सोमवार, 20 दिसंबर 2021

मंडे स्पेशल: शीत लहर के बावजूद हरियाणा के रैन बसेरों में बेसहरा लोगों का टोटा!

कड़ाके की ठंड में दानियों के इंतजार में सड़कों पर सोने के मजबूर हैं लोग 
प्रदेश में रैन बसेरों में सभी मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने में जुटी संस्थाएं 
ओ.पी. पाल.रोहतक। लगातार हो रही बर्फबारी के चलते पूरा उत्तरी भारत शीत लहर की चपेट में है। कड़ाके की ठंड के कारण हरियाणा में भी पिछले पांच दिनों से हाड़ फोड़ सर्दी कहर बरपा रही है। इसके चलते लोग अपने घरों में दुबकने को मजबूर हैं। बाजार सुनसान हैं और सड़कों पर इक्का दुक्का वाहन ही नजर आ रहे हैं। सबसे बेहाल वे लोग हैं जिनके पास अपना आसियाना नहीं है। प्रशासन और सामाजिक संस्थाओं ने हर जिला मुख्यालय और शहरों में रैन बसेरों को इंतजाम किया है। लेकिन इसके बावजूद लोग सड़को के किनारे फुटपाथों पर सोने को मजबूर हैं। एक तरफ तो प्रशासन का कहना है कि लोग रैन बसेरों में नहीं आ रहे हैं। दूसरी ओर आमजन को रैन बसरों की जानकारी ही नहीं है। प्रदेश के कई शहरों में रैन बसेरों में बहुत ही बेहतर व्यवस्थाएं की गई हैं, लेकिन आमजन के न पहुंचने के कारण ये व्यवस्थाएं बेकार साबित हो रही हैँ। यही कारण है कि लोग सड़कों पर सोते व ठंड से कहराते दिखाई दे रहे हैं। सड़को पर सो रहे लोग रैन बसेरों की जानकारी न हो ने की बात कहते हैं, वहीं दूसरी तरफ सामाजिक संस्थाओं का कहना है कि लोग रैन बसेरों में आना नहीं चाहते और कड़ाके की ठंड में भी सड़कों पर दानी लोगों के आने का इंतजार करते रहते हैं ताकि वे आए और उन्हें कुछ दे जाएं। इसलिए लोग रैन बसेरों में नहीं आ रहे हैं। 
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प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सर्दी बढ़ने और शीत लहर की संभावना के मद्देनजर 30 नवंबर को ही सभी जिला प्रशासन को निर्देश दिये थे कि शहरों में जरूरत के मुताबिक रैन बसेरों का निर्माण करना सुनिश्चित किया जाए और कोई व्यक्ति खुले आसामन के नीचे सोता मिले तो उन्हें रैन बसेरा में पहुंचाने की व्यवस्था की जाए। हालांकि प्रदेश के सभी शहरी क्षेत्रों में पहले से ही लाखों की लागत से अनेक स्थायी रैन बसेरा बने हुए हैं, जिनमें गद्दे, रजाई और खान पान जैसी सुविधाएं मुहैया कराने के इंतजाम भी किये गये हैं। वहीं बढ़ती सर्दी व ठंड में अस्थायी रैन बसेरा बनाने और उनका संचालन कर रहे प्रशासन, नगर निगम और रेडक्रास सोसाइटी, हरियाणा रोडवेज, सामाजिक संस्थाएं व धार्मिक संस्थाएं लोगों को ठंड से बचाने की तैयारियों में जुटी हुई हैं। प्रदेशभर के शहरों में हरिभूमि संवाददाताओं ने रात्रि के समय शहरों का भ्रमण करके कड़ाके की इस ठंड में रैन बसेरों के अलावा जो हालात देखे, उसमें कई शहरों में रैन बसेरों में तमाम सुविधाओं के बावजूद आमजनों के पहुंचने का टोटा दिख रहा है जबकि रात्रि के समय सड़को के किनारे सोते लोग ज्यादा नजर आ रहे हैं। मसलन प्रदेश के ज्यादातर शहरों में बनाए गये रैन बसेरों में बेसहारा लोगों और रात्रि विश्राम के लिए मुसाफिरों के आने का इंतजार किया जा रहा है।
रैन बसेरों का निरीक्षण करने में जुटे अधिकारी 
प्रदेश के जिलों व शहरों में बनाए गये रैन बसेरों में की गई व्यवस्था का जायजा लेने के लिए प्रशासनिक अधिकारी, नगर निगम, नगर परिषद, जिला रेडक्रास सोसाइटी के पदाधिकारी लगातार निरीक्षण कर रहे हैं। कई रैन बसेरा में सुविधाओं को मुहैया कराने की व्यवस्था कराने की कार्यवाही कर रहे हैं। कई शहरों में तो निरीक्षण के दौरान रैन बसेरा में ताला जड़ा हुआ मिला, तो किसी जगह सफाई व्यवस्था चरमाई मिली। कई शहरों में निरीक्षण के दौरान यह भी पाया गया कि नगर परिषद ने सर्दी का समय नजदीक आने पर कुछ महीने पहले उसकी सफाई तो करवाई, लेकिन रैन बसेरे में अभी तक कोई कर्मचारी नियुक्त नहीं किया गया है। ऐसे में अधिकारी संबन्धित कर्मचारियों को चेतावनी तक भी दी जा रही है, ताकि रैन बसेरा में लोगों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जा सके। इसी कारण शहर में रात्रि के समय लोग दुकानों के नीचे बने छज्जे तथा फुटपाथ का सहारा लेने को मजबूर हैं। 
रेलवे स्टेशनों व बस स्टैंड पर रैन बसेरा 
प्रदेश के हरेक शहरों में रेलवे स्टेशनों व बस स्टैंड और इनके आसपास रैन बसेरों का इंतजाम है, जिनमें ज्यादातर वे मुसाफिर रात्रि को ठंड से बचने के लिए विश्राम करते हैं, जिन्हें आगे का सफर करना होता है। दूसरी ओर इन रैन बसेरों में सुविधाओं के अभाव में बेसहारा लोग आने से कतरा रहे हैं और वे सड़कों पर सोने को मजबूर है, जिसमें उनका स्वार्थ भी है, क्योंकि ऐसी सर्द रातों में सामाजिक संस्थाएं और दानी लोग गरीबों को कंबल, गर्म वस्त्र और अन्य मदद के लिए सक्रीय हो जाते हैं। रेलवे स्टेशनों में ओवर ब्रिज या प्लेटफार्म पर भी रात्रि में लोग सो रहे हैं, जहां सक्रीय सामाजिक संस्थाएं कंबल और गर्म कपड़ो को वितरण करने में जुटी हैं वहीं खाद्य सामग्री की सुविधा भी दी जा रही है। 
रैन बसेरा बनेंगी रोडवेज बसें 
प्रदेश के कई शहरों में यह भी देखा गया है कि हरियाणा रोड़वेज बस स्टैंड पर रैन बसेरा के रूप में पोर्टा कैबिन संचालित किये जा रहे हैं। रोहतक समेत कई जिलों में हरियाणा रोड़वेज परिवहन ने लोगों को ठंड से बचाने की इस मुहिम में यह भी फैसला किया है कि यदि आवश्यकता पड़ी तो स्टैंड पर खराब खड़ी रोडवेज बसों का इस्तेमाल भी रैन बसेरा के रूप में किया जाएगा। हालांकि कई शहरों में यह भी देखा गया है कि बस स्टैंड या सड़क पर खड़ी बसों में भी ठंड से बचने के लिए लोग सो रहे हैं। 
जागरूकता का अभाव 
प्रदेश में सभी जिला प्रशासन विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से लोगों को इस कड़ाके की ठंड से राहत देने के प्रयास में जुटा है, लेकिन प्रशासन और सामाजिक संस्थाओं का मानना है कि संचालित किये जा रहे रैन बसेरों में आश्रय लेने वालों की कमी के पीछे जागरूकता का अभाव भी हो सकता है। इसके पीछे यह कारण भी सामने आया है कि रैन बसेरों की दूरी को लेकर भी लोग ठंड के कारण आसपास धर्मशालाओं या कुछ लोगों द्वारा मामूली दाम पर चारपाई व बिस्तर मुहैया कराने वालों के यहां रात गुजारना पसंद करते हैं। 
20Dec-2021

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