सोमवार, 20 दिसंबर 2021

साक्षात्कार: सात समंदर पार बिखरे हैं कवि मनजीत के हास्य के रंग

हिंदी साहित्य के बहुआयामी प्रतिभाग के धनी हैं कवि 
-ओ.पी. पाल
व्यक्तिगत परिचय
नाम: मनजीत सिंह 
जन्म तिथि: 26 जुलाई 1957
जन्म स्थान: नारनौल(हरियाणा) 
शिक्षा: एमए (अंग्रेजी), पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातक, जनसम्पर्क एवं विज्ञापन में डिप्लोमा। सम्प्रति: सेवानिवृत्त उप जिला शिक्षा अधिकारी ,हरियाणा सरकार। पूर्व प्राचार्य, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, भूपानी, फरीदाबाद (हरियाणा) 
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हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा आदित्य अल्हड़ हास्य सम्मान से नवाजे गये प्रख्यात हास्य कवि सरदार मनजीत सिंह हिंदी साहित्य के ऐसे बहुआयामी प्रतिभाग के धनी है, जिन्होंने देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में अपनी हास्य व्यंग्यात्मक शैली की पहचान बनाई है। मसलन आवाम को हंसाने के लिए उनकी कविताओं में व्यंग्य व रस का समावेश तो है, वहीं उन्होंने सामयिक राष्ट्रीय समस्याओं को भी अपनी व्यंग्य शैली का हिस्सा बनाया है। गुम हुए जीवन मूल्यों को तलाशकर व्यंग्य का रूप देकर उनकी वाणी से आवाम के लिए अपनी हंसी को रोक पाना आसान नहीं है। ऐसे ही हास्य व्यंग्य के जरिए हिंदी साहित्य की मशाल जलाते आ रहे मनजीत सिंह ने हरिभूमि संवाददाता से हुई बातचीत में अपने अनुभवों को विस्तार से साझा किया। हरियाणा के महेन्द्रगढ़ जिले के मुख्यालय नारनौल में सरदार हरनाम सिंह के परिवार में जन्में मनजीत सिंह अपने काव्य के रंग देश के अलावा अन्य 48 देशों में भी बिखेर चुके हैं। आज के आधुनिक युग में युवा पीढ़ी को संदेश में भी उन्होंने व्यंग्यत्मक शैली का भाव दर्शाया। इंटरनेट और सोशल मीडिया के युग में कम उम्र में ही बढ़ती बीमारियों से किताबे ही ही निजात दिला सकती है। उनका कहना है कि समय बदलता है तो सामाजिक परिवेश में भी परिवर्तन संभव है, लेकिन किताबे ही वापस लौटकर आएंगी। हास्य कवि के रूप में बुलंदियां छू रहे मनजीत सिंह ने कहा कि जब वह कक्षा 11 में थे, तो स्कूल के विदाई समारोह में उन्होंने अपनी पहली कविता लिखी, जिसके बाद उनका यह सिलसिला चलता रहा और लोग उनकी हास्य व व्यंग के रूप में लिखी या सुनाई गई कविताएं पसंद करते रहे। उन्होंने आतंकवाद और अन्य राष्ट्रीय समस्याओं पर भी कविताएं लिखी। उनकी मातृभाषा पंजाबी है, लेकिन उन्होंने एमए अंग्रेजी भाषा में की और लिखने के लिए हिंदी भाषा को अपनाया। प्रसिद्ध हास्य कवि सरदार मनजीत सिंह ने 18 साल तक प्रवक्ता और फिर प्राचार्य पद पर अध्यापन का कार्य किया। यही नहीं उनके पास हरियाणा सरकार में उप जिला शिक्षा अधिकारी के रूप में भी 13 वर्ष 3 माह का प्रशासनिक अनुभव है। उन्होंने इस दौरान सरकारी सेवा में मिली किसी भी प्रोन्नति को स्वीकार नहीं किया। अब सेवानिवृत्ति के बाद वे अपने साहित्यक क्षेत्र को विस्तार देने में जुटे हुए हैं। साहित्य क्षेत्र में समाज समाज को दिशा देने वाले मनजीत सिंह ने काव्य संग्रह के साथ उन्होंने व्यंग्य लेख और व्यंग्य कविताओं से परिपूर्ण किताबे भी लिखी हैं। 
प्रकाशित पुस्तकें 
साहित्यकार एवं कवि मनजीत सिंह ने अपनी लिखी 8 पुस्तकों में भी हास्य का रंग बिखेरा है। इनमें सात पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है और आठवीं पुस्तक फिफ्टी-फिफ्टी जल्द ही पाठकों के बीच आने की संभावना है। उनकी प्रमुख प्रकाशित पुस्तकों में शाकाहारी मक्खियां(1993), मेरी शवयात्राएँ(1999), रॉन्ग नम्बर (2003),मॉडर्न पंचतंत्र (2004), बच के रहना (2012),उफ़! ये कम उम्र आंटियां(2014) और नेता जी का पेट(2017) सुर्खियों में हैं। सरदार मनजीत सिंह के काव्य पाठ करने का विस्तार क्षेत्र हैं, जो दूरदर्शन के विभिन्न केंद्रों, सब टीवी, ज़ीटीवी, महुआ टीवी जैसे चैनलों पर भी काव्य पाठ करके लोगों के दिल में जगह बनाए हुए हैं। यही नहीं लाल किला एवं देश के सभी प्रतिष्ठित कवि सम्मेलन में उन्हें काव्य पाठ के लिए आमंत्रित किया जाता है। उनकी कविताएं देश की विभिन्न राष्ट्रीय पत्र और पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होती आ रही हैं। 
पुरस्कार एवं सम्मान 
देश विदेश में अपनी पहचान बनाने वाले हरियाणा के प्रसिद्ध हास्य कवि सरदार मनजीत सिंह को उनकी समाज में साहित्य साधना को देखते हुए हरियाणा साहित्य अकादमी ने उन्हें दो लाख रुपये के वर्ष 2017 के आदित्य-अल्हड़ सम्मान से नवाजा है। पिछले माह नवंबर में उन्हें प्यारेलाल भवन दिल्ली में आयोजित एक समारोह में काका हाथरसी ट्रस्ट ने वर्ष 2019 के लिए एक लाख रुपये के ‘काका हाथरसी हास्य रत्न सम्मान’ से सम्मानित किया। इसके लिए उन्हें सम्मान पत्र, एक लाख रुपये की राशि का चेक, शॉल और स्मृति चिह्न भेंट किया गया। इससे पूर्व वर्ष 2009 भारतीय कॉन्सुलेट जनरल न्यूयॉर्क द्वारा सम्मान दिया गया। जबकि उन्हें वर्ष 2015 में भारतीय कॉन्सुलेट जनरल वैंकूवर,कैनाडा, वर्ष 2018 में भारतीय कॉन्सुलेट जनरल दुबई, यू.ए.ई., वर्ष 2010 में अखिल विश्व हिन्दी समिति न्यूयॉर्क, हिंदी साहित्य सभा टोरोंटो में कैनेडियन हिन्दू कल्चरल सोसाइटी ऑफ कैम्ब्रिज एंड गुएल्फ और अखिल विश्व हिंदी समिति टोरोंटो, कैनाडा द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। इससे पहले वर्ष 2004 में इंडिया क्लब मस्कट, ओमान द्वारा सम्मान हासिल करने वाले मनजीत सिंह को वर्ष 2005 में युवा अट्टहास, लखनऊ सम्मान मिला, तो वहीं जूनियर चैंबर्स, सिलीगुड़ी बागडोगरा में विनोद वरिधर सम्मान और राष्ट्रीय आत्मा स्मारक समिति कानपुर द्वारा पं-गंगा सेवा-विंध्यवासिनी पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। साहित्यिक योगदान के लिए उन्हें लायंस क्लब दिल्ली तथा यूथ फार डवलपमेंट, नई दिल्ली विभिन्न कवि सम्मेलनों और समरोह में वे अनेक सम्मान से पुरस्कृत किये जा चुके हैं। 
विदेशों में भी छोड़ी छाप 
देश के प्रसिद्ध हास्य कवि सरदार मनजीत सिंह के काव्य पाठ इतने गुदगुदाने और हंसाने वाले हैं कि उन्हें विदेशों के कार्यक्रमों में भी आमंत्रित किया जाता है। इसके लिए कई दर्जन साहित्यक एवं सांस्कृति विदेश यात्राएं कर चुके हैं। मसलन वे सबसे ज्यादा 2003 से 2018 तक काव्य पाठ हेतु संयुक्त अरब अमीरात के दुबई की यात्राएं कर चुके मनजीत सिंह ने कुवैत में भी काव्य पाठ करके वहां के लोगों के दिलों में जगह बनाई हैं। कुवैत में भी अमेरिका की एक दर्जन यात्राएं करके उन्होंने विभिन्न शहरों में आयोजित विचार गोष्ठियों और काव्य गोष्ठियों में भागीदारी की है। कैनाडा की चार साहित्यक यात्राओं में उन्होंने विभिन्न शहरों में काव्य पाठ किया। थाईलैंड की तीन काव्य यात्राओं के अलावा मस्कट ओमान में दो बार काव्य पाठ किया। जबकि इंडोनेशिया की यात्राओं में उन्होंने जकार्ता और पूर्वकर्ता में आयोजित साहित्यक आयोजनों में हिस्सा लिया। 
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संपर्क: 1179, सेक्टर 28, फरीदाबाद-121008, मोबाइल 9810372543, ईमेल : kavimanjit@yahoo.com 
06Dec-2021

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