गुरुवार, 26 जुलाई 2018

तकनीकी इस्तेमाल से रेल हादसों में आई कमी



कारगर साबित हो रही हैं ‘मेक इन इंडिया’ में विकसित प्रणालियां
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
रेलवे के कायाकल्प करने के लिए सुधार की योजनाओं के तहत रेल संरक्षा व सुरक्षा को उच्च प्राथमिकता के साथ आधुनिक एवं  नवीनतम तकनीकी का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसके कारण रेल हादसों में कमी होने का भी दावा किया जा रहा है।
रेल मंत्रालय के अनुसार रेलवे सुरक्षा हेतु नवीनतम प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के लिए ‘मेक इन इंडिया’ के तहत विकसित की गई प्रणालियां भी शामिल हैं। इन तकनीक युक्त प्रणाली में अगली गाड़ी को लाइन क्लीयर की अनुमति देने से पहले मैनुअल हस्तक्षेप के बिना और मानव तत्व को कम करने के लिए गाड़ी के पूरी तरह से आगमन सुनिश्चित करने हेतु ब्लॉक खंड के स्वतचालित क्लीपयरेंस (बीपीएसी) के लिए रेलवे ने गत 31 मई तक 5117 एक्सल काउंटरों की व्यवस्था की है। वहीं मेक इन इंडिया के तहत सहायक चेतावनी प्रणाली (एडब्ल्यूएस) नामक स्वचालित गाड़ी सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली को फिलहाल मध्य रेलवे के 240 किमी रेलमार्ग और पश्चिम रेलवे 124 किमी रेलमार्ग के अलावा मुंबई उपनगरीय खंड के 364 किमी रेलमार्ग में काम कर रही है। इसी प्रकार रेलवे का मानवशक्ति के स्थान पर विद्युत साधनों द्वारा रेलपथ अधिभोग के सत्याचपन हेतु संरक्षा बढ़ाने के लिए संपूर्ण रेलपथ भी मई तक करीबअ 5989 स्टेटशनों पर पूरा करने का दावा किया गया है। मंत्रालय के मुताबिक स्व्चालित गाड़ी सुरक्षा प्रणाली (ईटीसीएस चरण-2) को भारतीय रेल के संपूर्ण बड़ी आमान नेटवर्क के 60 हजार किमी रेलमार्ग के कार्यान्वयन हेतु मौजूदा वित्तीय वर्ष के निर्माण कार्यक्रम में शामिल किया गया है।
समपारों की इंटरलॉकिंग
रेलवे के अनुसार दुर्घटनाओं से बचने के लिए सिगनल वाले समपार फाटकों को सुरक्षित करने हेतु इस दौरान 11057 समपार फाटकों की इंटरलॉकिंग पूरी कर दी गई है। वहीं योग्य रेलपथ घटक दोषों की पहचान करके रिकार्डिंग करने में सक्षम एकीकृत रेलपथ मॉनिटरिंग प्रणाली (आईटीएमएस) को स्थापित किया गया है और रेल पटरियों में आंतरिक दोषों का पता लगाने के लिए सेल्फो प्रोपेल्ड अल्ट्रा सोनिक रेल टेस्टिंग (एसपीयूआरटी) का इस्तेमाल किया जा रहा है। मंत्रालय के अनुसार प्वागइंट और सिगनलों के मामलों में 5781 स्टेयशनों में मानवीय विफलताओं को समाप्त करने और पुरानी यांत्रिक प्रणाली को बदलने के लिए केन्द्रीकृत परिचालन सहित इलेक्ट्रिकल/इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली मुहैया कराई जा चुकी है।  
रेल हादसों में कमी
भारतीय रेलवे में सुरक्षा व सरंक्षा के लिए की जा रही पहल के तहत रेलवे ने नवीनतम तकनीकी के इस्तेमाल के बाद रेल हादसों में कमी आने का भी दावा किया है। रेल मंत्रालय के अनुसार बीते वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान केवल 73 दुर्घटनाएं दर्ज की गई, जिनमें आपस में टक्कर की तीन, बेपटरी की 54, चौकीदार वाले फाटको पर तीन मानवरहित फाटकों पर 10 और आग लगने की तीन घटनाएं शामिल हैं। जबकि इससे पहले 2016-17 में 104, 2015-16 में 107, और 2014-15 में 135 रेल हादसे हुए थे। 
21July-2018

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