बुधवार, 6 सितंबर 2017

देश में जल्द बनेगी राष्ट्रीय रोजगार नीति

देशभर में श्रमिकों की एक समान मजदूरी को प्रोत्साहन
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में श्रमिकों के हित में सरकार लक्ष्य 44 श्रम कानूनों को चार संहिताओं में बदलना है और इसके लिए जल्द ही सरकार नई राष्ट्रीय रोजगार नीति बनाने के लिए मसौदा तैयार करेगी। वहीं देशभर में श्रमिकों के एक समान वेतन लागू करने के लिए भी सरकार गंभीर है और इससे संबन्धित संसद में लंबित विधेयक को आगामी संसद सत्र में पारित करना सरकार की प्राथमिकता होगी।
केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्रम और रोजगार मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार संतोष गंगवार को सौंपा है, जिन्होंने सरकार की श्रमिकों के हितों की प्राथमिकता के मद्देनजर तमाम 44 श्रम कानूनों में परिवर्तन करके चार संहिताओं में बदलना लक्ष्य बताया है। श्रम एवं रोजगार मंत्री गंगवार के अनुसार अभी तक इस दिशा में सरकार 38 श्रम कानूनों को तर्कसंगत बनाने की शुरूआत कर चुकी है। उन्होंने कहा कि जल्द ही मंत्रालय राष्ट्रीय रोजगार नीति का मसौदा तैयार करेगी, ताकि रोजगार के गुणवत्ता वाले आंकड़ों का निर्माण करने के साथ कई और श्रम कानूनों में संशोधन करके नवोन्मेषी तरीकों से देश में रोजगार का परिदृश्य में सुधार किया जा सके।
चार पुराने कानूनों का समायोजन
मंत्रालय के अनुसार पिछले तीन साल में मंत्रालय द्वारा श्रम कानून सुधारों के लिए उठाए गये कदमों में श्रम कानूनों को तर्कसंगत बनाने का मकसद देश में मजदूरी सम्‍बंधी संहिता, औद्योगिक सम्‍बंधों के लिए संहिता, सामाजिक सुरक्षा सम्‍बंधी संहिता तथा पेशागत सुरक्षा, स्‍वास्थ्य और कामकाजी माहौल सम्‍बंधी संहिता तैयार करना है। श्रमिकों के एक समान संबन्धी विधेयक लोकसभा में पेश किया जा चुका है। इस विधेयक में चार मौजूदा कानूनों न्‍यूनतम मजदूरी अधिनियम, मजदूरी भुगतान अधनियम, बोनस भुगतान अधिनियम, 1965 और समान पारिश्रमिक अधिनियम को एक नियम के तहत समायोजित करने का प्रावधान किया गया है। मंत्रालय के अनुसार न्‍यूनतम मजदूरी अधिनियम और मजदूरी भुगतान अधिनियम के प्रावधानों के दायरे में अधिकांश मजदूर नहीं आते थे, लेकिन नई मजदूरी संहिता के तहत अब सभी कर्मचारियों के लिए न्‍यूनतम मजदूरी सुनिश्‍चित की जाएगी। राष्‍ट्रीय न्‍यूनतम मजदूरी के विचार को प्रोत्‍साहन दिया गया है।
अभी लागू नहीं न्यूनतम मजदूरी
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने 18 हजार रुपये मासिक की न्यूनतम मजदूरी के भ्रम को दूर करते हुए स्पष्ट किया है कि देश में अभी तक केंद्र सरकार ने यह न्‍यूनतम मजदूरी की रकम न तो तय की है न ही नए  मजदूरी विधेयक सम्‍बंधी संहिता में केंद्र सरकार ने ऐसा कोई उल्‍लेख किया है। सरकार ने इसके लिए अब कदम उठाते हुए न्‍यूनतम मजदूरी आवश्यक कुशलता, परिश्रम और भौगोलिक स्‍थिति के अनुसार तय करने का प्रस्तावित अधिनियम के तहत तय करेगी। केंद्र सरकार नये अधिनियम संबन्धी संहिता के उपखंड 9 (3) में स्पष्ट प्रावधान के तहत राष्‍ट्रीय न्‍यूनतम मजदूरी तय करने से पहले केंद्रीय सलाहकार बोर्ड से भी परामर्श लेगी।
श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा को प्राथमिकता
मंत्रालय के अनुसार चेक या डिजिटल/इलेक्‍ट्रॉनिक तरीके से प्रस्‍तावित मजदूरी भुगतान के जरिए मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा देने के लिए भी नए विधेयक की संहिता के तहत विभिन्न प्रकार के उल्‍लंघन होने पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है। मसलन चेक या डिजिटल अथवा इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से मजदूरी का प्रस्तावित भुगतान केवल डिजिटलीकरण को बढ़ावा नहीं देगा, बल्कि कार्यकर्ता को मजदूरी और सामाजिक सुरक्षा का भी विस्तार करेगा। इस दिशा में एक अपीलीय प्राधिकरण का प्रावधान दावे प्राधिकरण और न्यायिक फोरम के बीच किया गया है, जो शिकायतों के शीघ्र, सस्ता और कुशल निवारण और दावों का निपटान करेगा। वहीं इस संहिता के तहत विभिन्न प्रकार के उल्लंघनों के लिए दंड के उल्लंघन के गुरुत्वाकर्षण और अपराधों को दोहराने के अनुसार अलग-अलग दंड की मात्रा के साथ तर्कसंगत किया गया है।

मजदूर संघों की मांग कानूनी हिस्सा नहीं
श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने स्पष्ट किया है कि न्‍यूनतम मजदूरी की गणना के तरीके को संशोधित करके यूनिट को 3 से बढ़ाकर 6 करने की न्यूनतम मजदूरी पर गठित सलाहकार बोर्ड की बैठक में मजदूर संघों की बैठक में उठाई गई मांग प्रस्तावित मजदूरी विधेयक सम्‍बंधी संहिता का हिस्‍सा नहीं है। गौरतलब है कि गत चार अगस्त को तत्कालीन श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय की अध्यक्षता में हुई परामर्श समिति की बैठक में शामिल रहे भारतीय मजदूर संघ के महासचिव व्रिजेश उपाध्याय ने इस मांग को उठाते हुए फार्मूला अपनाने का सुझाव दिया था, जिसके अनुसार न्यूनतम मजदूरी दो गुणा की जा सके। इस फार्मूले के साथ देशभर में एक समान न्यूनतम मजदूरी तय करने संबन्धी विचार के लिए मंत्रालय ने एक एक नई समिति का भी गठन किया था।
06Sep-2017

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