गुरुवार, 12 अप्रैल 2018

संसद में नहीं थमा विपक्ष का हंगामा, कामकाज ठप



राज्यसभा में पास नहीं हो सका भ्रष्टाचार निवारण बिल
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।  
संसद में 21वें दिन जारी गतिरोध के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही पटरी पर नहीं आ सकी। राज्यसभा में एक दिन पहले पेश किये गये भ्रष्टाचार निरोधक संशोधन विधेयक हंगामे के कारण आज भी पारित नहीं कराया जा सका। वहीं लोकसभा में विपक्ष का सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव धरा रह गया। हंगामे के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही बारी-बारी से पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।
संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण हंगामे की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है, जहां कल शुक्रवार को अंतिम बैठक होनी है। राज्यसभा में गुरुवार को एक बार के स्थगन के बाद जब दोपहर बाद दो बजे कार्यवाही शुरू की गई तो बुधवार को केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह द्वारा पेश किये गये महत्वपूर्ण ‘भ्रष्टाचार निरोधक (संशोधन) विधेयक’ पर तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दु शेखर राय द्वारा मतविभाजन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए उपसभापति प्रो. पीजे कुरियन ने हंगामा कर रहे सदस्यों को अपनी सीटों पर जाने का अनुरोध किया, लेकिन व्यवस्था न बनने के कारण सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई। इसके बाद भी अन्नाद्रमुक, तेदेपा व टीआरएस के साथ ही बसपा के सदस्य आसन के करीब आकर अपने-अपने मुद्दे उठाकर हंगामा करने लगे। इस पर कुरियन ने नियम 256 का हवाला देते हुए हंगामा करने वाले सदस्यों के निलंबन करने की चेतावनी भी दी, लेकिन हंगामा जारी रहा। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के आनंद शर्मा ने केंद्रीय मंत्री के पार्टी पर लगाए गये आरोपो पर आपत्ति जताई और सरकार पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया। हंगामा थमते न देख सदन की कार्यवाही को शुक्रवार 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
विधेयक को लेकर गलती सुधारी
सदन में विपक्ष ने ‘भ्रष्टाचार निरोधक (संशोधन) विधेयक’ को बुधवार को पेश करते हुए केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने लोकसभा से पारित होने का जिक्र किया था, जिस पर सुखेन्दु शेखर राय ने व्यवस्था का सवाल उठाते हुए सरकार पर आरोप लगाए। इस पर उपसभापति कुरियन ने सदन को बताया कि यह भूलवश त्रुटि थी, जिसे सुधार लिया गया है और यह विधेयक लोकसभा में पारित नहीं हुआ है। कुरियन ने बताया कि सुखेंदु राय की जानकारी की पुष्टि करते हुए बताया कि राज्यसभा में यह विधेयक 19 अगस्त 2013 को पेश किया गया था। उस समय उच्च सदन से इस विधेयक को छानबीन संबंधी संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया गया। एक साल बाद स्थायी समिति की रिपोर्ट मिलने पर इसे राज्यसभा की प्रवर समिति के सुपुर्द कर दिया गया। प्रवर समिति ने 11 अगस्त 2016 को इस पर रिपोर्ट पेश की। उसके बाद कल चार अप्रैल को सदन में पेश किया गया। इससे पहले इस संबन्ध में सुबह सभापति एम. वेंकैया नायडू ने भी भूलवश हुई इस त्रुटि की जानकारी देते हुए उसे सदन के रिकार्ड में दुरस्त करने की बात कही है। इससे पहले गुरुवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने पर नायडू ने दो नए सदस्यों को शपथ दिलाई और आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाने क कारण हंगामे को देखते हुए कार्यवाही को दो बजे तक स्थगित कर दिया।
लोकसभा में फिर धरा रहा अविश्वास प्रस्ताव
लोकसभा में भी विपक्षी दलों के हंगामे की वजह से गुरुवार को भी अविश्वास प्रस्ताव को पेश नहीं किया जा सका। सदन की कार्यवाही को शुरू होते ही तुरंत स्थगित कर दिया गया। इसके बाद हंगामे की वजह से 12 बजे बाद शुरू हुई कार्यवाही के दौरान लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए और हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। इस सत्र की कल शुक्रवार को अंतिम बैठक होना बाकी है।
राज्यसभा के भीतर धरने पर बैठे तेदेपा सांसद
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद के बजट सत्र का जब एक ही दिन बाकी है तो गुरुवार को दोपहर बाद हंगामे के कारण पूरे दिन के लिए कार्यवाही के स्थगन होने के बावजूद तेदेपा सांसद सदन के भीतर ही झंडे-बैनर लेकर धरने पर बैठ गये और करीब चार घंटे बाद उन्हें बामुश्किल उठाकर सदन से बाहर भेजा गया।

संसद में बजट सत्र के दूसरे चरण में आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा दिलाने की मांग को लेकर तेदेपा ने जहां राजग से नाता तोड़ा है, वहीं सदन की कार्यवाही में बाधा बने हुए हैं। कल शुक्रवार को इस सत्र का अंतिम दिन होगा। संसद के बजट सत्र में आंध्र प्रदेश के लिए विशेष दर्जे की मांग को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे तेदेपा सांसदों ने गुरुवार को अपने विरोध प्रदर्शन का एक नया तरीका अपनाया और जब हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही करीब ढाई बजे स्थगित कर दी गई, तो उसके बाद भी तेदपा सांसद सदन से बाहर नहीं गये, बल्कि सदन में बैठकर अपनी मांग को लेकर प्रदर्शन करते रहे। स्थगन के बावजूद इन सांसदों को सदन में बैठा देख राज्यसभा के अधिकारियों और मार्शलों ने इन सांसदों से सदन खाली करने का अनुरोध किया, लेकिन वे सदन से बाहर जाने के लिए तैयार नहीं हुए , बल्कि पोस्टर लेकर खाली सदन में नारेबाजी करने लगे। तेदेपा सांसदों का कहना है कि जब तक केंद्र सरकार उनकी मांगें नहीं मानती तब तक वह सदन से बाहर नहीं जाएंगे। तेदेपा के इन सांसदों में वाई एस चौधरी, जी मोहन राव, सीएम रमेश, तोटा सीता रामलक्ष्मी और रवींद्र कुमार शामिल हैं।
आज दे सकते हैं इस्तीफा
सूत्रों के अनुसार तेदेपा सांसदों ने शुक्रवार को राष्ट्रपति से मिलने का समय भी मांगा है और माना जा रहा है कि तेदेपा के लोकसभा और राज्यसभा सांसद इस्तीफा भी दे सकते हैं। वहीं दूसरी ओर वाईएसआर कांग्रेस के प्रमुख जगह मोहन रेड्डी ने अपनी पार्टी के सांसदों को 6 अप्रैल को सांसद पद से इस्तीफा देने का फरमान भी जारी किया है। गौरतलब है कि तेदेपा बजट सत्र से पहले राजग की सहयोगी पार्टी थी, लेकिन आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा न देने से नाराज तेदेपा ने राजग से नाता ही नहीं तोड़ा, बल्कि मोदी मंत्रिमंडल में शामिल तेदेपा के दो सांसदों ने इस्तीफा भी दिया। संसद के बजट सत्र में तेदेपा सांसद प्रतिदिन सदन और सदन के बाहर अपनी मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करते आ रहे हैं और लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रयास भी लगातार किया जा रहा है।
06Apr-2018
 


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