गुरुवार, 12 अप्रैल 2018

संसद में खत्म नहीं हुई केंद्र सरकार की चुनौती!


अंतिम सप्ताह में भी गतिरोध टूटने के आसार नहीं
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद में बजट सत्र के अंतिम सप्ताह की कार्यवाही कल सोमवार से शुरू हो रही है, लेकिन विभिन्न मुद्दों को लेकर सरकार और विपक्ष के साथ जारी गतिरोध खत्म होने का नाम नहीं नही ले रहा है, ऐसे में महत्वपूर्ण विधेयकों और अन्य सरकारी कामकाज के बोझ बढ़ने के कारण इन दिनों में केंद्र सरकार को कहीं ज्यादा चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
केंद्र सरकार बजट सत्र के दूसरे चरण में पिछले 17 दिनों की कार्यवाही के दौरान दोनों सदनों में लगातार जारी हंगामे के कारण संसद से केवल एक ही बिल ही बिना चर्चा के पारित करा चुकी है। जबकि इसी हंगामे के बीच लोकसभा में वित्त विधेयक समेत चार विधेयक हंगामे के दौरान ही बिना किसी चर्चा के पारित कराए गये। दोनों सदनों में ही इन 17 दिनों में लोकसभा या राज्यसभा में एक भी दिन प्रश्नकाल या महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा तक नहीं हो पायी है। अब मौजूदा सत्र के अंतिम सप्ताह की कार्यवाही कल सोमवार से फिर शुरू होगी, लेकिन सरकार और दोनों सदनों की सभापीठ के प्रयास भी विपक्ष के साथ जारी गतिरोध का खत्म नहीं करा सके हैं। बजट सत्र छह अप्रैल तक निर्धारत है और अभी तक विपक्ष के हंगामें की भेंट चढ़ती आ रही कार्यवाही के इन अंतिम दिनों में भी पटरी पर आने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। ऐसे में मोदी सरकार की कई महत्वपूर्ण विधेयकों और और अन्य सरकारी कामकाज को निपटाने की दृष्टि से कहीं ज्यादा चुनौती बढ़ गई है। सूत्रों के अनुसार ऐसी भी संभावना बन रही है कि यदि सोमवार को भी पिछले दिनों जैसी हंगामे की स्थिति रही तो बजट सत्र को समय से पहले ही अनिश्चित काल के लिए स्थगित किया जा सकता है।
अविश्वास प्रस्ताव पर संशय
लोकसभा में आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने और तेलंगाना में आरक्षण के मामले को लेकर पिछले दो सप्ताह से तेदपा और वाईएसआर कांग्रेस के अलावा प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी और माकपा भी नोटिस देने के बावजूद मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास का प्रस्ताव पेश नहीं कर पाई है, जिसकी वजह सदन में लगातार विपक्षी दलों का वेल में आकर हंगामा करना है। जहां तक सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का सवाल है उस पर विभिन्न मुद्दों पर जारी हंगामे के कारण अभी तक संशय बना हुआ है। इस प्रस्ताव पेश करने की अनुमति देने के लिए लोकसभा अध्यक्ष हर बार सदन की कार्यवाही व्यवस्थित होने का हवाला देती आ रही है, जबकि विपक्षी दल हंगामा करने पर अड़िग हैं। हालांकि इस प्रस्ताव के बावजूद मोदी सरकार को कोई खतरा नहीं है और यह बात विपक्ष भी जानता है। इसी कारण इस प्रस्ताव पर सरकार भी चर्चा कराने को तैयार है। 
इन विधेयकों पर अटकी सरकार
संसद में बजट सत्र के इन अंतिम पांच दिनों में लोकसभा में चार विधेयक पारित कराने के बाद केंद्र सरकार के सामने व्यक्तियों का दुर्व्यवहार (निवारण, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक, अविनियमित निक्षेप स्कीम पाबंदी विधेयक, चिट फंड (संशोधन) विधयक, भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक, भारतीय विमानपत्तन आर्थिक विनियामक प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, वाणिज्यिक न्यायालय, उच्च न्यायालय वाणिज्यिक प्रभाग और वाणिज्यिक अपील प्रभाग (संशोधन) विधेयक, माध्यस्थम और सुलह (संशोधन) विधेयक तथा राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद(संशोधन) विधेयक जैसे महत्वपूर्ण विधेयक पेश कराकर पारित करने की बड़ी चुनौती होगी। वहीं दूसरी ओर हंगामे की स्थिति में इस दौरान राज्यसभा में वित्त विधेयक व आम बजट से संबन्धित विधेयक के अलावा मोटरयान (संशोधन) विधेयक, स्टेट बैंक (निरसन और संशोधन)विधेयक तथा भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) विधेयक जैसे कई जरूरी काम पारित कराना सरकार के लिए असान नहीं है। हालांकि वित्त विधेयक व आम बजट संबन्धी विधेयकों का धन विधेयक होने के कारण राज्यसभा से पारित होना जरूरी नहीं है, जो राज्यसभा में पेश होने की तिथि से 14 दिन बाद स्वत: ही पारित माना जाएगा।
02Apr-2018


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