हर दिन 43
महिलाओं व बच्चों की तस्करी
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में
अवैध मानव व्यापार का गोरखधंधा यानि मानव तस्करी जैसे संगठित अपराध इतनी तेजी से
पांव पसारने लगा है कि एशिया में भारत मानव तस्करी के गढ़ के रूप में पहचाना जाने
लगा है। मसलन पिछले पांच साल में मानव तस्करी के मामलों में चार गुणा से भी ज्यादा
बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2017 के पहले पांच माह में ही सामने आए मानव तस्करी के
मामलों की संख्या वर्ष 2012 के पूरे साल के मामलों से भी कहीं ज्यादा है। हालांकि
मोदी सरकार का मानव तस्करी पर लगाम कसने के लिए सख्त कानून वाला एक विधेयक संसद
में लंबित है।
देश में
मानव तस्करी के तेजी से बढ़ते इस ग्राफ को खुद केंद्र सरकार के गृहमंत्रालय ने
स्वीकार किया है, जिसने राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के हवाले से बताया है कि
वर्ष 2017 में मई माह तक मानव तस्करी के 3939 मामले सामने आए हैं, जबकि वर्ष 2012
में पूरे साल में 3554 मामले ही इस अपराध में दर्ज हुए थे। वर्ष 2012 के मुकाबले
वर्ष 2016 में चार गुणा से भी ज्यादा 15379 मामले सामने आए हैं, जिनमें 5229
महिलाएं और 9034 बच्चों की मानव तस्करी भी शामिल है। हालांकि केंद्र की मोदी सरकार
ने मानव तस्करी के मामलों को गंभीरता से लेते हुए गायब या लापता हुए बच्चों व
महिलाओं को मानव तस्करों या अन्य स्थानों से खोजने का अभियान में हजारों की संख्या
में बच्चों व महिलाओं को मुक्त कराने का भी दावा किया है। इससे पहले वर्ष 2015 में
4752 महिलाएं और 7951 बच्चों समेत कुल 12, 703 मानव तस्करों का शिकार बने। जबकि
वर्ष 2014 में 5466, वर्ष 2013 में 3940, वर्ष 2011 में 3517 महिलाएं व बच्चों की
तस्करी का शिकार बनाया गया। वर्ष 2016 के आंकड़ो के आधार पर हर दिन देश में करीब
15 महिलाओं और 25 बच्चों समेत 43 लोग मानव तस्करी के शिकार बनाए जा रहे हैं।
केंद्र का राज्यों के सिर ठींकरा
देश में
मानव तस्करी के बढ़ते ग्राफ को लेकर गृहमंत्रालय का तर्क है कि मानव तस्करी के
अपराध से निपटने की दिशा में राज्यों की दक्षता में सुधार करने हेतु केंद्र सरकार
समय-समय पर विविध व्यापक परामर्श पत्र जारी करती है और ऐसे अपराधों के खिलाफ विधि
प्रवर्तन कार्रवाई करने के लिए केंद्र से राज्यों के विभिन्न जिलों में मानव
तस्करी रोधी ईकाईयों की स्थापना हेतु निधियां भी जारी की जाती है। मंत्रालय के
अनुसार पुलिस और लोक व्यवस्था राज्य का विषय होने के कारण अवैध मानव व्यापार या तस्करी
के अपराधों निवारण एवं उससे निपटने का जिम्मा राज्य सरकारों का है। हालांकि गृह मंत्रालय
में अवैध मानव व्यापार रोधी एक नोडल सेल भी गठित किया जा चुका है।
अंतर्राष्ट्रीय समझौते
केंद्र के
स्तर से पडोसी देशों की सीमाओं से नशीली दवाओं और हथियारों के कारोबार के साथ मानव
तस्करी पर अंकुश लगाने की दिशा में बांग्लादेश और संयुक्त अरब अमीरात के साथ
द्विपक्षीय समझौते भी किये गये हैं। यही नहीं भारत ने विश्व में तीसरे सबसे बड़े
संगठित अपराध माने गये मानव तस्करी को रोकने की दिशा में सार्क और संयुक्त राष्ट्र
अभिसमयकी अभिपुष्टि भी की है, जिसके तहत अनेक प्रोटोकॉल में से एक मानव खासकर
महिलाओं एवं बच्चों की तस्करी के निवारण में रोक लगाने और सजा का प्रावधान है।
मानव तस्करी का केंद्र
संयुक्त
राष्ट्र की एक रिपोर्ट पर गौर की जाए तो विश्वभर में 80 फीसदी से ज्यादा मानव
तस्करी खासकर महिलाओं के यौन शोषण के मकसद से की जाती है, जबकि बाकी को बंधुआ
मजदूरी के इरादे से इस अवैध व्यापार को किया जा रहा है। यही नहीं इस रिपोर्ट के
मुताबिक भारत को एशिया में मानव तस्करी के अपराध का गढ़ बनता जा रहा है, जिसमें
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को मानव तस्करी का
केंद्र बताया गया है, जहां घरेलू कामकाज, जबरन शादी और वेश्यावृत्ति के लिए छोटी लड़कियों
के अवैध व्यापार का कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा। मानव तस्करी को सामाजिक असमानता,
क्षेत्रीय लिंग वरीयता, असंतुलन और भ्रष्टाचार का कारण भी माना गया है, जहां खासकर
भारत के आदिवासी क्षेत्रों के महिलाओं व बच्चों की खरीद फरोख्त के अनेक मामले भी
सामने आ चुके हैं।
क्या है नया कानूनी मसौदा
भारत में दरअसल
अनैतिक तस्करी निवारण अधिनियम के तहत व्यवसायिक यौन शोषण दंडनीय है और इसकी सजा सात
साल से लेकर आजीवन कारावास तक की है। भारत में बंधुआ मजदूर उन्मूलन अधिनियम, बाल श्रम
अधिनियम और किशोर न्याय अधिनियम, बंधुआ और जबर मजदूरी को रोकते हैं। लेकिन ये
कानून मानव तस्करी पर लगाम लगाने में नाकाफी हैं, इसलिए केंद्रीय मंत्री मेनका
गांधी ने बढ़ती मानव तस्करी की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए एक नया कानून तैयार किया
गया है। मोदी सरकार का यह नया मानव तस्करी (रोकथाम, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक संसद
में लंबित है, जिसमें मानव तस्करी के अपराधियों की सजा को दोगुना करने का प्रावधान
है और ऐसे मामलों की तेज सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन का भी प्रावधान प्रस्तावित
है।
08Sep-2017
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