सोमवार, 21 फ़रवरी 2022

मंडे स्पेशल: दबे पांव जानलेवा बन रहा कैंसर

प्रदेश पर शिकंजा कस रहा कैंसर! 
रोहतक, गुरुग्राम, झज्जर, हिसार, जींद कैथल में सबसे ज्यादा मरीज पिछले पांच साल में आए डेढ़ लाख से ज्यादा मरीज, 50 हजार से ज्यादा मौंतें 
ओ.पी. पाल.रोहतक। कैंसर रुपी फन धीरे-धीरे पूरे प्रदेश को शिकंजे में ले रहा है। इस जानलेवा बीमारी के शिकार पीडितों की तादात वर्ष दर वर्ष बढ़ रही है। पुरुषों से ज्यादा महिलाएं इसकी चपेट में आ रही है। प्रदेश के कई जिले तो ऐसे है जहां बीमारी का प्रसार मानक से कहीं ज्यादा है। रोहतक जिले में एक लाख में से 143.9 और गुरुग्राम में 124 लोग कैंसर का शिकार हुए हैं। झज्जर, हिसार, जींद और कैथल जिले में भी यह बीमारी बहुत तेजी से पांव पसार रही है। हालात यह है कि राज्य सरकार ने कैंसर मरीजों को राहत देने के इरादे से 25 हजार पीडितों को प्रति मरीज 2250 रूपये प्रति माह पेंशन का ऐलान किया था, लेकिन महज पांच सालों में ही डेढ़ लाख से ज्यादा लोग कैंसर की चपेट में आ चंके हैं। अकेले साल 2021 में ऐसे मरीजों का आंकडा 30 हजार को पार दर्ज किया गया। हालांकि अभी विशेषज्ञ इसके कारणों को लेकर एक मत नहीं है। कुछ कीटनाशक तो कुछ फास्ट फूड, आधुनिक जीवन शैली को जिम्मेवार ठहरा रहे हैं, लेकिन लगातार बढ रहे मरीजों की संख्या दहशत को कारण बनती जा रही है। 
देश में कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के फैलते जाल में हरियाणा का भी बड़ा हिस्सा शामिल है। प्रदेश में हर साल कैंसर का दायरा बढ़ रहा है। मसलन पिछले पांच साल में हरियाणा में जहां 1.50 लाख से ज्यादा कैंसर के मामले सामने आए हैं, वहीं इन 5 सालों में 54 हजार से ज्यादा कैंसर के काल का ग्रास बन चुके हैं। हालात यहां तक पहुंच गये हैं कि जहां साल 2013 में प्रदेश में कैंसर के 11,717 मामले थे, वहीं साल 2021 में 30015 मामले दर्ज किए गए हैं। सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि साल 2013 में कैंसर के कारण 1845 मौत हुई थी, वहीं साल 2020 में मौत का यह आंकड़ा बढ़कर 16109 पहुंच गया है। इसी माह विश्व कैंसर दिवस पर देश के जारी आंकड़े चौंकाने वाले रहे, जिसमें हरियाणा के आंकड़ो ने ज्यादा चिंता इसलिए बढ़ाई, कि राज्य में महिलाओं में कैंसर तेजी से घात कर रहा है। प्रदेश का कोई भी जिला ऐसा नहीं है, जहां कैंसर का शिकंजा न कसा हो, लेकिन प्रदेश के रोहतक जिला सबसे ज्यादा (143.9) कैंसर प्रभावित है। इसके बाद गुरुग्राम (124.8), झज्जर (109.9), हिसार (105.3), जींद (104.7) और सोनीपत(101.4) में कैंसर का अधिक प्रकोप देखा गया है। गुरुग्राम, झज्जर, हिसार, जींद और सोनीपत ऐसे जिलों में शुमार हैं, जहां एक लाख में से 100 से ज्यादा कैंसर के मरीज हैं। सबसे कम प्रभावित जिलों में पलवल व नूहूं(मेवात) हैं। हिसार समेत कई जिलों में बच्चों को भी कैंसर अपना शिकार बना रहा है। 
रोगियों को सरकार देगी पेंशन 
हरियाणा सरकार ने राज्य में वृद्धावस्था पेंशन की तर्ज पर कैंसर मरीजों को 2250 रुपये की प्रति माह पेंशन देने की योजना लागू कर रही है। सरकार ने इस योजना के पहले चरण में कैंसर, किडनी तथा एचआईवी के 25 हजार रोगियों को इस पेंशन का लाभ देने का ऐलान किया है। इसके लिए राज्य सरकार ने सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों से इस सम्बंध में आंकड़ो के साथ एक रिपोर्ट मांगी है। इसके अलावा पंजीकरण के आधार पर सरकार ने पहले ही हरियाणा रोडवेज की बसों में कैंसर रोगियों के साथ केयर टेकर को फ्री बस पास की सुविधा दे रखी है। इस योजना का लाभ ऐसे मरीज और तीमारदारों को मिलता है जो हरियाणा रोडवेज की बस से मरीज का इलाज अथवा जांच कराने के लिए अस्पताल तक जाते हैं। यही नहीं कैंसर रोगियों को विशेष छूट की श्रेणी में रखते हुए रेल मंत्रालय स्लीपर और एसी-3 टियर में फ्री में सफर करने की सुविधा दे रहा है। हालाकिं विशेष परिस्थितियों में कैंसर रागियों के लिए फ‌र्स्ट क्लास, एसी चेयर और सेकंड श्रेणी कोच में भी सीट आरक्षित करने का नियम बनाया है।
कैंसर रोगियों को सुविधाएं 
प्रदेश में कैंसर रोगियों को बेहतर इलाज की सुविधा के लिए जिला स्तर पर आधुनिक हेल्प डेस्क बनाने की योजना है। जहां कैंसर रोगियों की मदद के लिए टोल फ्री नंबर भी जारी किए जाने की योजना पर काम शुरू हो चुका है। इसके लिए शीर्ष स्तर पर स्वास्थ्य विभाग तैयारियों में जुटा है। राज्य के कई नागरिक अस्पतालों में मरीजों की जांच से लेकर इलाज करने के लिए मैमोग्राफी मशीन, हाई एनर्जी लीनियर एक्सलीरेटर, ब्रेकी थैरेपी और सीटी स्ट्यूमूलेटर जैसी आधुनिक मशीनें भी मुहैया कराई जा तही है। 
मुख्यमंत्री राहत कोष का गठन
हरियाणा में कैंसर रोगियों के इलाज के खर्च को वहन करने के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष बनाया गया है। इस कोष से कैंसर रोगियों के इलाज पर आने वाले खर्च की अनुमाति धनराशि सीधे मरीज अथवा संबंधित अस्पताल के खाते में भेजी जाती है। इसके लिए सिविल सर्जन कार्यालय के माध्यम से उपायुक्त की संस्तुति पर अनुदान की फाइल मुख्यमंत्री राहत कोष से लाभार्थी को भेजी जाती है। 
इसलिए ज्यादा प्रभावित महिलाएं 
प्रदेश में जागरूकता की कमी और सामाजिक कलंक महिलाओं को समय पर निदान के लिए डॉक्टरों से संपर्क करने से रोक रहे हैं। यानी सामाजिक और हरियाणवी सांस्कृति तथा अपनी सांस्कारिक कारणों की वजह से महिलाओं को खुलकर सामने आने और स्तन कैंसर के बारे में चर्चा करने या खुद को निदान कराने में मुश्किल होती है। चिंता और कैंसर के रूप में निदान होने के डर के अलावा उपस्थिति में बदलाव और किसी के शरीर के बारे में अच्छा महसूस न करना भी तनावपूर्ण कारक हैं। यही कमी या संकोच एक संभावित रोगी को मनोवैज्ञानिक रूप से उसे चेक-अप के लिए आने से रोकती है। कैंसर के उपचार के विकल्प कभी-कभी महंगे होते हैं और यह समय पर उपचार के लिए जाने में एक सीमा के रूप में भी कार्य करता है। इसलिए राज्य सरकार बीमारी और उपचार के विकल्पों के बारे में जागरूकता दूर-दूर तक फैलाने की जरूरत पर बल दे रही है। विशेषज्ञों के अनुसार स्तन कैंसर के मामले पांच वर्ष पहले तक 40 से 60 साल की महिलाओं में ही आते थे, लेकिन अब कुंवारी लड़कियों भी इसकी जकड़ में आती जा रही है। खासकर ऐसी लड़कियां जिनकी शादी 30 वर्ष तक नहीं होती।
तीन साल में 11,144 महिलाओं की मौत 
प्रदेश में स्तन कैंसर में कैंसर के मामलों का बहुमत है और गैर-संचारी रोग से पीड़ित महिलाओं में मृत्यु का प्रमुख कारण है। मसलन साल 2018 से 2020 तक तीन साल के दौरान कैंसर से हुई महिलाओं की मौतों मे 11,144 महिलाएं स्तन,गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर और सर्वाइकल कैंसर के कारण अपनी जान गंवा चुकी हैं। इनमे स्तन कैंसर से 4716, गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर से 1964 सर्वाइकल कैंसर से 4464 महिलाएं प्रभावित थी। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार स्तन कैंसर के सभी मामलों में 10 प्रतिशत हिस्सा होता है। ब्रेस्ट, गर्भाशय और सर्वाइकल कैंसर से ज्यादातर मौतें होती हैं। कैंसर से मरने वाले लोगों में महिलाओं का प्रतिशत पुरुषों से अधिक है। 
तंबाकू से ओरल कैंसर 
विशेषज्ञों के अनुसार मुंह के कैंसर के मामलों और इससे होने वाली लोगों की मृत्यु का कारण तंबाकू है। इसके सेवन से पुरुषों में होने वाले 5 मुख्य कैंसर ओरल केविटि, फेफड़े, गला, खाने की नली का कैंसर शामिल है। खासतौर पर इन कैंसर में 40 फीसद कैंसर तंबाकू के अत्याधिक इस्तेमाल के कारण होता है। इसलिए तंबाकू पर प्रभावी नियंत्रण से इन सभी कैंसर से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है। 
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हरियाणा में कैंसर का फैलता मकड़जाल 
वर्ष      मरीज      मौतें 
2013  11,717    1845 
2014  11,776    2715 
2015  13,697   3317 
2016  16,180   3668 
2017  19,385   3987 
2018  27665   15255 
2019  28453   15684 
2020  29219   16109 
2021  30015    -----
21Feb-2022

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