सोमवार, 20 दिसंबर 2021

मंडे स्पेशल: कर्ज के दलदल में फंसे हरियाणा के लाखों किसान

45 लाख धरतीपुत्रों पर 79 हजार करोड की देनदारी 
हर साल 2.5 लाख हो रहे हैं बैंक डिफाल्टर, आढ़ती का कर्जा इससे अलग 
ओ.पी. पाल.रोहतक। सरकार ने अन्नदाता के उत्थान के लिए दर्जनों योजनाएं शुरू कीं, लाखों जतन किए गए, हर संभव प्रयास हुआ। इसके बावजूद किसानों का कर्ज कम होना तो दूर लगातार बढ़ता जा रहा है। किसानों के लिए सरकार की बीज, खाद, कृषि यंत्रों, पशुधन, मत्स्यपालन, बागवानी और वैकल्पिक फसलों व सिंचाई के लिए अनुदान, सब्सिडी और फसल बीमा योजना जैसी कोशिशें ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही हैं। हालात ये हैं कि प्रदेश के 44,95,805 किसानों पर 78,311.43 हजार करोड़ से भी ज्यादा का कर्ज का बोझ है। धरतीपुत्र कर्ज के दलदल में ऐसा फंसा है कि निकलने की कोई राह नजर नहीं आ रही। कर्ज का ये आंकडा केवल बैंकों का है। आढ़तियों की भारी भरकम देनदारी का तो कोई हिसाब किताब ही नहीं है। कर्ज में करहा रहे धरतीपुत्रों की हालत ये हो गई है कि हर साल 2.5 लाख किसान बैंक डिफाल्टर हो रहे हैं। प्रदेश में अब तक डिफाल्टर हो चुके किसानों की तादात 88 फीसदी से भी ज्यादा हो गई है। प्राइवेट बैंक तो पहले से ही किसानों से मुंह मोड़ चुके हैं, अगर यूं ही चलता रहा तो सरकारी संस्थान भी इन्हें कर्ज देने से इनकार कर देंगे।
प्रदेश में किसानों की आय को दो गुना करने की ऐसी सभी कोशिशों के बावजूद पांच साल पहले किसानों पर यह कर्ज करीब 56,336 करोड़ कर्ज था। इनमें करीब 8.75 लाख किसान ऐसे हैं, जिन्होंने कॉमर्शियल बैंक, भूमि विकास बैंक, सहकारी समितियों से भी कर्ज ले रखा है। हालात यहां तक हैं कि प्रदेश के करीब 75 फीसदी किसानों की जमीन बैंकों और सहकारी समितयों के पास गिरवी रखी हुई है। जहां तक सहकारी क्षेत्र का किसानों पर कर्ज का सवाल है, उसमें सहकारी बैंकों और समितियों से साल 2014 में 7.38 लाख किसानों ने 3681.26 करोड़ का कर्ज लिया था, जिसका ब्याज की राशि 2894.49 करोड हो गई। ऐसे में सभी किसानों का ओवरड्यू कर्ज बढ़कर 6575.75 करोड़ हो गया, जिसका समय से न चुकाने के कारण साल 2017 तक इन किसानों पर कर्ज बढ़ते हुए 8659 करोड़ हो गया था। ये सभी 7.38 लाख किसान ओवरड्यू कर्ज की राशि 6575.75 करोड़ होने पर डिफाल्टर हो गये। नियम के अनुसार यदि एक किसान समय पर लोन की किस्त जमा नहीं करवा पाता है तो उसे 14 फीसदी ब्याज के साथ पैसा चुकाना पड़ता है और इस तरह लोन की राशि बढ़ती चली जाती है। सहकारी बैंकों का 5 एकड़ तक जमीन वाले किसानों पर अभी भी 3909.73 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है। 
इस जिले 95 फीसदी कर्जदार 
फतेहाबाद जिला और जनसंख्या दोनों ही दृष्टि से भले ही बहुत ही छोटा जिला हो, लेकिन यहां के 95 फीसदी से ज्यादा किसानों ने बैंकों से कर्जा लिया हुआ है। इनमें से कई किसान तो ऐसे हैं जिन्होंने सरकारी समिति बैंकों से भी कर्ज लिया हुआ है। यानी इन किसानों ने दो दो जगहों से कर्जा लिया हुआ है, लेकिन सहकारी समिति बैंक के साथ लैंड मॉर्गेज बैंक के 70 फीसदी से ज्यादा किसान डिफाल्टर घोषित हो चुके हैं। दरअसल एक आंकड़े के अनुसार इस जिले के 97 हजार से ज्यादा किसान कर्ज तले दबे हुए हैं। इनमें से 82 हजार किसानों ने राष्ट्रीय एकीकृत बैंकों से एक से दस लाख रुपये कीमत तक के किसान कार्ड बनवाए हुए हैं। वहीं 25हजार किसान केंद्रीय सहकारी समिति सोसायटी व लैंड मॉर्गेज बैंक के कर्जदार हैं। वहीं अनेक किसानों ने दोनो जगहों से ही कर्ज ले रखा है। 
किसानों पर चौतरफा मार 
हरियाणा का किसान जहां पहले से ही कर्ज में दबा हुआ है, वहीं अब एनजीटी ने उनके दस साल पुराने ट्रैक्टर बंद करने के आदेश देकर उनकी मुसीबतों को बढ़ा दिया है। ऐसे में सवाल है कि कर्ज के बोझ तले दबा किसान नया ट्रैक्टर कैसे खरीदेगा। हालांकि इसके लिए सरकार भी मदद करने को अपनी लागू योजनाओं का लाभ देगी, लेकिन इसका बोझ सीधे किसानों की आर्थिक व्यवस्था को कमजोर करेगा। यही नहीं इस साल कुदरत के कहर ने भी किसानों मेहनत पर जमकर पानी फेरा है यानी इस साल भारी बारिश और ओले से किसानों की फसल बर्बाद हो गई। दूसरे के पेट भरने वाले अन्नदाता अपना पेट काटकर चौतरफा मुसीबतों का ही सामना करने को मजबूर है। 
ब्याज माफी बेमानी 
प्रदेश सरकार ने 1 सितंबर 2019 से शुरू की अपनी एक खास एकमुश्त निपटान योजना के जरिए किसानों के पास कर्ज के रूप में दबा अपना करोड़ों रुपये निकलवा भी लिया है। भले ही इसमें सरकार को ब्याज राशि का खासा नुकसान हुआ है। मगर इस योजना के तहत सरकार ने ब्याज माफी का ये लाभ किसानों को देते हुए तीनों सहकारी बैंकों की कुल 149.856 करोड़ की मूल राशि जरूर रिकवर कर ली है। यह योजना 31 जनवरी को समाप्त हो चुकी है। इस पांच महीने की योजना के दौरान प्रदेश के 4,18,212 किसानों 1439.97 करोड़ का ब्याज माफी किया जा चुका है। 
अपमान भी सहने को मजबूर 
प्रदेश के किसानों की बिगड़ती आर्थिक स्थिति में उन्हें अपमान भी सहने को मजबूर होना पड़ रहा है। मसलन इसी साल जहां यूपी सरकार ने किसानों के कर्ज माफी का ऐलान किया तो वहीं हरियाणा में सहकारी बैंकों से फसली ऋण लेने वाले लाखों किसान कर्ज न चुकाने के कारण डिफॉल्टर होने के कगार पर आ गये है, जिन पर बकाया कर्ज के साथ किसानों की फोटो अखबारों में प्रकाशित कराई जा रही है, वहीं वैंक शाखाओं में ऐसे डिफाल्टर होने वाले किसानों के पोस्टर लगाए जा रहे हैं। 
सरकार का किसानों की मदद का दावा 
हरियाणा की मनोहरलाल सरकार ने किसानों के लिए सरकारी खजाना खोलते हुए 42 लाख किसानों को करीब 11 हजार करोड़ रुपये का लाभ देने का दावा किया है। किसानों को यह लाभ प्रधानमंत्री सम्मान निधि योजना, फसल बीमा योजना, भावांतर भरपाई योजना या फिर प्राकृतिक आपदा से खराब होने वाली फसल का मुआवजा देने के रूप दिया गया। ऐसी आधा दर्जन से अधिक योजनाओं में राज्य के 42 लाख किसानों को अब तक 10,673 करोड़ रुपये की सहायता देने का दावा किया गया है। 
इन योजनाओं का मिला लाभ 
राज्य सरकार के दावे पर गौर करें तो 42 लाख किसानों को अब तक 10,673 करोड़ की मदद में सरकार ने 19.42 लाख किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत 2595 करोड़ रुपये की मदद दी है। जबकि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत राज्य के 18.15 लाख किसानों को 3961 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया। इसी प्रकार प्राकृतिक आपदा से फसल खराब होने की स्थिति में सरकार ने 2765 करोड़ रुपये का मुआवजा प्रभावित किसानों को देने का दावा किया है। सरकार ने भावांतर भरपाई योजना के तहत 4184 किसानों को 10.12 करोड़ रुपये की राहत राशि प्रदान की है। जबकि एकमुश्त निपटान योजना के तहत सहकारी ऋणों के कर्जदार 4.10 लाख किसानों को 1315 करोड़ रुपये की राहत दी गई। इसी प्रकार सरचार्ज माफी योजना में शामिल 1,12,300 किसानों को 24 करोड़ रुपये का लाभ मिला है। जबकि भूमिगत पाइप लाइन स्कीम के तहत 1957 किसानों को 8.34 करोड़ रुपये की राहत प्रदान की गई है। 
06Dec-2021

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