सोमवार, 17 जनवरी 2022

साक्षात्कार: साहित्यिक सेवा में निहित है समाज हित: विकेश निझावन

हिंदी साहित्य और हिंदी की समृद्धि के लिए न्यौछावर किया जीवन 
---ओ.पी. पाल 
व्यक्तिगत परिचय 
नाम: विकेश निझावन 
जन्म: 7 अक्टूबर 1949 
जन्म स्थान: अम्बाला शहर (हरियाणा) 
शिक्षा: एम.ए. (हिन्दी) पंजाब विश्वविद्यालय, दो वर्ष का फारमेसी में डिप्लोमा, पत्रकारिता एवं एक वर्ष का सॉयन्टालोजी का कोर्स। 
संप्रत्ति: 15 वर्षों का दवा विक्रेता 'कैमिस्ट' का अनुभव।557-बी, सिविल लाइन्स, अम्बाला शहर। 
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रियाणा साहित्य अकादमी द्वारा साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए वर्ष 2017 के लाला देशबन्धु गुप्त सम्मान से नवाजे गये साहित्यकार, पत्रकार एवं लेखक विकेश निझावन एक ऐसे साहित्यकार हैं, जिन्होंने अपना पूरा जीवन हिंदी साहित्य और हिंदी की समृद्धि के लिए न्यौछावर कर दिया। हाल ही में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने उन्हें पत्रकारिता मानव सभ्यता में प्रमुख योगदान के लिए फैलोशिप दी है। संगीत के क्षेत्र में गहन पकड़ रखने वाले निझावन चित्रकारी में भी निपुण हैं, जिन्होंने साहित्य क्षेत्र की विभिन्न विधाओं में समाज को दिशा देने के लिए अपनी लेखनी के जरिए देश विदेश में ख्याति हासिल की है। समाज हित के लिए साहित्यिक सेवा करने में जुटे अपनी बहुमुखी प्रतिभा के धनी प्रसिद्ध साहित्यकार विकेश निझावन ने हरिभूमि संवाददाता के साथ हुई खास बातचीत के दौरान अपने साहित्यिक और स्वतंत्रत पत्रकारिता के सफर के अनझुए पहलुओं को साझा किया। रियाणा के अंबाला शहर रेलवे रोड के मूल निवासी डॉ. श्याम सुंदर निझावन के घर में 7 अक्टूबर 1949 को जन्मे विकेश निझावन का व्यक्तित्व बचपन से ही गंभीर प्रवृत्ति का रहा और बचपन से ही उनकी साहित्य, कला और बागवानी के क्षेत्र में गहरी रुचि इस बात का प्रमाण है कि 12 साल की उम्र में ही उन्होंने कविता लेखन से साहित्य जगत में कदम रखा। बातचीत के दौरान लेखक एवं साहित्यकार विकेश निझावन ने बताया कि वह कक्षा 7 से ही कविता लिखने लगे और 15 वर्ष की उम्र 1973 में उनकी पहली कहानी ‘जाने और लौट आने के बीच’ तत्कालीन अग्रणी पत्रिका सारिका में प्रकाशित हुई, जिसका अंग्रेजी, गुजराती, मलयालम, तेलगू, पंजाबी और उर्दू जैसी देश की लगभग हर क्षेत्रीय भाषा में अनुवाद भी हुआ। उन्होंने उच्च शिक्षा लेकर फार्मेसी में डिप्लोमा किया और रोजगार की दृष्टि से केमिस्ट शॉप का संचालन किया। साथ ही उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से हिंदी साहित्य में पोस्ट ग्रेजुएशन भी कर लिया। साहित्यिक सफर में निझावन की रचित 200 से भी ज्यादा कहानियां देश के अखबरों व पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। विकेश निझावन की कहानियों व कविताओं में विभिन्न प्रकार की मानवीय कुंण्ठाओं, संत्रास, सामाजिक यथार्थ मध्यवर्गी य जीवन और मानवीय सम्बन्धों आदि विविधता का समावेश नजर आता है। एक लब्ध कथाकार एवं लेखक निझावन ने अपने साहित्यिक रचना संसार में व्यक्ति की भावनाओं और संवेदनाओं का बहुत ही सहज चित्रण किया है। उनकी चित्रकारी की कला जहां उनकी लिखित पुस्तकों में रेखा चित्रों में विद्यमान हैं तो अन्य साहित्यकारों ने भी अपनी रचनाओं में उनके बनाए गये रेखा चित्रों को जगह दी है। हिन्दी के अलावा पंजाबी तथा अंग्रेजी भाषा तथा साहित्य का तो उन्होंने गहन, सूक्ष्म एवं सर्वांगीण अध्ययन-मनन,विवेचन-विश्लेषण किया है। निझावन ने बताया कि वे पिछले 12 साल से पुष्पगंधा के नाम से एक ऐसी कथा पत्रिका का संचालन कर रहे हैं, जिसकी ख्याति देश-विदेश में भी है। उन्होंने बताया कि उनकी रचनों का पिछले करीब साढ़े तीन दशक से आकाशवाणी रोहतक एवं आकाशवाणी कुरुक्षेत्र से नियमित प्रसारण हो रहा है। वहीं कहानियां एक टुकड़ा ज़िंदगी, ऊदबिलाव एवं 'न चाहते हुए' का दूरदर्शन एवं जी चैनल पर नाट्य-रूपान्तर और जालन्धर दूरदर्शन तथा हिसार से अनेक कार्यक्रम एवं चर्चा परिचर्चा में शामिल होना भी उनके लिए किसी उपलब्धियों से कम नहीं है। उनके साहित्य के दायरे इतना विस्तृत रहा कि उन्होंने तीन माह की 'इंग्लैंड' की यात्रा की, जहां उन्होंने विभिन्न स्थलों के बारे में जाना और उस यात्रांत कहानी की लेखनी का विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई। 
पुस्तकों का प्रकाशन 
साहित्यकार विकेश निझावन की अब तक प्रकाशित करीब दो दर्जन पुस्तकों में 12 कहानी संग्रह हैं, जिनमें हर छत का अपना दुःख, महादान, अब दिन नहीं निकलेगा, आखिरी पड़ाव, महासागर, मेरी चुनिंदा कहानियाँ, गठरी, कोई एक कोना, कथापर्व, छुअन तथा अन्य कहानियाँ, सिलवटें और विकेश निझावन की 31 संकलित कहानियां शामिल हैँ। जबकि उपन्यासों में मुखतारनामा और कितने कब्रिस्तान(प्रकाशनाधीन) के अलावा लघुकथा संग्रह में दुपट्टा और कितनी आवाजें (लघुकथा संकलन-सम्पादन) भी चर्चा में है। जबकि छह कविता संग्रह में मेरी कोख का पांडव, एक खामोश विद्रोह, एक टुकड़ा आकाश, शेष को मत देखो, बाल कविताएं प्यारा बचपन (दो भाग) और बचपन के गीत (दो भाग) शामिल है। वहीं पर्यावरण हमारा दोस्त शीर्षक से निबंध के प्रकाशन के अलावा निझावन के अनेक संकलनों में कहानियां एवं कविताएं भी शामिल है। यहीं नहीं 'पेंगुइन' द्वारा प्रकाशित संकलन 'गदर के 150साल' में उनके आलेख भी संकलित हैं। वहीं उन्होंने साहित्यिक पत्रिका 'पुष्पगंधा', 'शुभ तारिका' एवं 'रूपा की चिट्ठी' के अलावा 'दीपशिखा' पत्रिका के 'लोककथा' अंक, 'कितनी आवाजें लघुकथा संकलन का भी संपादन किया है। विकेश निझावन की उपलब्धियों में अंगेज़ी, गुजराती, मलयालम, उर्दू, तेलगु, पंजाबी आदि भाषाओं में अनेक कहानियाँ अनूदित करना है। वहीं 'छुअन तथा अन्य कहानियां' के अलावा पुस्तक महादान का मराठी में अनुवाद करना भी शामिल है। भारत सरकार के निमंत्रण पर महान साहित्यकार मोहन राकेश जी पर शोध का कार्य किया, जिसे सरकार की ओर से पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया। कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी की छात्रा डॉक्टर सोनिया राणा द्वारा उनके जीवन साहित्य पर रिसर्च की गई, जिसे ‘विकेश निझावन जीवन और साहित्य’ के रूप में प्रकाशित किया गया। 
पुरस्कार एवं सम्मान
हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा साहित्यकार विकेश निझावन को वर्ष 2017 के लिए दो लाख रुपये के लाला देशबन्धु गुप्त सम्मान से नवाजा है। इससे पहले हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा उनके कहानी संग्रह 'अब दिन नहीं निकलेगा' और कविता संग्रह ‘एक टुकड़ा आकाश' के अलावा दो कहानियों 'माँ' 'छुअन तथा अन्य कहानियों में महादान को पुरस्कृत किया जा चुका है। हरियाणा साहित्य अकादमी एवं साहित्य कला संगम' से उदयभानू हंस कविता पुरस्कार-2011 का सम्मान और विश्व हिन्दी सहस्त्राब्दी सम्मान लेने का गौरव भी उन्हें हासिल है। उनके उपन्यास 'मुखतारनामा' ने ‘पलाश कहानी प्रतियोगिता' राष्ट्रीय स्तर पर राजस्थान में प्रथम पुरस्कार लिया, जिसके लिए उन्हें जैनेन्द्र व हिमांशु जोशी ने सम्मानित किया। पंजाब में प्रेमचंद प्रतियोगिता में उनकी कहानी ‘उसकी मौत' और दिल्ली की साहित्यिक संस्था से कहानी 'हर छत का अपना दुःख' पुरस्कृत हुई। इसके अलावा साहित्यिक संस्था प्रज्ञा रोहतक, कहानी लेखन महाविद्यालय-अम्बाला के कुरुक्षेत्र शिविर, साहित्य सभा कैथल, रिंजा-शिलां, राष्ट्रभाषा विचार मंच-अम्बाला, सिरसा, फतेहाबाद एवं कुछ अन्य संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया है। मासिक पत्रिका 'कादम्बिनी से राष्ट्रीय स्तर पर कहानी 'पुल के दूसरी ओर' पुरस्कृत की गई। तरंगिनी आदरा, मुम्बई द्वारा 'साहित्य शिरोमणि' पुरस्कार से 2015 में सम्मानित किया गया है। सिनेमेटिक टूरिज्म कांफ्रेंस में हिन्दी लेखन के लिए पंजाब सरकार द्वारा सम्मानित करने के लिए विभिन्न संस्थाएं भी निझावन को सम्मानित कर चुकी हैं। 
स्थायी पता: विकेश निझावन, 557-बी, सिविल लाइन्स, आई. टी. आई. बस स्टॉप के सामने, अम्बाला शहर-
134003 (हरियाणा), मोंब-9896100557/8168724620
17Jan-2022

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