मरने वालों में सबसे ज्यादा दुपहिया सवार शामिल
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में सड़क
हादसों और उनमें हो रही मौतों में कमी लाने के जारी प्रयासों के बावजूद सड़को पर असामयिक
मौतों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। सड़कों के निर्माण में तकनीकी और सुरक्षात्मक
इंजीनियरिंग के सुधार के कारण वर्ष 2016 में करीब सड़क हादसों में तो 4.1 फीसदी की
कमी आई है, लेकिन दुर्घटनाओं में मरने वालों के आंकड़ों में 3.2 फीसदी का इजाफा हुआ
है।
केंद्रीय सड़क
परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने वर्ष 2016 के दौरान हुए सड़क हादसों और उनमें मरने
वालों के ताजे आंकड़ो पर एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर
दिन 1317 सड़क दुर्घटनाएं हो रही है, जिनमें 413 लोगों को अपनी जिंदगी से हाथ धोना
पड़ रहा है, यानि हर घंटे 55 दुघर्टनाओं में शिकार 17 लोगों की मौते हो रही हैं। जबकि
वर्ष 2015 में हरेक दिन की औसतन 1374 दुर्घटनाओं में 400 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी।
देशभर में वर्ष 2016 में वर्ष 2015 में 5,01,423 के मुकाबले 4,80,652 सड़क दुर्घटनाएं
हुई, जिसमें 401 फीसदी की कमी आई, लेकिन इसके बावजूद इन दुर्घटनाओं से होने वाली मौतें
3.2 फीसदी बढ़ी हुई दर्ज की गई। यानि वर्ष 2015 में हुई 1,46,133 मौतों के मुकाबले वर्ष 2016 में
1,50,785 लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए हैं। इनमें राष्ट्रीय राजमार्गों में कुल
सड़क दुर्घटनाओं का 29.6 प्रतिशत हिस्सा है, जहां हादसों में 34.5 फीसदी लोग मारे गए
हैं। यह आंकड़ा पिछले साल 28.4 फीसदी की तुलना में 2016 के दौरान बढ़कर 29.6 फीसदी
दर्ज किया गया। जबकि इस ताजा आंकड़ों में राज्य राजमार्गो पर 25.8 फीसदी और अन्य सड़कों
पर 44.6 फीसदी मौते हुई हैं, जो क्रमश: वर्ष 2015 के दौरान 37.9 फीसदी और 37.6 फसदी
थी। सड़क हादसों में मरने वालों में सबसे ज्यादा 34.8 फीसदी दो पहिया वाहनों पर सवार
लोग मारे गये हैं, जबकि 17.9 फीसदी कार, टैक्सी, वैन व अन्य हल्के वाहनों, 11.2 फीसदी
ट्रक, 10.5 फीसदी पैदल यात्री, 6.6 फीसदी बसों, 4.7 फीसदी आटो रिक्शा और सबसे कम साईकिल
सवारों की मौते हुई हैं।
तेरह राज्यों में ज्यादा हादसे व मौतें
मंत्रालय की
जारी रिपोर्ट के मुताबिक 2016 के दौरान पूरे देश में हुई सड़क दुर्घटनाओं में 86 प्रतिशत
हादसों का केंद्र 13 राज्यों तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, केरल, यूपी,
एपी, राजस्थान, तेलंगाना, गुजरात, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और हरियाणा रहा है। इन
13 राज्यों में देशभर में मारे गये कुल लोगों की हिस्सेदारी 84 फीसदी रही। इनमें सर्वार्धिक उत्तर प्रदेश में हादसे हुए, जिसके
बाद तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, गुजरात,
तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, पंजाब, हरियाणा और बिहार रहे हैं।
चेन्नैई में सर्वाधिक मौतें
देश में कुल
सड़क दुर्घटनाओं में पचास लाख से अधिक शहरों का 18.7 प्रतिशत हिस्सा है, जहां सड़क
दुर्घटनाओं में मारे गए कुल लोगों में 11.8 प्रतिशत और सड़क दुर्घटना में घायल हुए
कुल लोगों में 16.7 प्रतिशत रहा है। चेन्नई में सर्वाधिक 7,486 सड़क दुर्घटनाओं के
बाद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली दूसरे पायदान पर रही, जहां सड़क हादसों में 1,591 लोगों
अपनी जान गंवानी पड़ी। सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों की आयु के हिसाब से देखा जाए तो
18 से 45 वर्ष आयु वर्ग के 1 , 03,40 9 लोगों की मौत का आंकड़ा 68.6 फीसदी रहा, जबकि
18 से 35 साल के आयु वर्ग के 6 9, 851 युवाओं यानि 46.3 फीसदी ने जान गंवाई। मसलन
18-60 के कामकाजी आयु वर्ग में सर्वाधिक 1,25,583 यानि 83.3 फीसदी लोगों की मौत सड़क
हादसों में हुई है।
पिछले सात माह में भारी कमी
मंत्रालय की
जारी इस रिपोर्ट पर चिंता जाहिर करते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि जबकि दुर्घटना और घातक आंकड़े अभी भी सड़क सुरक्षा
सुनिश्चित करने के मामले में बहुत कुछ छोड़ने के लिए छोड़ देते हैं, रुझानों को प्रोत्साहित
कर रहे हैं। भारत में 2017 की पहली छमाही के लिए दुर्घटना के आंकड़ों के जरिए 2016
के सकारात्मक रुझान को आगे बढ़ाया गया है, जहां सड़क दुर्घटनाओं में जनवरी से जुलाई
2017 के बीच 3 फीसदी की कमी हुई है, वहीं सड़क दुर्घटना में 4.75 फीसदी मरने वालों
का आंकड़ा भी सामने आया है। हालांकि 2017 के पहले इन सात माह की अवधि के दौरान जनवरी
से जुलाई 2016 के बीच 2,43,870 तक सड़क दुर्घटनाएं घटकर 2,36,458 रह गईं हैं। जबकि
2017 की इसी अवधि के दौरान जनवरी से जुलाई 2016 तक 75,853 लोगों की मौत हो गई थी।
जिला स्तर पर बनेगी समितियां
केंद्रीय सड़क
परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि देश 13 राज्यों
में सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं और वह इस बारे में जल्द ही संबद्ध राज्यों
से सड़क दुर्घटनाओं पर रिपोर्ट मांगेंगे और दुर्घटनाओं को कम करने के उपाय करने के
लिए जरूरी कदम उठाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं पर
रोक लगाने के लिए लोकसभा सदस्यों की अध्यक्षता में जिला स्तर पर समितियों का गठन किया
जाएगा ,जिनमें स्थानीय सांसद, विधायक और जिला अधिकारी सहित प्रमुख लोग शामिल होंगे।
07Sep-2017
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