लोकतंत्र की परंपरा
संसद का करीब
समूचा सत्र विभिन्न मुद्दों पर हंगामें की भेंट चढ़ गई, जबकि संसद भारतीय लोकतंत्र में वाद-विवाद और देश को व्यवस्थित करने की नीतियां
बनाने का स्थान है, लेकिन जिस तरह संसदीय गरिमा को तार-तार किया जा रहा है, उससे बकौल
संविधान विशेषज्ञ भारतीय संविधान की प्रस्तावना का औचित्य ही समाप्त हो जाता है। भारत
के संप्रभु, धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र होने की बात कही गयी है। संसद एक राजनीतिक संस्था
है और राजनीतिक विमर्श के लिए राजनीतिक हितों की विभिन्नताओं को समझना बहुत जरूरी है।
राजनीतिक हितों से ऊपर उठकर संसद की गरिमा और मर्यादा को कायम रखते हुए लोकतंत्र की
परंपरा को व्यवस्थित करना जरूरी है अन्यथा इसके दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं। संसद
सत्र के दौरान और उसके संपन्न होने के बाद संसद में कार्यवाही न चलने का ठींकरा सरकार
और विपक्षी दल एक-दूसरे पर फोड़ने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन लोकतंत्र में संसद के
सर्वोच्च मंच का इस्तेमाल देश व जनता के हित में होना चाहिए, यह जानते हुए भी संसद
में सियासती गतिविधियों को ज्यादा महत्व दिया जा रहा है। राजनीतिकारों का मानना है
कि जब जनप्रतिनिधियों के हितों का सवाल आता है तो संसद में कुछ मिनटों में ही विधेयक
और नियमों में संशोधन कर लिया जाता है, लेकिन संसद में लंबित देश और जनहित की सुरक्षा
को मजबूत करने वाले विधेयकों पर राजनीतिक दल गंभीर नजर नहीं आते। जबकि संसद जनता की
अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए जनप्रतिनिधियों का दायित्व है कि लोकतंत्र की परंपरा
को व्यवस्थित करने की भूमिका निभाई जाए।
न्यूज पोर्टल पर निशाना
मीडिया पर
शिकंजा कसने के मकसद से फेक न्यूज पर दिशा-निर्देशों को वापिस लेने को मजबूर हुए सूचना
प्रसारण मंत्रालय ने अब न्यूज पोर्टल पर निशाना साधा है। मीडिया पर शिकंजा कसने की
नीयत से मंत्रालय ने पहले फेक न्यूज पर सख्त कार्यवाही के लिए नियम तैयार करके फैसला
लिया गया, जिसे मीडिया के विरोध के सामने पीएम नरेन्द्र मोदी के हस्तक्षेप के बाद आदेश
वापस लेना पड़ा। अब मंत्रालय ने ऑनलाइन मीडिया और न्यूज पोर्टल्स विनियमित करने के
लिए कानून तय करने का नया फैसला लिया है। हालांकि यह फैसला भी आगे बढ़ पाएगा इसमें
इसलिए संदेह हो रहा है क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक एवं आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद का बयान
आया है कि डिजिटल संबन्धी फैसले लेने का अधिकार केवल आईटी मंत्रालय को है। सियासी गलियारों
में चर्चा है कि कुछ दिन पहले सूचना प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा था कि सरकार
के सामने यह चुनौती है कि हम ऐसी सुरक्षित पॉलिसी बनाएं जो बोलने की आजादी के अधिकार
को स्पष्ट कर सके। विशेषज्ञ मानते हैं कि मिडिया पर इसका ठींकरा फोड़ने के बजाए सरकार
या राजनीतिक दलों को खुद की नीतियों में सुधार करने की जरूरत है। यह ठीक है कि मंत्रालय
को अपने विभाग संबन्धी फैसले लेने का अधिकार है, लेकिन मीडिया की आवाज को दबाने का
लोकतंत्र में दिये गये अधिकारों से छेडछाड करना ठीक नहीं है। पिछले दिनों प्रसार भारती
ने भी सूचना प्रसारण मंत्रालय के एक आदेश को धत्ता बताकर मानने से इंकार कर दिया था,
जिसके कारण दूरदर्शन और मंत्रालय में ठन गई थी।
एसटी/एसटी पर चिकचिक
सुप्रीम कोर्ट
द्वारा एससी/एसटी एक्ट में बदलाव करके निदोर्षो को बचाने की दिशा में पिछले महीने जो
फैसला दिया, उस पर देश में ऐसी सियासत गरमाई कि वह हिंसक आंदोलन में तब्दील होती नजर
आई। सभी सियासी दल इसके लिए मोदी सरकार को दोष ठहराने में जुटे हैं, यहां तक कि खुद
सत्ताधारी दल के दलित समुदाय के जनप्रतिनिधि इसका ठींकरा मोदी सरकार पर फोड़ने का प्रयास
कर रहे हैं। विपक्षी सियासी दलों ने तो सरकार के खिलाफ लामबंदी करके इस काननू को अपने
आंदोलन के कार्यक्रम भी तय कर लिये हैं। हालांकि विपक्ष के बढ़ते दबाव में सरकार ने
सुप्रीम कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर की है ,लेकिन सियासी दलों की नीयती में तो
मामला कोई भी हो मादी सरकार की घेराबंदी करने की बन चुकी है, भले ही यह मामला सरकार
के नहीं, बल्कि न्यायपालिका अधिकार क्षेत्र का ही क्यों न हो। सोशल मीडिया में यहां
तक टिप्पणियां सुर्खियां बन रही है कि सभी जानते हैं कि इस फैसले को सरकार नहीं, बल्कि शीर्ष न्यायालय ही बदल
सकता है, लेकिन देश की सियासत के बदलते रूप में सभी दलों की नजरें आने वाले लोकसभा
चुनाव को साधने पर हैं।
और अंत में
राज्यसभा में
बजट सत्र के दौरान जिस प्रकार से हंगामे का दौर रहा, उसमें विपक्षी दल के सांसद आरोप
लगाते रहे कि उन्हें अपनी बात रखने से रोका जा रहा है, लेकिन इसी दौरान पीठ की ओर से
भी इस बात पर दुख जताया गया ,जब एक विधेयक पर मतविभाजन की कार्यवाही को आगे बढ़ाने
का प्रयास करते रहे उच्च सदन के उपसभापति प्रो. पीजे कुरियन को यह कहना पड़ा कि यह
संसदीय गरिमा नहीं है और उन्होंने यहां तक कहा कि यह बड़े दुख की बात है कि सभापीठ
को ही सदन में बोलने नहीं दिया जा रहा है।
08Apr-2018
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