सोमवार, 20 दिसंबर 2021

साक्षात्कार. साहित्य दर्पण नहीं, दीपक की रोशनी है: अशोक बत्रा

हिंदी व्याकरण पर पुस्तकें लिखकर पाया सर्वश्रेष्ठ लेखक का सम्मान 
-ओ.पी. पाल 

व्यक्तिगत परिचय 

नाम:डॉ अशोक बत्रा 
जन्म: 2 अक्टूबर 1956 
जन्म स्थल: सोनीपत 
शिक्षा: एम.ए.(हिंदी) हिंदू कॉलेज सोनीपत, एम.फिल (कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय), पीएचडी(रोहतक विश्वविद्यालय) 
संप्रत्ति: पूर्व प्राचार्य, श्री लालनाथ हिंदू कॉलेज रोहतक। 
रियाणा साहित्य अकादमी द्वारा वर्ष 2019 के लिए दो लाख रुपये के आदित्य अल्हड़ हास्य सम्मान से सम्मानित किये गये प्रख्यात लेखक एवं कवि डा. अशोक बत्रा ने हिंदी साहित्य के क्षेत्र में अपनी लेखनी के जरिए साहित्य का प्रसार करते हुए अब तक हजारों निबंध, आलेख, सैकड़ो लघु कथाएं, सैकड़ो कविताएं लिखकर हजारों लाखो पाठकों और कवि सम्मेलनों के मंच से अपनी कविताओं श्रोताओं के दिलों में तो अपनी खास जगह बना चुके हैं। वहीं हिंदी साहित्य के क्षेत्र में वे ऐसे साहित्यकारों की फेहरिस्त में शामिल हैं, जिन्होंने हिंदी व्याकरण पर पुस्तकें लिखकर सर्वश्रेष्ठ लेखक का सम्मान प्राप्त किया हैं। वे एनसीईआरटी द्वारा हिंदी व्याकरण लेखन के लिए गठित लेखक मंडल के भी सदस्य हैं, जिनकी हिंदी व्याकरण एवं रचना पुस्तकें पाठ्यक्रमों में शामिल हैं। मसलन हिंदी और साहित्य का प्रसार करके उन्होंने श्रेष्ठ साहित्य के लेख और प्रसारण को कहीं अधिक महत्व दिया है। हरियाणा के प्रसिद्ध साहित्यकार एवं कवि डॉ. अशोक बत्रा ने हरिभूमि संवाददाता से हुई खास बातचीत में अपने हिंदी साहित्य क्षेत्र के सफर के अनुछुए पहुलओं को बेबाक साझा किया। 
प्रदेश के सोनीपत निवासी प्रसिद्ध कवि, लेखक एवं प्रसिद्ध भाषाविद् डा. अशोक बत्रा का मानना है कि हिंदी साहित्य की अलग अलग सभी विधाएं समाज को दिशा देने का काम करती हैं। वे साहित्य को दर्पण नहीं, बल्कि दीपक मानते है। उनका कहना है कि सच्चा साहित्यकार तुलसी, सूर और दिनकर जैसे हैं जो अंधेरे को अंधेरा कहकर संतुष्ट नहीं होते, बल्कि दीये की रोशनी बनकर अंधेर को छांटते हुए नई राह तलाशते हैं और प्रेरणा और गति के संदेश देते हैं। उनका प्रयास यही रहता है कि हिंदी की श्रेष्ठ कविताएं देश की युवा पीढ़ी के हृदय में कैसे रचे बसें, श्रेष्ठ कहानियों को पढ़ने का शौंक कैसे जगे, भारत के श्रेष्ठतम साहित्य का जन जन के हृदय तक प्रसार कैसे हो, इसके लिए उन्होंने पिछले करीब दो दशक के दौरान दिनकर काव्य पाठ ,रामायण महाभारत प्रश्नोत्तरी, श्रीराम काव्य पाठ प्रतियोगिता, विवेकानंद प्रश्नोत्तरी, काव्य अंताक्षरी, 1857 के स्वतंत्रता संग्राम पर राष्ट्रीय स्पर्धा, कहानी एवं कविता प्रश्नोत्तरी के अलावा अपने साहित्यक प्रतियोगितांए आयोजित करवाई हैं। हिंदी समीक्षा पर उनकी तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और काव्य मंचों पर 500 से अधिक के कवि सम्मेलनों में काव्य पाठ किया है। साहित्य लेखन की प्रेरणा उनमें विद्यार्थी अवस्था से ही जगी हुई है, जो निबंध लेखन प्रतियोगिताओं में हमेशा अव्वल ही रहे हैं। अनेक अखिल भारतीय निबंध प्रतियोगिताएं जीतकर डा. अशोक बत्रा ने हिंदी साहित्य को गति देते हुए समाज को नई दिशा देने का काम किया है। 
डा. अशोक बत्रा ने राजकीय कालेज महेन्द्रगढ़ में सेवा कार्य करने के अलावा 33 वर्ष तक हिंदू कॉलेज सोनीपत में अध्यापन का कार्य किया और ढ़ाई साल हिंदू कॉलेज रोहतक में प्राचार्य के रूप में सेवाएं दी हैं। साहित्य लेखन की प्रेरणा उनमें विद्यार्थी अवस्था से ही जगी है और वे निबंध लेखन प्रतियोगिताओं में हमेशा अव्वल ही रहे हैं। अनेक अखिल भारतीय निबंध प्रतियोगिताएं जीतकर डा. अशोक बत्रा ने हिंदी साहित्य को गति देते हुए समाज को नई दिशा देने का काम किया है। पिछले चार दशक से वे प्रतिष्ठित शैक्षणिक प्रकाशक लक्ष्मी पब्लिकेशंस के लिए निरंतर लेखन कार्य करते आ रहे हैं। उन्होंने एनसीईआरटी तथा अन्य प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थाओं द्वारा आयोजित हिंदी भाषा सम्मेलनों में शताधिक बार व्याकरण विशेषज्ञ के रूप में वक्तव्य प्रसारण भी किया। कविता के क्षेत्र में 500 से अधिक कवि सम्मेलनों में काव्यपाठ कर श्रोताओं को अपनी ओर आकर्षित किया। टीवी सीरियल 'वाह वाह क्या बात है' में दो बार काव्य-प्रस्तुति कर चुके डा. अशोक बत्रा ने कहा कि जहां तक उनकी निजी काव्य-प्रेरणा है, तै जहां जहां पीडा, असंतोष या अन्याय देखते हैं, लेखनी की तलवार उठा लेते हैं और जहां करूणा और प्रेम सद्भाव देखते हैं वहां लेखनी को निर्झर बना लेते हैं। जहां होठों की मुस्कान बनने और चेहरों की लाली बनने के लिए हास्य के ताब खोदने लगता हूं, जिसमें मुझे चेहरे नहाकर मुस्करा दे। 
प्रकाशित पुस्तकें 
डा. अशोक बत्रा की व्याकरण पर आधारित पुस्तकों में नवयुग हिंदी व्याकरण, आधुनिक हिंदी व्याकरण और तीन भागों में विशेष हिंदी व्याकरण पुस्तकें विद्यार्थियों का ज्ञानवर्धन कर रही हैं। देशभर में कक्षा छह से बारहवीं कक्षा तक उनकी हिंदी व्याकरण एवं रचना की करीब 50 पुस्तकें पाठ्यक्रम में शामिल हैं। उनकी अन्य पुस्तकों में आधुनिक हिंदी मीडिया लेखन(संचार की विधाएं) एवं हिंदी रचना, सन सत्तावन, तेजपुंज विवेकानंद, प्रेरणापुंज विवेकानंद, रामचंद्र शुक्ल के दो निबंध, रामचंद्र शुक्ल के निबंध(व्यक्तित्व एवं कृतित्व) भी प्रचलन में हैं। वहीं उन्होंने अपनी धर्मपत्नी संतोष बत्रा के साथ सुरभि हिंदी पाठ्यक्रम पुस्तक, सुरभि हिंदी पाठ्यक्रम पुस्तक(प्रवेशिका), जवाहर नवोदय विद्यालय(इंग्लिश मीडियम) व सरल हिंदी व्याकरण तथा रचना भी लिखी हैं। इसके अलावा उनकी संपादित पुस्तकें भी पाठकों के बीच हैं, जिनमें कुछ शिक्षक कवि (2 भाग), हिंदी की सर्वश्रेष्ठ 25 कहानियाँ भी सुर्खियों में हैं। उन्होंने कुबेरनाथ राय के ललित निबंध पर शोध कार्य भी किया। राष्ट्रीय कवि संगम नामक संस्था का राष्ट्रीय महामंत्री एवं भाषा-संस्कार नामक संस्था का अध्यक्ष डा. अशोक बत्रा हिंदी साहित्य में किसी पहचान के मोहताज नहीं है। उनके निर्देशन अनेक शोधार्थियों ने एम फिल, अनुवाद तथा पी.एच.डी. की है। 
पुरस्कार व सम्मान 
एनसीईआरटी के लेखक, शिक्षाविद् एवं भाषाविद् डा. अशोक बत्रा को हरियाणा साहित्य अकादमी ने वर्ष 2019 के लिए दो लाख रुपये के आदित्य अल्हड़ हास्य सम्मान से नवाजा है। फेडरेशन ऑफ एजुकेशनल पब्लिशर्स इन इंडिया (एफईपीआई) द्वारा उन्हें उत्कृष्ट व्याकरण लेखन के लिए वर्ष 2005 का विशिष्ट लेखक सम्मान दिया गया है। संस्कार भारती और सांस्कृतिक विभाग पंचकूला द्वारा कला विभूति सम्मान, हिंदी साहित्य संगम द्वारा हिंदी साहित्यश्री सम्मान, पंडित महेन्द्र प्रता स्मृति काव्य पुरस्कार (देहरादून) के अलावा उन्हें गंभीर साहित्य से अधिक हास्य कविताओं के लिए असंख्य ख्याति और पुरस्कार मिले और अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जाता रहा है। 
नए कीर्तिमान की राह पर 
राष्ट्रीय कवि संगम का राष्ट्रीय महामंत्री होने के नाते डा. अशोक आगामी एक मार्च 2022 महाशिवरात्रि को श्रीलंका से चलकर देश के 252 स्थानों को छूते हुए 40 प्रमुख श्रीराम विचरण स्थलों पर विराट कवि सम्मेलन करते हुए 10 अप्रैल 2022 को रामनवमी पर अयोध्या पहुंचेंगे, जहां भारत की सभी 22 भाषाओं और हंदि की सभी बोलियों के 600 कवि दिन रात काव्य पाठ करते हुए 130 घंटे लंबे काव्यपाठ का विश्व कीर्तिमान बनाएंगे। वह इस प्रतियोगिता की योजना के सूत्रधारों में से एक हैं, जिसे वे एक सौभाग्य मानते हुए अपने जीवन की सार्थकता करार देते हैं। 
संपर्क:847,सेक्टर14,सोनीपत(हरियाणा)-131001,ईमेल-ashokbatra.ashok@gmail.com,
मोबाइल-+918168115258 
20Dec-2021

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