
केंद्र की
ज्यादा नक्सलग्रस्त सूची में बचे मात्र 30 जिले, 44 हटे
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में
आंतरिक सुरक्षा की चुनौती के लिए केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं का नतीजा सामने
आने लगा है, जिसमें सरकार का दावा है कि पिछले चार साल में ऐसे क्षेत्रों सुरक्षा
और विकास की रणनीति के कारण नक्सल प्रभावित क्षेत्र का दायरा तेजी के साथ घटा है
और सरकार ऐसे 44 जिलों को को नक्सलग्रस्त इलाकों की सूची से हटा दिया है, जहां असर
पूरी तरह खत्म हो चुका है।
गृह
मंत्रालय के अनुसार मोदी सरकार ने उग्रवाद व नक्सलवाद को आंतरिक सुरक्षा के लिए
चुनौती मानते हुए कई रणनीतियों पर काम किया है, जिसमें राज्यों की पुलिस
आधुनिकीकरण के लिए नक्सलवाद प्रभावित इलाकों में तैनात अर्द्ध सैनिक बलों को
अत्याधुनिक हथियार मुहैया कराकर अत्याधुनिक संसाधनों से लैस किया है। सरकार की इसी
सुरक्षा और विकास योजनाओं का नतीजा है कि देश में नक्सलवाद ग्रस्त क्षेत्र का
दायरा तेजी के साथ कम हो रहा है। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने
दावा किया है कि सरकार की आधुनिकीकरण योजना के तहत ऐसे राज्यों व जिलों के लिए
केंद्र सरकार ने अंब्रैला योजना के तहत 25,061 करोड़ रुपये का अनुदान दिया है,
जिसमें वर्ष 2017-18 से 2019-20 यानि तीन सालों के लिए इस धनराशि में 7380 करोड़
रुपये का व्यय पुलिस आधुनिकीकरण हेतु राज्यों की अनुमोदित योजनाओं पर खर्च किया जा
रहा है। मंत्रालय के अनुसार सात चक्र की सुरक्षा के आधुनिकीकरण पर जहां वर्ष
2016-17 में 807.52 करोड़ खर्च किया गया, वहीं वर्ष 2017-18 वित्तीय वर्ष के अंत
तक 956.98 करोड़ की धनराशि खर्च की जा चुकी है।
एसआरई सूची में अब 90 जिले
गृह मंत्रालय
ने नक्सल प्रभावित जिलों का निरीक्षण कराने के बाद पाया कि सुरक्षा संबन्धी खर्च
यानि एसआरई योजना वाली सूची में शामिल दस राज्यों के 126 जिलो में से 44 ऐसे जिले
हैं, जहां पिछले तीन-चार साल से नक्सलवाद का कोई प्रभाव नहीं है। इसलिए अध्ययन के
बाद गृहमंत्रालय ने इन 44 जिलों को नक्सलप्रभावित सूची से बाहर किया गया है और आठ
नए जिलों को शामिल किया गया है। केंद्रीय गृह सचिव राजीव गाबा के बयान में दावा
किया गया है कि नक्सलवाद से बुरी तरह प्रभावित 74 जिलों की सूची में अब 30 जिले रह
गये हैं, जहां सरकार इस प्रभाव को नियंत्रित करने की योजनाओं को आगे बढ़ा रही है।
गृह सचिव के अनुसार एसआरई योजना के तहत सुरक्षा संबन्धी खर्च के अलावा विकास
संबन्धी संसाधनों को भी मजबूत बनाना है।
छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक घटनाएं
मंत्रालय
के अनुसार इस वर्ष 2018 के पहले साढ़े तीन माह में 15 मार्च तक हुई 211 नक्सलवादी
घटनाओं में कुल 68 मौते हुई। नक्सलप्रभावित दस राज्यों में सर्वाधक 89 घटनाएं
छत्तीसगढ़ में हुई है, जिसमें सुरक्षाकर्मियों समेत तीन दर्जन लोगों की मौत हुई।
इसके बाद झारखंड में 36 घटनाओं में एक दर्जन, बिहार में 25 घटनाओं में पांच, ओडिशा
में 14 घटनाओं में नौ,आंध्र प्रदेश में 11 घटनाओं और महाराष्ट्र में 13 घटनाओं में
तीन मौते हुई हैं। मंत्रालय का दावा है कि पिछले चार सालों में नक्सली घटनाओं में
तेजी से कमी आई है और नक्सलवाद प्रभावित सूची में शामिल पश्चिम बंगाल में पिछले
चार सालों में एक भी नक्सल घटना नहीं हुई है। जहां जहां वर्ष 2015 में 1089 घटनाएं
हुई थी, वहीं वर्ष 2017 में घटकर 908 घटनाएं हुई हैं। जबकि एक दशक पहले वर्ष 2009
में 2258 नक्सली घटनाएं सामने आई थी, जिसमें सुरक्षाकर्मियों समेत 908 लोगों की
मौत हुई थी। हालांकि पिछले एक दशक में वर्ष 2010 में हुई 2213 घटनाओं में सर्वाधिक
1005 मौते हुई थी।
16Apr-2018
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