सोमवार, 27 दिसंबर 2021

चौपाल: हरियाणवी संस्कृति में सामाजिक प्रेरणास्रोत बने संगीतकार सतीश वत्स

अध्यात्म की धारा से संस्कृति को कर रहे समृद्ध 
-ओ.पी. पाल 
हरियाणवी संस्कृति को अपनी विविध कलाओं के जरिए संजोने में लगे कलाकारों में सतीश वत्स एक ऐसा नाम है, जो आध्यात्मिक संगीत की कला से हरियाणवी संस्कृति के परोधा के रूप में अपनी अलग ही पहचान बना चुके हैं। यही नहीं उन्होंने प्रशासनिक क्षमता को भी अपनी ईमानदारी और कर्तव्य निष्ठा के साथ निभाकर एक मिसाल कायम की है। इसी प्रशासनिक क्षमता और कला के हुनर ने उन्हें सात समुंदर पार तक ऐसी पहचान दी, जिसमें संयुक्त राष्ट्र का अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार लेने वाले वे हरियाणा के अकेले कलाकार हैं। हरियाणा संस्कृति को अपनी संगीत कला के माध्यम भजनों का प्रसार व प्रचार करने में जुटे सतीश वत्स ने संगीत कला को पूरे विश्व में गुंजायमान करने वाले उस्ताद अमीर खां व उमराव सिंह निर्दोश जैसे अनेक ऐसे हरियाणवी संगीतकारों को भी तलाशकर वृत्त चित्र तैयार करके उन्हें समाज के सामने परिचित कराया है, जिनके बारे में आमजनो को उनकी हरियाणवी होने की जानकारी तक नहीं थी। संगीत कला और एक कुशल प्रशासन की ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के साथ सामाजिक सेवा करने वाले कलाकार एवं आकाशवाणी केंद्र रोहतक के निदेशक सतीश वत्स ने हरिभूमि संवाददाता के साथ हुई खास बातचीत में कई ऐसे पहलुओं को उजागर किया है, जो समाज को प्ररेणा भी देते हैं। 
नैतिक मूल्यों की जरुरत 
प्रदेश के आकाशवाणी केंद्र रोहतक के निदेशक सतीश वत्स एक प्रशासनिक अधिकारी होने के साथ संगीत कला के हुनर से परिपूर्ण कलाकार है, जो हरियाणवी संस्कृति को पुनर्जीवित करने में जुटे हुए हैं। मूल रूप से करनाल जिले के कुंजपुरा गांव के परिवार से ताल्लुक रखने वाले सतीश वत्स का जन्म एक जुलाई 1962 को महाराष्ट्र के नासिक शहर में हुआ, जहां उनके पिता आर्मी में सिक्योरिटी प्रेस में तैनात रहे। उन्होंने बीए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, एमए महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक तथा एमफिल दिल्ली विश्वविद्यालय से की है। वत्स ने बताया कि वह दस साल के थे तो जींद में रामलीला के मंच पर वे श्रीराम का अभिनय करते थे और आठवीं कक्षा में उनकी कला को उनके अध्यापक बलबीर सैनी ने पहचाना तथा रोहतक रेडियो को चिठ्ठी लिखकर मुझे छोटा सा रेडियो सिंगर बनने का मौका मिला। इसी प्रकार फिल्मी सितारों की शाम कार्यक्रम में जींद में उन्होंने किसी बड़े मंच पर पहला हास्य गीत गाते हुए सबको आकर्षित किया। संगीत की कला को बेहतर बनाने के लिए वह गुडगांव में शास्त्री संगीत के अध्यापक के पास भी गये। उनके संगीत की कला को हौंसला मिला और वह अध्यात्मिक भजनों और गजलों के जरिए हरियाणवी संस्कृति को नई दिशा देने में जुट गये। 
विदेशों में बिखेरा रंग 
सतीश वत्स का मानना है कि नई पीढ़ी को नैतिक मूल्यों की आवश्यकता है, जिसके लिए भजनों का प्रसार प्रचार बेहद जरुरी है। अध्यात्मिक विचारधारा में विश्वास रखने वाले सतीश वत्स का कहना है कि भगवान श्रीराम की तुलसीकृत रामायण एक ग्रंथ नहीं, बल्कि सभी धर्मो का प्रमाण है। वे अतीत में कतई विश्वास नहीं करते और वर्तमान में यकीन रखने वाले सतीश जी ने यूरोपीय कई देशों में भी अपनी संगीत कला के रंग बिखेरे हैं, जिन्हें ऑडिशन बोर्ड दिल्ली ने भी ए-श्रेणी के संगीतकार की मान्यता दी है। भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान पुणे से भी सतीश चन्द्र वत्स को मूलभूत दूरदर्शन निर्माण तथा तकनीकी प्रचालन पाठ्यक्रम के कार्य निष्पादन का प्रमाण पत्र मिला। वहीं उन्हें वर्ष 1995 में संयुक्त राष्ट्र से अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार के रूप में वर्ल्ड फूड डे अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। 
कला के प्रति जागरूकता 
प्रसार भारतीय में प्रशासनिक सेवा में रहते हुए भी सतीश वत्स ने समाज सेवा और हरियाणवी संस्कृति को सर्वोपरि रखा। उन्होंने भारतीय शास्त्री संगीत के पुरोधा तानसेन पर कार्य करने के मकसद से मध्य प्रदेश में उनके गांव बेहट तक गये, जहां उनका खंडहर महल है। तानसेन पर वृत्तचित्र तैयार करके उन्होंने आमजन को सदभावना का वह संदेश दिया, जहां तानसेन की इच्छा अनुसार मोहम्मद गौस के मकबरे के समीप तानसेन की समाधि बनी हुई है। उन्होंने पोप गायक दिलेर मेहंदी जैसे कई कलाकारों पर वृत्तचित्र तैयार करके प्रसारित कराए हैं। उन्होंने संगीत के क्षेत्र में हरियाणा के ऐसे कलाकारों व संगीतकारों को भी तलाशकर उन पर कार्यक्रम तैयार किये हैं, जिनके बारे में लागों को उनका हरियाणवी होने की जानकारी तक नहीं थी। संगीत के उस्ताद अमीर खान रोहतक के कलानौर के थे, जिनके पुत्र शबाज खान टीवी सीरियल टीपू सुल्सान में हैदर अली की भूमिका निभाई है। इसी प्रकार हरिओम शरण द्वारा गाये गये ‘तेरा राम जी करेगा बेडा पार’….गीत के लेखक उमराव सिंह निर्दोश के नाम से भी समाज को परिचित कराया जो सांपला के रहने वाले थे। उमराव ने अनेक भक्ति गीत लिखे हैं, जिसके बारे में साहित्यकार मधुकांत ने काम करके उन्हें गुमनामी से बाहर किया। सतीश वत्स ऐसे गुमनाम हरियाणवी पुराधाओं पर काम करने और करने वालों को सौभाग्य मानते हैं। उनका कहना है कि ऐसे कलाकारों के नाम से उनके गृह स्थलों पर उनकी तर्ज पर कार्यक्रम कराने की परंपरा शुरू होनी चाहिए। 
हिसार दूरदर्शन केंद्र को दी नई दिशा 
संघ लोकसेवा आयोग से 1988 बैच से दिल्ली दूरर्शन में हरियाणा कार्यक्रम के लिए चयनित सतीश वत्स ने एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी के रूप में अपनी अहम भूमिका निभाई। उनकी पहली नियुक्त रोहतक रेडियो स्टेशन में हुई। दिल्ली दूरदर्शन केंद्र से जब उन्हें 1 नवंबर 2002 से शुरू हुए दूरदर्शन केंद्र हिसार में मार्च 2015 में निदेशक के रूप में नियुक्ति मिली तो वहां देखा गया कि इस केंद्र से पिछले 13 साल तक कार्यक्रमों का प्रसारण दैनिक आधार पर नहीं किया गया। उन्होंने इस केंद्र को क्षेत्रीय चैनल के रूप में विस्तार देने के प्रयास शुरु किये और केंद्र सरकार से बिना कोई बजट मांगे एक नवंबर 2015 दूरदर्शन केंद्र हिसार को प्रदेश का पूर्ण क्षेत्रीय चैनल के रूप में अपग्रेड किया गया, जो उनकी बड़ी उपलब्धि थी। अब यह केंद्र सोमवार से शनिवार को दोपहर 3.00 बजे से शाम 7.00 बजे तक और रविवार को शाम 6.30 से 7.00 बजे तक प्रसारित करता आ रहा है। 
कोरोनाकाल में बने मिसाल 
हरियाणा के संगीतकार सतीश वत्स अपनी कला के जरिए समाज को नई दिशा देने में जुटे हुए हैं। प्रसार भारती के अधिकारी ने सामाजिक जागरूकता के लिए जिस तरह से अपनी परवाह किये बिना अहम भूमिका निभाई, वह एक मिसाल बनी। जनता कर्फ्यू से लेकर लॉकडाउन के बावजूद हिसार दूरदर्शन केंद्र के निदेशक सतीश वत्स ने बिना स्टाफ और बिना किसी सरकारी सहयोग के निरंतर गतिशीलता बनाए रखी। अपने बलबूते पर लॉकडाउन के विभिन्न चरणों में बरतने वाली सावधानियां, सरकारी नीतियां, आत्मनिर्भर अभियान, कोरोना योद्धाओं की दूरदर्शन के माध्यम से हौंसला अफजाई की और समय समय पर केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा पारित किये गये विभिन्न आदेशों, सुझावों और क्रियाओं को केंद्र में रखते हुए दूरदर्शन हिसार हेतु अनेक जनजागरण कार्यक्रम न कवेल तैयार किये, बल्कि उन्हें समय मांग के अनुसार बारंबार प्रसारित भी किया। इस दौरान दूरदर्शन पर प्रसारित करने के लिए हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज का साक्षात्कार खुद के वाहन से अंबाला जाकर लिया। यही नहीं अनेक प्रतिष्ठित राजनीतिज्ञों, विश्वविद्यालयों के कुलपितयों, कई जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों, खिलाड़ियों और योग जैसे विशेषज्ञों के साक्षात्कार अपने बल पर लेकर उनका समाज की जागरूकता और आशा के नवदीप दिखाने के लिए किया। मसलन दूरदर्शन केंद्र हिसार के कोरोना महामारी जैसे संकट में सर्वाधिक कार्यक्रम पूरे भारतवर्ष में दूरदर्शन केंद्र हिसार से प्रसारित किये गये। खास बात ये भी है कि ये सभी कार्यक्रम उन्होंने अपने आवास के एक कमरे को स्टूडियों के रूप में सीमित संसाधनों एवं कैमरे सहित विभिन्न आवश्यक उपकरण जुटाकर विधिवत तैयार किये। उनका यह संघर्ष जारी रहा, जबकि वे खुद कोरोना संक्रमित होकर रोहतक के एक अस्पताल में भर्ती रहे।
27Dec-2021

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