एक राष्ट्र-एक कर की तर्ज पर एक होगा आरटीओ शुल्क
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में
परिवहन प्रणाली को दुरस्त करने की दिशा में केंद्र सरकार के गठित परिवहन मंत्री
समूह ने एक राष्ट्र-एक कर की तर्ज पर देश में वाहनों के लिए एक राष्ट्र-एक परमिट
के प्रस्ताव पर सहमति जताई है। इसमें समूह ने केंद्र सरकार से बसों से लेकर
टैक्सियों तक के लिए एक समान रोड टैक्स ढांचे और राष्ट्रीय परमिट की सिफारिश की
है।
केंद्रीय
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने यह जानकारी देते हुए बताया कि मंत्रालय
द्वारा राजस्थान के परिवहन मंत्री यूनुस खान की अध्यक्षता में गठित राज्यों के
परिवहन मंत्रियों के समूह की दो दिन तक गुहावटी में चली बैठक में इस प्रस्ताव पर
सहमित बनी है। मंत्री समूह (जीओएम) ने ‘एक राष्ट्र-एक कर और एक राष्ट्र-एक परमिट’
पर विचार-विमर्श करने के बाद केंद्र सरकार से सिफारिश की है कि देश में बसों एवं टैक्सियों
के लिए एक समान रोड टैक्स ढांचे और राष्ट्रीय परमिट की व्यवस्था को लागू करने से लोगों
द्वारा कम टैक्स वाले राज्यों में अपने वाहनों का पंजीकरण कराने और उन्हें अन्य राज्यों
में लाकर चलाने की प्रवृत्ति पर रोक लग सकेगी, जिससे वाहन मालिकों को वाहनों का स्थानांतरण
कराने की अनिवार्यता से छुटकारा ही नहीं मिलेगा, बल्कि बड़ी राहत मिलेगी। यदि
केंद्र सरकार जीओएम की सिफारिशों को स्वीकार करता है तो इस प्रस्ताव के तहत दोपहिया
और चार पहिया वाहनों के एक राज्य से दूसरे राज्य में स्थानांतरण करने पर किसी तरह का
कोई रोड टैक्स नहीं वसूला जाएगा। अभी तक बस और टैक्सी जब एक राज्य से दूसरे राज्य में
जाती हैं, तो उनको दूसरे राज्य का परमिट लेना होता है। इसमें लोगों का काफी पैसा और
सम की भी बर्बादी होती है। जिन बसों और टैक्सियों के पास परमिट होता है, केवल उन्हीं
को राज्यों में चलने की मंजूरी मिलती है।
सड़क सुरक्षा में होगा सुधार
मंत्रालय
के अनुसार जीओएम की बैठक में आरटीओ में भी जीएसटी की तरह एक देश-एक टैक्स का सिद्धांत
लागू करने पर सहमति जताई गई है, जिसके तहत देशभर में एक समान आरटीओ शुल्क लागू हो
सकेगा। जीओएम ने विचार विमर्श के दौरान सभी राज्यों में वाहनों के लिए एक रोड
टैक्स के ढांचे वाली प्रणाली के लागू होने के फायदों को लेकर केंद्र सरकार से की
गई सिफारिशों में कहा है कि इससे राज्यों में अपने वाहनों का पंजीकरण कराने और उन्हें
अन्य राज्यों में लाकर चलाने की प्रवृत्ति पर रोक भी लग सकेगी। देशभर में सड़क परिवहन
क्षेत्र के विकास में बाधक विभिन समस्याओं का समाधान ढूंढने और सड़क सुरक्षा में
सुधार लाने की दिशा में वाहनों की आवाजाही में और ज्यादा सहूलियते देने के इरादे
से ‘एक राष्ट्र-एक कर और एक राष्ट्र-एक परमिट’ प्रस्ताव पर विचार-विमर्श करने
के बाद सहमति बनाई गई।
यातायात में होगा बेहतर सुधार
केंद्र
सरकार से की गई सिफारिशों में जीओएम ने माल परिवहन यानि भारी वाहनों को जारी होने
वाले परमिट की तर्ज पर एक राष्ट्रीय बस एवं टैक्स परमिट की भी सिफारिश की है। देश
में सार्वजनिक परिवहन में मात्र लगभग दो प्रतिशत की ही वार्षिक वृद्धि दर्ज की जा रही
है, जबकि निजी परिवहन में 20 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज की जा रही है। राष्ट्रीय
परमिट से सार्वजनिक परिवहन को अपेक्षित बढ़ावा मिलेगा और सड़कों पर भीड़-भाड़ कम करने
में मदद मिलेगी। गौरतलब है कि इससे पहले जीओएम ने वाहनों के लिए वैकल्पिक ईंधन को बढ़ावा
देने के मकसद से विद्युत वाहनों के लिए परमिट प्रणाली के उदारीकरण की सिफारिश की थी।
जीएसटी पर हैं ये प्रस्ताव
देश के परिवहन मंत्रियों के समूह ने केंद्र सरकार को
प्रस्ताव दिया है कि टैक्स के लिए 3 स्लैब बनाए जा सकते हैं, जिसमें 10 लाख रुपये से
नीचे की कीमत वाली गाड़ियों के लिए 8 फीसदी, 10-20 लाख रुपये के लिए 10 फीसदी और
20 लाख से ऊपर की कीमत वाली गाड़ियों के लिए 12 फीसदी टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया
है। डीजल वाली गाड़ियों पर 2 फीसदी अतिरिक्त और इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर 2 फीसदी छूट
देने का प्रस्ताव किया है।21Apr-2018
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें