मंगलवार, 4 जनवरी 2022

साक्षात्कार: लेखन के लिए साहित्यिक पुस्तकें पढ़ना जरुरी: गुलशन मदान

मुम्बई में रहकर फिल्म गीत लेखन, पटकथा एवं संवाद लेखन में व्यस्त
-ओ.पी. पाल 
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व्यक्तिगत परिचय 
नाम: गुलशन मदान 
जन्म: 18 जनवरी 1961 
जन्म स्थल: कैथल (हरियाणा)। 
शिक्षा: कला स्नातक, आर.के.एस.डी. कॉलेज कैथल(हरियाणा)।
संप्रत्ति: भारतीय स्टेट बैंक मुंबई से अधिकारी पद से सेवानिवृत्त। 
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हरियाणा के प्रसिद्ध साहित्यकारों में शामिल ग़ज़ल के सशक्त हस्ताक्षर गुलशन मदान की लेखन क्षमता विभिन्न विधाओं में बॉलीवुड तक सुर्खियों में हैं,जो लघु कथा, कविता, क्षणिकायें, दोहे और गजलें लिखकर एक विविध आयामी प्रतिभा के धनी साबित हो रहे हैं। खासतौर से ग़ज़ल के क्षेत्र में उन्होंने जो प्रसिद्धि अर्जित की है उससे ग़ज़ल के क्षेत्र में नए आयाम तो पाठकों और श्रोताओं के सामने मुखर हुए, वहीं वे बॉलीवुड क्षेत्र में भी अपनी लेखनी से मुम्बई में रहकर फिल्म गीत लेखन, पटकथा एवं संवाद लेखन में व्यस्त हैं। यही नहीं वे कई फिल्मों और टीवी सीरियलों में एक चरित्र अभिनेता के रूप में नजर आ रहे हैं, जो उनकी विविध आयाम की कला का परिचायक है। एक बैंक अधिकारी से सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने देश व समाज की सेवा में साहित्य के क्षेत्र के साथ एक कलाकार, संगीतकार और पटकथा और गीत लेखन के कार्य में सक्रीय हैं। अपने साहित्य क्षेत्र के साथ फिल्मी पर्दो तक के सफर में उन्होंने हरिभूमि संवाददाता से हुई बातचीत में जिन पहलुओं को छुआ है, वह हरियाणा ही नहीं, बल्कि देश और समाज को युग बोध का अहसास कराता है। 
प्रदेश के कैथल में 18 जनवरी 1961 को जन्मे गुलशन मदान ने अपनी कला स्नातक तक की शिक्षा कैथल में हासिल की है। इसके बाद वे नौकरी के सिलसिले में कैथल, करनाल, पानीपत और मुम्बई में रहे। भारतीय स्टेट बैंक में चालीस वर्षों तक सेवा करने के बाद मुम्बई से एक अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त होने पर वह अन्ततः वहीं बस गए। अपने साहित्यिक जीवन के बारे में प्रसिद्ध लेखक एवं गजलकार गुलशन मदान ने बताया कि आजकल वह मुंबई में ही साहित्य लेखन के साथ एक कलाकार, संगीतकार, स्क्रीप्ट लेखक में व्यस्त होकर देश व समाज की सेवा में जुटे हुए हैं। उन्होंने विज्ञापनों में मॉडलिंग के अलावा करीब आधा दर्जन टीवी सीरियलों में विभिन्न चरित्रों के किरदार में अभिनय भी किया हैं। नई पीढ़ी के लिए उनका कहना है कि मोबाइल और इंटरनेट पर व्यस्त होने के बजाए अच्छा साहित्य पढ़े और जो भी कुछ वे लिखना चाहते हैं उसके लिए उन्हें अच्छे साहित्य और अन्य ज्ञानवर्धक पुस्तकों को पढ़कर अध्ययन करना भी जरुरी है, तभी वे इलेक्ट्रॉनिक्स मीडिया या अखबार की सुर्खियां बनकर प्ररेणा ले सकते हैं। 
रियाणा के गुलशन मदान एक ऐसे युग प्रेरक साहित्यकार है जिनकी ग़ज़लों में युग-विशेष (प्रेरक) साफतौर से नजर आता है और अपनी वाणी युग से बंधे होने के बावजूद कालजयी है। अपने युग के प्रत्येक पहलु सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, धार्मिक, सांस्कृतिक सभी पर अपनी लेखनी चलाई है। अपनी ग़ज़लों में धार्मिक रूढ़ियों एवं प्रदर्शन के वर्णन में भी उन्होंने संस्कृति और सभ्यता जैसे शब्दों का प्रयोग किया है। गुलशन मदान के छः ग़ज़ल सग्रहों में मनोवैज्ञानिक,सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, समाज से जुडे़ अनेक मुद्दों को उठाने का प्रयास किया है। यही नहीं उनकी गजलों में गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी, आदि का वर्णन आर्थिक युग बोध के अन्तर्गत किया गया है। मसलन सामाजिक युगबोध में गांव से नगरों का पलायन, संयुक्त परिवारों के विघटन, दाम्पत्य सम्बन्धों के बदलते प्रतिमान, नारी की स्थिति में परिवर्तन, युवा पीढ़ी सामाजिका के दोहरे मानदण्ड जैसे विभिन्न विषयों को भी उठाने में प्रेरक बने। गुलाशन मदान की ग़ज़लों में कुण्ठा, निराशा, आन्तरिक द्वन्द्व, अजनबीपन, नशा, अराजकता, उभोक्तावाद, गरीबी, महंगाई, निराशा, आन्तरिक बेराजगारी, न्यायापालिका आदि अनेक मुद्दों के अलावा साक्षात रूप से युग बोध समाज की अनेक समस्याओं का समावेश रहा है। 
प्रकाशित पुस्तकें 
प्रसिद्ध साहित्यकार एवं लेखक गुलशन मदान की ग़ज़ल, कहानी, लघुकथा, उपन्यास, दोहा संग्रह, हास्य व्यंग्य, बाल गीत एवं अनुवाद कृतियों सहित करीब सभी विधाओं में 19 पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं और हाल ही में ऐमाज़ॉन पर भी उनकी दो ई-पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। उनकी प्रमुख पुस्तकों में गजलों की धूप के इश्तिहार, कुछ कदम फुटपाथ पर, सुलगती रेत पर, क़तरे में समन्दर, अधखुली खिड़कियाँ, कागज की नाव, गुलशन की चर्चित ग़ज़लें के अलावा ग़ज़ल के आईने में गुलशन (लेखक की ग़ज़लों पर शोध प्रकाशित) शामिल है। हाल ही में ऐमाज़ॉन पर भी उनकी दो ई-पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। जबकि कहानी संग्रह में एलबम, साये के साथ साथ और एक बार फिर से के साथ बाल गीत पर फुलवारी और ये प्यारे त्यौहार हमारे, लघुकथा संग्रह-दरअसल, हास्य व्यंग्य-ॐ श्री पुरस्काराय नमः, दो दोहा संग्रह-लाख टके की बात, हिंदी मे काव्यानुवाद-बुल्लेशाह की काफ़ियाँ, स्कन्द पुराण के श्लोकों का हिन्दी काव्यानुवाद-गुरुगीता के अलावा एक उपन्यास-अपने अपने बनवास पाठकों के बीच सुर्खियां बनी हुई हैं। साहित्यकार गुलशन मदान की रचनाओं पर दो बार एम.फिल और एक बार पीएचडी भी हो चुकी है। ग़ज़ल, कहानी, लघुकथा, उपन्यास, दोहा संग्रह, हास्य व्यंग्य, बाल गीत एवं अनुवाद कृतियों सहित करीब सभी विधाओं में उनकी 19 पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। 
पुरस्कार व सम्मान 
हरियाणा के बहु आयामी साहित्यकार गुलशन मदान को हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा श्रेष्ठ कृति हेतु पुरस्कृत एवं वर्ष 2019 के लिए दो लाख रुपये क बाबू बालमुकुंद गुप्त सम्मान से नवाजा गया है। इसके अलावा हाल ही में उन्हें मुंबई में एकता मंच द्वारा उनके उत्कृष्ट काव्य लेखन के लिए वर्ष 2021 के गऊ भारत भारतीय सर्वोत्तम सम्मान से पुरस्कृत किया गया है। अपने काव्य लेखन एवं कला के क्षेत्र में समाज के लिए उत्कृष्ट कार्य करने के लिए अनेक संस्थाओं द्वारा सैकड़ों पुरस्कार और सम्मान मिल चुके हैं। दूरदर्शन एवं आकाशवाणी के लिए प्रसार भारती द्वारा मान्यता प्राप्त यानि एप्रूड शायर भी बने और राष्ट्रीय स्तर के समाचार पत्रों व काव्य संग्रहों में अनेकानेक रचनाएँ भी प्रकाशित हुई। अनेक कवि सम्मेलन और मुशायरों में मंच संचालन के साथ साथ काव्य पाठ भी करते रहे और खूब सराहे गए। 
बॉलीवुड में भी बड़े लेखक 
सुपार्श्व गायक भूपिंदर और मीताली की एलबम 'तू साथ चल' व 'कुछ इंतज़ार है' (यूनिवर्सल कंपनी) एवं फ़िल्म सुपार्श्व गायिका साधना सरगम की एलबम 'मेरे नाम लिखना' (टी सीरीज़) में उनकी गज़लें रिलीज़ हुई हैं। आजकल कई टीवी सीरियल और फिल्मों में चरित्र अभिनेता के रूप में दिखाई देते हैं और मुम्बई में ही फिल्म गीत लेखन, पटकथा एवं संवाद लेखन में व्यस्त हैं। शीघ्र रिलीज़ फ़िल्म 'ए काश के हम' एवं 'काके' के लिए दो-दो यानि उनके चार गीत उनके लिखे हुए रिकॉर्ड हुए हैं। आकाशवाणी के रोहतक केन्द्र और दूरदर्शन केन्द्र जालंधर से साहित्यकार मदान की ग़ज़लों का गायन प्रसारित हुआ है और इन ग़ज़लों को अकाशवाणी व दूरदर्शन के कलाकारों ने भी गाया है। 
संपर्क :1002, लक्ष्मी केलिस्टा, प्लॉट 283, जवाहर नगर , गोरेगांव (वेस्ट) मुंबई – 400104 मोबाइल: 9729799988/9896199988 
03Jan-2022

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