शनिवार, 21 अप्रैल 2018

देश में गहरा सकता है जल संकट



पिछले छह माह में 65 फिसदी गिरा जल स्तर
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
मौसम विभाग की इस साल सामान्य मानसून की भविष्यवाणी के बावजूद देश में जल संकट के गहराने की संभावनाएं बनी हुई हैं। इसका कारण देश में लगातार गिर रहे जल स्तर है, जिसमें पिछले छह माह के भीतर 65 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
केंद्रीय जल आयोग के आंकड़े ही इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि जल स्तर का आकलन करने वाले आंकड़ों में पिछले छह माह में 64.60 फीसदी की कमी आई है। इस माह 19 अप्रैल को एकत्र किये गये देश के प्रमुख आयोग के आंकड़ो के अनुसार देश के प्रमुख 91 जलाशयों में 38.989 बीसीएम यानि अरब घन मीटर जल का संग्रहण आंका गया है, जो छह माह पहले 18 अक्टूबर 2017 को इन जलाशयों में जल संग्रहण 110.012 बीसीएम यानि अरब घन मीटर था। आयोग के ये आंकड़े इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि इन छह माह में जलाशयों में 71.131 अरब घन मीटर यानि करीब 65 फीसदी पानी की कमी दर्ज की गई है। आयोग के आंकड़ो मुताबिक पिछले साल 18 अक्टूबर को इन जलाशयों का जलस्तर उच्चतर था, जिसके बाद लगातार गिरते हुए 19 अप्रैल को 38.989 बीसीएम तक पहुंच गया है।
एक सप्ताह में एक प्रतिशत की कमी
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने केंद्रीय जल आयोग के जलाशयों में जल स्तर के आकलन की जानकारी देते हुए बताया कि मौजूदा जल संग्रहण 38.989 बीसीएम इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 24 प्रतिशत है। जबकि एक सप्ताह पहले यानि  12 अप्रैल 25 प्रतिशत के स्तर पर था। इसके अलावा मौजूदा जल स्तर पिछले वर्ष की इसी अवधि के कुल संग्रहण का 84 प्रतिशत तथा पिछले एक दशक के औसत जल संग्रहण का 90 प्रतिशत है। मंत्रालय के अनुसार इन 91 जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता 161.993 बीसीएम है, जो समग्र रूप से देश की अनुमानित कुल जल संग्रहण क्षमता 257.812 बीसीएम का लगभग 63 प्रतिशत है। मंत्रालय के अनुसार इन 91 जलाशयों में से 37 जलाशय ऐसे हैं जो 60 मेगावाट से अधिक की स्थापित क्षमता के साथ पनबिजली संबंधी लाभ देते हैं।
राज्यों में जल स्तर की स्थिति
मंत्रालय के अनुसार पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में जिन राज्यों राजस्थान, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना (दोनों राज्यों में दो संयुक्त परियोजनाएं), आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु जल संग्रहण बेहतर आंका गया है। जबकि हिमाचल प्रदेश, पंजाब, झारखंड, ओडिशा, गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना इसी अवधि के लिए पिछले वर्ष की तुलना में कम संग्रहण करने वाले राज्यों में शामिल हैं।
सैकड़ो गांव सूखे की जद में
यदि मौसम विभाग के आंकड़ो को ही माना जाए तो उत्तर प्रदेश, बिहार का उत्तर-पश्चिम हिस्सा, लद्दाख, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, पूर्वी राजस्थान, झारखंड और आंध्र प्रदेश के तटीय इलाके सूखा पड़ने की जद में शामिल हैं। जबकि मौसम विभाग के पूर्वानुमान से पहले ही देश के 153 जिले इस साल गर्मियों का सीजन शुरू होने से पहले ही सूखे के दायरे में नजर आ रहें हैं। भारतीय मौसम विभाग के आंकड़ो पर गौर करें तो अक्टूबर 2017 से देश के 404 जिलों में बहुत ही कम बारिश होने के कारण कम से कम 140 जिलों की हालत खराब है। इसका कारण यही है कि अक्टूबर 2017 से मार्च 2018 के बीच न होने के बराबर रही। इस रिपोर्ट के अनुसार 109 जिलों में की हालत थोड़ी सही है, लेकिन 156 जिले सूखे की जद से बाहर हैं।
21Apr-2018

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