पिछले
पांच साल में बनी 33 हजार किमी सड़कें
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश के
बुनियादी ढांचे को दुरस्त करने की दिशा में सड़कों का जाल बिछाने के लिए मोदी
सरकार ने पिछले पांच साल में करीब 33 किमी लंबाई तक सड़कों का निर्माण करके
राष्ट्रीय राजमार्गो को विस्तार किया गया है। इन सड़क परियोजनाओं के लिए 3.34 लाख
करोड़ रुपये की लागत आई है।
केंद्रीय
सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के अनुसार देश में 96 हजार किमी लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग
की लंबाई बढ़ाकर दो लाख किमी करने के लक्ष्य के मद्देनजर सरकार ने सड़क परियोजनाओं
को तेजी से कार्यान्वित कराने की दिशा में जिस फार्मूले के तहत आने वाली भूमि
अधिग्रहण जैसी अनेक बाधाओं को दूर किया है। जिसका परिणाम है कि जब मोदी सरकार
सत्ता में आई थी, तो प्रतिदिन 11 किमी लंबी सड़क निर्माण का काम हो रहा था, जो
फिलहाल 27 किमी प्रतिदिन तक पहुंच गया है। सरकार का लक्ष्य इस वित्तीय वर्ष में
प्रतिदिन 40 किमी सड़को का निर्माण करना है। मंत्रालय के अनुसार केंद्रीय मंत्री
नितिन गडकरी ने सड़क परियोजनाओं में नए वित्तीय वर्ष के बाद से लेन किलोमीटर की गिनती
की अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था लागू करने का निर्णय लिया है, जो अभी तक रैखिक लंबाई में
राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण की गणना हो रही है। मंत्रालय के अनुसार देश में
2013-2018 तक करीब आठ लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं के तहत 32791 किमी लंबे
राष्ट्रीय राजमार्गो का निर्माण पूरा किया जा चुका है। इसमें वर्ष 2017-18 में 1,16,324
करोड़ रुपये की लागत से 9829 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग बनाए गये ,जबकि पिछले वर्ष
2016-17 में 80,553 करोड़ रुपये की परियोजना के तहत 8231 किलोमीटर सड़क निर्माण हुआ
था। यानि इस वित्तीय वर्ष में पिछले निर्माण की में 20 प्रतिशत सड़क निमार्ण किया
गया है, जिसमें नए वित्तीय वर्ष में कही अधिक बढ़ोतरी करने का लक्ष्य है। हालांकि वर्ष
2017-18 में 17055 किलोमीटर की सड़क की लंबाई को पिछले साल 15948 किलोमीटर की तुलना
में सम्मानित किया गया था। इसी प्रकार वर्ष 2015-16 में 6061 किमी, वर्ष 2014-15
में 4410 किमी और वर्ष 2013-14 में 4260 किमी नेशनल हाइवे बनाए गये हैं।
दिल्ली-मुंबई का सफर होगा आसान
देश में सड़क
के सफर को आसान बनाने की दिशा में सरकार ने देश में एक दर्जन एक्सप्रेसवे बनाने की
योजना बनाई है। मंत्रालय के अनुसार 11 एक्सप्रेसवे पहले से ही मंजूर हो चुके हैं
और 12वें एक्सप्रेसवे की परियोजना को तैयार किया जा रहा है, जिसमें दिल्ली से
मुंबई के सफर में 106 किमी दूरी कम करने की योजना है। मंत्रालय के अनुसार इस
एक्सप्रेस वे को पिछडे और आदिवासी इलाकों से निकाला जाएगा, ताकि ऐसे क्षेत्रों को विकसित
करने और इन क्षेत्रों के लोगों को रोजगार सृजन की राह आसान हो सके। इस एक्सप्रेसवे
को दिल्ली-जयपुर एक्सप्रेसवे से बडोदरा व मुंबई एक्सप्रेसवे से जोड़ा जाएगा, जिसके
लिए भूमि अधिग्रहण करने के लिए सात करोड़ रुपये प्रति किमी खर्च करने की योजना है।
इस हाइवे पर जगह-जगह गोदाम भी बनाएं जाएंगे। इससे पहले जिन एक्सप्रेसवे पर काम चल
रहा है उनमें 135 किमी लंबे ‘ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे’ और 135 किमी लंबे वेस्टर्न
पेरीफेरल 135 किमी की परियोजना पूरी हो चुकी है, जबकि 90 किमी लंबाई वाले दिल्ली-मेरठ
एक्सप्रेस-वे का तेजी से काम चल रहा है। इसके अलावा दिल्ली-जयपुर एक्सप्रेस-वे 196
किमी, दिल्ली-लुधियाना-अमृतसर-कटरा 600 किमी, मुम्बई-बदोदरा एक्सप्रेस-वे 375 किमी,
बंगलुरू-चेन्नई एक्सप्रेस-वे 350 किमी पर भी काम जारी है। जबकि हैदराबाद-विजयबाड़ा-अमरावती,
हैदराबाद- बंगलुरू एक्सप्रेस-वे, नागपुर-हैदराबाद एक्सप्रेस-वे तथा अमरावती रिंग रोड
एक्सप्रेस-वे की मंजूरी पहले ही हो चुकी है।
06Apr-2018
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