गुरुवार, 26 जुलाई 2018

ट्रेनों में होगा हाइब्रिड टॉयलेट सिस्टम



बायो-टॉयलेट्स में फिट होंगी वैक्यूम वाली फ्लश यूनिट  
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
भारतीय रेलवे द्वारा ट्रेनों के सवारी कोचों में लगाए जा रहे बायो टॉयलेट लगाने के कार्य को मार्च 2019 तक पूरा कर लिया जाएगा। रेलवे की बायो-टॉयलेट में वैक्यूम वाली फ्लश यूनिट फिट करके हाइब्रिड टॉयलेट सिस्टम लागू करने की योजना है।
रेल मंत्रालय के अनुसार रेलवे ने ट्रेनों के सवारी कोचों में तेजी के साथ लगाए जा रहे बायो टॉयलेट वाले मौजूदा शौचालयों में वैक्यूम टॉयलेट की यूनिट फिट करके इस टॉयलेट सिस्टम को हाइब्रिड बनाने की योजना बनाई जा रही है। ऐसी जानकारी पिछले सप्ताह तीन दिन पहले राज्यसभा में इस संबन्ध में उठाए गये सवालों के जवाब में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने देते हुए साफ कहा था कि रेलवे में बायो टॉयलेट को वैक्यूम बायो टॉयलेट में तब्दील करने के बजाय रैट्रोफिटिंग के जरिए हाइब्रिड सिस्टम के रूप में बदलाव किया जा रहा है। इस प्रणाली को लागू करने के लिए ट्रेनों के सवारी डिब्बों में लगाए जा रहे बायो टॉयलेट सिस्टम में मानव अपशिष्ट को इकट्ठा करने के लिए प्रत्येक टॉयलेट के नीचे एक बायो-डायजेस्ट कर टैंक फिट किया जा रहा है। रेलवे के अनुसार इन बायो टैंक में सेल्फ सस्टेनिंग एरोबिक बैक्टीरिया डाले जाते हैं, जो मानव अपशिष्ट को डाइजेस्ट करते हैं और इस अपशिष्टप को पानी और बायो गैस (मुख्यतः मीथेन सीएच4 और कार्बन डाइऑक्साइड सीओ2) में बदल देते हैं। गैसें वातावरण में समा जाती हैं और गंदे पानी को रोगाणुमुक्त् करने के बाद बहा दिया जाता है। इस प्रकार मानव अपशिष्ट रेल पटरियों पर नहीं गिरता है। इससे रेलपथों और रेलवे स्टेशन परिसरों की स्वच्छता को भी बनाए रखा जा सकेगा। मसलन हवाई जहाजों में लागू टॉयलेट् सिस्टम की तर्ज पर रेलवे की टॉयलेट सिस्टम को भी हाइब्रिड किया जाएगा। इस सिस्टम को लागू करने का मकसद फ्लशिंग सिस्टम में उपयोग किए जा रहे पानी और अन्य संसाधनों की खपत में कमी लाने के अलावा सबसे महत्वपूर्ण स्वच्छता का वातावरण तैयार करना है। इस सिटस्टम के तहत प्रत्येक उपकरण एक विशिष्ट और अर्थपूर्ण कार्य करेगा, जिसके कारण इस हाईब्रिड टॉयलेट सिस्टम में सवारी डिब्बों के शौचालयों में फिट किए गए बायो-डायजेस्टर, ऑन-बोर्ड डाइजेशन से पहले और अपशिष्ट पदार्थ के निपटान के बाद तक लगातार काम करते रहेंगे। रेलवे के अनुसार रेलवे टॉयलेट का यह हाइब्रिड सिस्टम सभी श्रेणी की ट्रेनों में लागू होगा। 
23July-2018
 


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