्ष में है। हालांकि कांग्रेस की ओर ऐसे विरोधी स्वरों के मद्देनजर भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं को कांग्रेस समेत ज्यादातर विपक्षी दलों के बातचीत करके तीन तलाक विधेयक पर सहमति बनाने में जुटे हुए हैं। इसका कारण है कि मोदी सरकार मौजूदा संसद सत्र में इस विधेयक को अंजाम तक पहुंचाकर मुस्लिम महिलाओं को नए साल का तोहफा देना चाहती है। जबकि कांग्रेस विधेयक में एक बार में तीन तलाक कहने को 'अपराध' बताने वाले अनुच्छेद को हटवाना चाहती है।
क्या राज्यसभा में दलगत स्थिति
राज्यसभा में 12 मनोनीत व 6 निर्दलीयों के अलावा कुल 28 दलों के 245 सदस्य हैं, जिनमें भाजपा के 57, कांग्रेस के 57 के अलावा सपा के 18, अन्नाद्रमुक के 13, तृणमूल कांग्रेस के 12, बीजद के 8 सीपीएम व जदयू के 7-7, तेदपा के 6, एनसीपी व बसपा के 5-5, द्रमुक के 4, अकाली दल, शिवसेना,  टीआरएस व राजद के 3-3, पीडीपी के दो, सीपीआई, इनोलो, आरपीआई, एसडीएफ, बीपीएफ, एनपीएफ, केरला कांग्रेस, मुस्लिम लीग, जद-एस, झामुमो व वाईएसआर का एक-एक सदस्य है। मनोनीत सदस्यों में हालांकि सात राजग सरकार के कार्यकाल में नामनिर्देशित किये गये हैं।  
02Jan-2018

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