सोमवार, 7 जनवरी 2019

संसद में महत्वपूर्ण बिलों पर कसौटी पर सरकार

आखिर दो दिन की बैठक में बढ़ा काम का दबाव
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद के शीतकालीन सत्र की हंगामेदार शुरूआत के बाद दोनों सदनों में लगातार 14 दिन की की कार्यवाही हंगामें में होम होने के कारण सरकार एजेंडे के महत्वपूर्ण काम को आगे नहीं बढ़ा सकी है। कल सोमवार से होने वाली कार्यवाही समेत अब केवल दो दिन बाकी है, जिसमें भारीभरकम एजेंडे में शामिल तीन तलाक और मोटरयान जैसे एक दर्जन से भी ज्यादा विधेयक लटकने की संभावनाएं बनी हुई है। मसलन अभी तक संसद में केवल दो विधेयकों पर ही मुहर लग सकी है।
संसद में 11 दिसंबर से आरंभ हुए शीतकालीन सत्र में शुरू से ही राफेल, राम मंदिर, कावेरी और आंध्र प्रदेश जैसे विभिन्न मुद्दों को लेकर विपक्ष ने आक्रमक तेवर अपनाए और लगातार 14 दिन तक लोकसभा और राज्यसभा में प्रश्नकाल व शून्यकाल तक नहीं होने दिया। हालांकि इसी हंगामे में लोकसभा में करीब एक दर्जन विधेयक पारित कराए गये, लेकिन वे राज्यसभा में आकर अटक गये। इस सत्र में 16 बैठकें हुई हैं, जिसमें दिव्यांगों से संबन्धित राष्ट्रीय स्वपरायणता प्रमस्तिष्क घात, मानसिक मंदता और बहु-निशक्तता ग्रस्त कल्याण न्यास (संशोधन) विधेयक तथा बच्चों की नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा (संशोधन) विधेयक ही ऐसे रहे हैं जिन पर दोनों सदनों की मुहर लगी है।
तीन तलाक बिल के लटकने के आसार 
लोकसभा में तीन तलाका संबन्धी अध्यादेश को विधेयक के रूप में पारित होने के बाद राज्यसभा में एक बार फिर से चर्चा के लिए लंबित है, लेकिन विपक्ष के मौजूदा स्वरूप का विरोध होने के कारण ऐसी संभावना है कि कल सोमवार को भी इस विधेयक पर चर्चा होने की उम्मीद कम ही नजर आ रही हैं। इसी प्रकार देश में सड़क हादसों और यातायात नियमों को सख्त करने की दिशा में राज्यसभा में पिछले साल से लंबित नए मोटर वाहन संशोधन विधेयक के फिर से अटकने की संभावना बरकरार हैं। इसी प्रकार सरकार के एक दर्जन से ज्यादा ऐसे महत्वपूर्ण विधेयक और सरकारी कार्य  संसद में अटक सकते हैं, जो सरकार की प्राथमिकता में शामिल रहे। इसका प्रमुख कारण यह भी माना जा रहा है कि संसद सत्र की केवल दो दिन की बैठकें होना बाकी है।
राज्यसभा में कठिन डगर
केंद्र सरकार मौजूदा संसद के शीतकालीन सत्र के लिए तीन अध्यादेशों को विधेयकों का रूप देने तथा सात नए विधेयक समेत कुल 46 विधेयक अपने भारी भरकम ऐजेंडे में लेकर आई थी, लेकिन शीतकालीन सत्र की सर्वाधिक बैठकें हंगामे की भेंट चढ़ गई और ऐसे में सरकार के लिए लोकसभा व राज्यसभा में लंबित पड़े महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने की चुनौती एक कसौटी के रूप में सामने खड़ी हुई है।  सरकार ने इस सत्र के एजेंडे में दोनों सदनों में लंबित पड़े 23 विधेयकों को भी पारित कराने के इरादे से शामिल किया था। जबकि इसके अलावा 7 नए विधेयक भी सरकार के एजेंडे पर थे, जिन्हें लोकसभा में तो पारित करा लिया गया है, लेकिन उच्च सदन में ये विधेयक सरकार के लिए पारित कराना किसी चुनौती से कम नहीं है। इसका कारण राज्यसभा में सत्तापक्ष का अल्पमत में होना है।
------
संसद में आज का एजेंडा
संसद में अंतिम सप्ताह के दो दिनों की कार्यवाही के लिए सोमवार के एजेंडे में खासकर राज्यसभा की कार्यसूची में सरकार ने लोकसभा से पारित कराए गये मुस्लिम महिला (विवाह संरक्षण अधिकार) विधेयक, उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) विधेयक, राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग विधेयक, भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (संशोधन) विधेयक, नई मध्यस्थता और सुलह (संशोधन) विधेयक, लोक प्रतिनिधित्व (संशोधन) विधेयक के अलावा 11 विधेयकों को शामिल किया है। जबकि लोकसभा में रेलवे से संबन्धित वित्तीय समाधान और निक्षेप बीमा विधेयक, लोक परिसर (अनधिकृत कब्जा खाली कराना) संशोधन विधेयक जैसे विधेयकों को कार्य सूची में शामिल किया गया है। इसके अलावा समितियों की रिपोर्ट और विभिन्न विषयों पर मंत्रियों के वक्तव्य भी दोनों सदनों की कार्यसूची में शामिल हैं।
07Jan-2019

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें