सोमवार, 7 जनवरी 2019

देश में आधे से ज्यादा जिलो में पीने लायक नहीं पानी!

16 राज्यों हजारों बसावटों में घुला है फ्लोराइड व आर्सेनिक जैसा जहर
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में जल संकट से निपटने की चुनौती के लिए किये जा रहे केंद्र सरकार के तमाम सुधारात्मक उपाय और योजनाएं कारगर साबित नहीं हो पा रही हैं? खासकर भू-जल में घुले जहरीले पदार्थो का दायरा कम होने के बजाए तेजी से बढ़ता नजर आ रहा है।  घुले जानलेवा जहर का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। मसलन पिछले सवा साल में भूजल में ऐसे जहरीले पानी वाले राज्यों और उनमें जिलों के साथ बसावटों की संख्या में इजाफा दर्ज किया गया है।
केंद्र सरकार ने भूजल में घुले जहरीले तत्वों की चुनौती से निपटने के लिए जल की शुद्धता की दिशा में कई सुधारात्मक कदम उठाने के लिए ऐसे प्रभावित राज्यों में अनेक योजनाओं पर करोड़ो की रकम खर्च की है, लेकिन समूचे देश के भूजल में आर्सेनिक, फ्लोराइड, नाईट्रेट, लोहा, कैडमियम, क्रोमियम, तांबा, निकल, सीसा, जस्ता व पारा जैसी भारी धातु का मिश्रण से प्रभावित राज्यों की संख्या पिछले सवा साल के 25 राज्यों में अधिकतम 387 जिलों के मुकाबले 27 राज्यों में अधिकतम 423 जिलों तक पहुंच गई है। हरिभूमि संवाददाता ने जल संसाधन मंत्रालय और केंद्रीय केंद्रीय भूमि जल बोर्ड के अधिकारियों से देश में संदूषित जल के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल की, जिसके चौंकाने वाले आंकड़ों से पता चलता है कि जलजनित बीमारियों को जन्म देने वाले जहरीले पानी से मानव जीवन खतरे में है। यानि देश के 29 राज्यों व सात केंद्र शासित प्रदेशों के कुल 748 जिलों में से 423 जिलों के विभिन्न हिस्सों के भूजल में जहर घुला है, जहां का पानी पीने लायक नहीं है।
सरकार के लिए खड़ी हुई चुनौती
देश में पीने के पानी की गुणवत्ता में सुधार की कवायद में सरकार विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययन के आधार पर अरबो-खरबो की रकम करके योजनाओं का अंजाम दे रही है, लेकिन ताजा आंकड़ो ने केंद्र सरकार की चिंताओं को बढ़ाते हुए भूजल की शुद्धता में सुधार करना एक बड़ी चुनौती का सबब बना दिया है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार केंद्रीय भूजल बोर्ड की ताजा रिपोर्ट पर गौर की जाए तो देश में 16 राज्यों में 9660 बसावटें फ्लोराइड व 15,811 बसावटें आर्सेनिक जैसे तीव्र जहरीले पदाथों के मिश्रण से प्रभावित हैं। हालांकि आंशिक रूप से फलोराइड प्रभावित 23 राज्यों के 370 जिलों के हिस्सों में प्रभाव बताया गया है, जिसका असर सवा साल पहले 20 राज्यों के 335 जिलों तक था। इसी प्रकार आर्सेनिक का आंशिक असर 21 राज्यों के 152 जिलों के हिस्से वाले भूजल में पाया गया है, जिसमें एक जिले की कमी दर्शाई गई। इसके अलावा मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक यानि भूजल में निर्धारित मानकों से कहीं अधिक विद्युत चालकता वाले 18 राज्यों के 249 जिलों के हिस्सों को चिन्हत किया गया है। 23 राज्यों के 423 जिलों के भूजल में 45 मिग्रा नाइट्रेट की मात्रा अधिक पाई गई है, जो इससे पहले 21 राज्यों के 387 जिलों तक दर्ज की गई थी। इसी प्रकार लोहा के भूजल मिश्रण में पिछले 25 राज्यों क 302 जिलों के मुकाबले इस बार 27 राज्यों के 341 जिलों तक का दायरा बढ़ गया है। मानकता से अधिक शीशा 14 राज्यों के 92 जिलों, कैडमियम नौ राज्यों के 24 जिलों व क्रोमियम दस राज्यों के 29 जिलों में पाया गया है।
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छत्तीसगढ़ में 22 जिले प्रभावित
छत्तीसगढ़ राज्य में फ्लोराइड के मिश्रण की चपेट में 19 जिलों की 282 बसावटें पूरी तरह से प्रभावित हैं, जबकि छत्तीसगढ़ के लिए सवा साल पहले सामने आई रिपोर्ट में केवल राज्य के 13 जिलों के हिस्सों में ही फलोराइड का प्रभाव था। जबकि एक जिले राजनंदगांव में आर्सेनिक का प्रभाव अब कम हुआ है। लेकिन राज्य के 12 जिलो का भूजल नाइट्रेट, 17 जिले लौह और एक-एक जिला शीशा, कैडमियम व क्रोमियम से प्रभवित है।
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मध्य प्रदेश में गहराया संकट
मध्य प्रदेश  की राजधानी भोपाल के अलावा नीमच, पन्ना, रायसेन, रतलाम, सागर और शिवपुरी जिले का भूजल में भी खतरनाक जहरीला तत्व फ्लोराइड घुल चुका है। मसलन सवा साल में ही 52 जिलों वाले राज्य के कुल 39 से बढ़कर 43 जिलों का भूजल फलोराइड की चपेट में आ गया है, जिसमें 140 ब्लॉकों को चिन्हित किया गया है। इसी प्रकार नाइट्रेट प्रभावित जिलों की संख्या भी 36 से बढ़कर 51 हो गई है। राज्य में आर्सेनिक का प्रभाव आठ जिलों, लौह 41 जिलों, शीशा का मिश्रण 16 जिलों के भूजल में पाया गया है।
हरियाणा में बढ़ी फ्लोराइड की समस्या
हरियाणा के अंबाला और पलवल जिले के भूजल में भी फ्लोराइड की मात्रा पाई गई है। यानि फिलहाल राज्य के 20 जिलों के भूजल में फ्लोराइड, 19 जिलों में नाईट्रेट, 15 जिलों में आर्सेनिक, 17 जिलों में लौह व शीशा तथा सात जिलों में कैडमियम जैसे जहरीले तत्वों की सांद्रता निर्धारित मानकता से कहीं ज्यादा पाई गई है। जिन 20 जिलों के भूजल में फ्लोराइड जैसा जहर मिला है उनमें अंबाला, भिवानी, फरीदाबाद, फतेहाबाद, गुडगांव, हिसार, झज्जर, जींद, कैथल, करनाल, कुरूक्षेत्र, महेन्द्रगढ़, पंचकूला, पलवल, पानीपत, रेवाड़ी, रोहतक, सिरसा, सोनीपत व यमुनानगर शामिल हैं। पलवल को छोड़कर बाकी 19 जिलों में नाईट्रेट की मात्रा भी ज्यादा पायी गई है। जबकि 15 जिलों अंबाला, भिवानी, फरीदाबाद, फतेहाबाद, हिसार, झज्जर, जींद, करनाल, पानीपत, रोहतक, सिरसा, सोनीपत, यमुनानगर, महेन्द्रगढ़ व पलवल के भूजल में आर्सेनिक की ज्यादा मात्रा पाई गई है। इसमें एक साल के अंतराल में महेन्द्रगढ़ और पलवल पहली बार ग्रिसत हुए हैं। हरियाणा के 17 जिलों अंबाला, भिवानी, फरीदाबाद, फतेहाबाद, गुडगांव, हिसार, झज्जर, जिंद, कैथल, करनाल, महेन्द्रगढ़, पानीपत, रोहतक, सिरसा, सोनीपत व यमुनानगर के भूजल में लोह शीशे जैसे तत्वों की मात्रा भी स्वास्थ्य के लिहाज से खतरनाक बताई गई है।
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दिल्ली में बद से बदतर हालात
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का समूचा क्षेत्र का भूजल फ्लोराइड, नाइट्रेट, शीशा, कैडमियम व क्रोमियम जैसी धातुओं से युक्त भूजल की चपेट में है। जबकि पूर्वी दिल्ली और उत्तर-पूर्वी दिल्ली के लोग इन तत्वों के साथ आर्सेनिकयुक्त पानी पीने के लिए भी मजबूर हैं। दिल्ली के लगभग सभी क्षेत्र के भूजल में घुले जहरीले तत्वों की मात्रा में किसी प्रकार का सुधार करना तो दूर है, बल्कि संदूषित जल की मात्रा में लगातार इजाफा हो रहा है, जो मानव के स्वास्थ्य के लिए बराबर हानिकारक करार दिया जा रहा है।
06Jan-2019

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