शनिवार, 20 जनवरी 2018

पटना में शतप्रतिशत क्षमता का होगी एसटीपी परियोजना

शहर में 3582 करोड़ की 11 परियोजनाओं को मंजूरी
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
नमामि गंगे मिशन के तहत पटना जल्द ही गंगा नदी से लगे उन कुछ प्रमुख शहरों में शामिल हो जाएगा जहां शत-प्रतिशत सीवेज शोधन क्षमता पूरी हो जाएगी, जिसके बाद यह सुनिश्चित हो जाएगा कि किसी भी प्रकार का दूषित जल गंगा नदी में नहीं गिर सके। राष्ट्रीय गंगा स्वच्छता मिशन ने पटना शहर में विस्तृत सीवेज प्रबंध योजना के तहत 3582.41 करोड़ रुपये की लागत वाली 11 परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिन्हें 2035 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार राष्ट्रीय गंगा स्वच्छता मिशन द्वारा बिहार की राजधानी पटना शहर के लिए तैयार की गई एक विस्तृत सीवेज प्रबंध योजना सीवेज शोधन जरूरतों को 2035 तक शतप्रतिशत पूरा करेगी। शहर में सीवेज प्रबंधन प्रणाली में नई जान डालने के लिए एनएमसीजी ने 3582.41 करोड़ रूपये की 11 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है जिससे 1140.26 किलोमीटर की सीवरेज लाइनें बिछाई जाएंगी और सीवेज शोधन क्षमता 350 एमएलडी किया जाएगा। इस परियोजना के पूरा होने के बाद उसका सीवेज उत्पादन करीब 320 एमएलडी होने का अनुमान है। नई व्यवस्था में दीघा और कंकड़बाग सीवरेज क्षेत्र भी शामिल होंगे, जहां अब तक कोई शोधन संयंत्र नहीं है। इन परियोजनाओं के पूरा हो जाने पर पटना उन कुछ शहरों में शामिल हो जाएगा जहां शत-प्रतिशत सीवेज शोधन क्षमता है। मंत्रालय के अनुसार पटना में वर्तमान सीवेज शोधन संयंत्र पुराने तथा निष्क्रीय होने से पुरानी सीवर लाइनें बंद पड़ी हैं, जिसके कारण दूषित पानी शोधन के लिए सीवेज शोधन संयंत्रों में नहीं जा पाता और सीवेज नदियों में जा रहा है। गौरतलब है कि पिछले साल अक्टूबर में ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 738.04 करोड़ रूपये की लागत वाली चार सीवरेज परियोजनाओं की आधारशिला रखी थी। ये चारों परियोजनाएं मिलकर 120 एमएलडी सीवरेज शोधन संयंत्र क्षमता तैयार करेंगी और बेउर, करमालीचक और सैदपुर सीवरेज क्षेत्रों के लिए वर्तमान 20 एमएलडी को अपग्रेड करेंगी। इसके लिए बेउर और सैदपुर क्षेत्रों में 234.84 किलोमीटर सीवर लाईन बिछाई जाएगी।
आलमगंज घाट
मंत्रालय के अनुसार वर्तमान में चल रही सीवेज प्रबंधन परियोजनाओं के अलावा, 254.52 करोड़ रूपये की पटना रिवर फ्रन्ट विकास परियोजना पूरा होने के अंतिम चरण (80 प्रतिशत से अधिक कार्य कर लिया गया है) में है। इसके अंतर्गत 16 घाट और 6.6 किलोमीटर के विचरण मार्ग के साथ अन्य सेवाओं शौचालयों, स्नान गृहों और कपड़े बदलने के कमरों आदि को विकसित किया गया है। नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत विकसित पटना में पथरी घाट ने 2ए एशिया आर्किटेक्चर पुरस्कार-2016 जीता। नदी की सतह की सफाई परियोजना के अंतर्गत पटना में 3.96 करोड़ रूपये की लागत से कचरा स्किमर लगाया गया है।
पटना में नदी की सतह की सफाई में लगा कचरा स्किमर
पटना भारत के उन बसे हुए शहरों में से एक है जिसकी आबादी 20 लाख से अधिक हैं। शहर के पश्चिमी भाग में सोन नदी है जबकि दक्षिणी हिस्से में पुनपुन नदी है जो बाद में गंगा नदी से मिल जाती है। यह पूरे भारत का दूसरा सबसे बड़ा शहर है और बिहार का सबसे घनी आबादी वाला शहर है। पटना के महानगर के रूप में तेजी से बदलाव ने इसे नमामि गंगे कार्यक्रम के लिए महत्वपूर्ण शहर बना दिया है। स्वच्छ और स्वस्थ गंगा नदी इस ऐतिहासिक शहर के महत्वपूर्ण विकास के लिए शुभ साबित होगी।
20Jan-2018

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