गुरुवार, 3 मार्च 2022

मंडे स्पेशल: देश में सबसे ज्यादा मनरेगा दिहाडी देने में हरियाणा में घटे मजदूर

योजना में सर्वाधिक मजदूरी देने वाला राज्य बना हरियाणा ग्रामीण विकास और ग्रामीण उत्थान में वरदान ‘मनरेगा’ ओ.पी. पाल.रोहतक। प्रदेश में बेकारी-बेरोजगारी का हो हल्ला मचा हुआ है, हर ओर इसकी चर्चा हो रही है। सरकार अपने तर्क दे रही है और विपक्ष आरोप लगा रहा है। इस सबके बीच एक कडवा सच यह भी है कि राज्य में मनरेगा रोजगार मांगने वालों की तादाद में कमी आई है। वर्ष 2020-2021 में जहां मनरेगा के तहत रोजगार मांगने वालों की संख्या 5.23 लाख थी वहीं 2021-2022 में यह घटकर 4.08 लाख रह गई। हालांकि कुछ लोग इसके पीछे उत्तर प्रदेश, बिहार या अन्य राज्य से आकर काम करने वाले मजदूरों के वापस चले जाने को कारण बता रहे है, तो कुछ मजदूरों के मनरेगा से दूर जाने का जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। यह हालात तो तब है, जब देश में मनरेगा सर्वाधिक मनरेगा मजदूरी देने वाला प्रदेश हरियाणा ही है। यहां प्रति श्रम दिवस के 315 रुपये दिए जाते हैं वहीं पडोसी पंजाब में 263 और राजस्थान में 220 रूपये का ही भुगतान किया जा रहा है। 
रियाणा राज्य के सभी जिलों में वर्ष 2008-09 से लागू महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में खर्च होने वाली राशि का 90 प्रतिशत केंद्र और 10 प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकार वहन कर रही है। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए लागू इस योजना का मूल उद्देश्य प्रत्येक ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्य को स्वेच्छा से अकुशल शारीरिक श्रम के तहत एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों का गारंटीकृत मजदूरी रोजगार प्रदान करना है। ग्राम पंचायतों में पंजीकृत ग्रामीण परिवारों को जॉब कार्ड जारी किए जाते हैं। हांलाकि हरियाणा में केद्र सरकार द्वारा सितंबर 2005 में पारित महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 को पहली बार मनरेगा योजना 2 फरवरी 2006 को महेंद्रगढ़ और सिरसा जिलों की सभी ग्राम पंचायतों में लागू किया गया। जबकि एक अप्रैल 2007 को दो और जिलों अंबाला और मेवात में भी लागू कया गया। जबकि 1 अप्रैल, 2008 को यह योजना हरियाणा के शेष सभी जिलों में लागू कर दी गई थी। खास बात ये है। कि इस योजना के तहत सबसे ज्यादा दैनिक मजदूरी हरियाणा में दी जाती है। सरकार ने मनरेगा में पिछले चार साल में 2859 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च कर चंकी है। इस योजना में पुरुष और महिला श्रमिकों के बराबर वेतन दिया जा रहा है। मजदूरी का यह भुगतान श्रमिकों के बचत बैंक या डाकघरों के खातों के माध्यम से साप्ताहिक या पाक्षिक आधार पर किया जा रहा है। 
हर साल घट रही है संख्या
प्रदेश सरकार का दावा है कि प्रदेश में मनरेगा के तहत 12 लाख परिवार पंजीकृत हैं। जबकि हरियाणा में साल दर साल इस योजना के तहत 100 दिनों का रोजगार पाने के लिए पंजीकृत लोगों की संख्याा तो बढ़ी है, लेकिन काम मिलने में मामले में इनकी संख्या् घटती नजर आ रही है। साल 2020-2021 में 5.23 लाख परिवारों पंजीकरण कराकर रोजगार मांगा, जिनमें से 4.57 लाख को काम मिला। जबकि मौजूदा वित्तीय वर्ष 2021-2022 में 4.08 लाख पंजीकृत परिवारों में से दिसंबर 2021 तक 3.31 लाख परिवारों को मनरेगा में रोजगार मिल पाया। इससे पहले साल 2013-14 में पंजीकृत 7,80,025 थी। इसमें 14,103 परिवारों को 100 दिनों का रोजगार मिला था। जबकि 2017-18 में रजिस्टधर्ड परिवार की संख्या बढ़कर 886781 हो गई, जबकि 100 दिनों का रोजगार केवल 3942 परिवार को मिला। साल 2018-19 में प्रदेश में केवल 3783 परिवारों को 100 दिनों का रोजगार मिला है, जबकि इस दौरान पूरे प्रदेश में 9,30,111 परिवार रजिर्स्टसड थे। 
पुरुषों से आगे महिलाएं 
प्रदेश सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के अनुसार प्रदेश में मौजूदा वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान अब तक मनरेगा ₹में 639.86 करोड़ का व्यय किया गया है और ग्रामीण क्षेत्रों में 128.32 लाख श्रम दिवसों का सृजन किया गया है। इन कुल श्रम दिवसों में से 54.03 लाख यानि 42 प्रतिशत अनुसूचित जाति और महिलाओं के लिए 67 लाख यानि 52 प्रतिशत श्रम दिवस रहे। इसके अलावा साल 2020-21 में 185 लाख श्रम दिवस सृजित हुए। जबकि साल 2019-20 के दौरान केवल सात लाख श्रम दिवसों का आयोजन हो सका। इसका कारण कोरोना काल बताया गया है। मसलन साल साल 2020 के मार्च से जून और साल 2021 के अप्रैल से जुलाई माह में एक भी श्रमिक दिवस का सृजन नही हो सका। 
बेरोजगारी भत्ता देने का प्रावधान 
मनरेगा योजना के लिए आवेदन प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर रोजगार उपलब्ध नहीं कराने पर बेरोजगारी भत्ता देय होगा। रोजगार भत्ते की दर पहले तीस दिनों के लिए मजदूरी दर का एक चौथाई और शेष अवधि के लिए मजदूरी दर के आधे से कम नहीं होगी। यदि आवेदक पंद्रह दिनों के भीतर काम के लिए रिपोर्ट नहीं करता है या वित्तीय वर्ष के दौरान परिवार के वयस्क सदस्यों को कम से कम एक सौ दिन का काम प्राप्त होता है, तो बेरोजगारी भत्ता का भुगतान नहीं किया जाएगा। 
संकट मोचक बना कोरोना काल 
प्रदेश को साल 2020 ने पूरी दुनिया के साथ कुछ ऐसे अनुभव दिए कि कोई नहीं भुला सकता। कोरोना संक्रमण की वजह से लगे लॉकडाउन ने हर किसी के जीवन पर जबरदस्त असर डाला और सबसे ज्यादा असर प्रवासी मजदूरों पर हुआ। उद्योग धंधे चौपट होने की वजह से मजदूरों का सबसे बड़ा पलायन शुरू हुआ और प्रवासी मजदूर अपनी कार्यभूमि को छोड़ घर की तरफ पलायन करने लगे। ऐसे में प्रदेश के बेरोजगार मजदूरों के लिए मनरेगा योजना संकट मोचन बनी। इस बात का प्रमाण हरियाणा में भी देखने को मिला। प्रदेश में जो आंकड़े सामने आए वो वाकई हैरान करने वाले रहे। ऐसे समय हरियाणा मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2020 में मनरेगा के तहत दिए जाने वाले रोजगार में साल 2019 की तुलना में करीब-करीब 85 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। हरियाणा में साल 2019 में मनरेगा स्कीम में 3.64 लाख वर्कर्स को काम दिया गया, जबकि साल 2020 में 5.62 लाख लोगों को काम दिया जा चुका है। 
एक समान मजदूरी की सिफारिश 
मनरेगा में प्रतिदिन कामगारों को दी जाने वाली मजदूरी एक समान नहीं है। मनरेगा योजना में काम करने वाले को सबसे ज्यादा 315 रुपये रोज हरियाणा में मिलते हैं, जबकि सबसे कम यह दर सिर्फ 190 रुपए मजदूरी तो छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में है। इसीलिए ग्रामीण विकास मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति ने हाल ही में संसद में पेश अपनी एक रिपोर्ट में सरकार से सिफारिश की है कि मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी दर पूरे देश में एक समान की जाए। वहीं मनरेगा में काम के दिनों को वर्तमान 100 दिनों से बढ़ाकर 150 दिन के रोजगार की गारंटी देने का सुझाव दिया है। इस रिपोर्ट में मनरेगा के लिए आवंटित बजट में लगातार होती आ रही बेहद कमी पर भी समिति ने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की है और कहा कि बजट का आवंटन व्यावहारिक होना चाहिए, ताकि वर्ष के बीच में धन की कमी आड़े न आए। यही नहीं समिति ने मनरेगा को सोशल आडिट, समय पर मजदूरी भुगतान और केंद्र व राज्यों के बीच बेहतर समन्वय पर भी रिपोर्ट में जोर दिया और सरकार को सुझाव दिया कि मनरेगा में जल संरक्षण, हरियाली बढ़ाने और वनीकरण जैसे कार्य भी जोड़े जा सकते हैं, जो पर्यावरण रक्षा के लिहाज से उपयोगी हैं। 
मनरेगा में प्रमुख कार्य 
मनरेगा के तहत कंटूर ट्रेंच, कंटूर बंड, बोल्डर चेक, गेबियन स्ट्रक्चर, अंडरग्राउंड डाइक, मिट्टी के बांध, स्टॉप डैम और स्प्रिंगशेड विकास सहित जल संरक्षण और जल संचयन, वनीकरण और वृक्षारोपण सहित सूखा रोधन, सूक्ष्म और लघु सिंचाई कार्यों सहित सिंचाई नहरें, खोदे गए खेत तालाब, बागवानी, वृक्षारोपण, फार्म बंधन और भूमि विकास, तालाबों से गाद निकालने सहित पारंपरिक जल निकायों का नवीनीकरण, भूमि विकास, बाढ़ नियंत्रण और जल भराव वाले क्षेत्रों में जल निकासी जैसे कार्य शामिल है, जिसमें बाढ़ चैनलों को गहरा करना और मरम्मत करना, चौर का जीर्णोद्धार, तटीय सुरक्षा के लिए तूफानी जल नालियों का निर्माण भी शामिल है। जहां कहीं आवश्यक हो, गांव के भीतर पुलियों और सड़कों सहित सभी मौसमों में पहुंच प्रदान करने के लिए ग्रामीण संपर्क, भारत निर्माण राजीव गांधी सेवा केंद्र का ब्लॉक स्तर पर ज्ञान संसाधन केंद्र के रूप में और ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम पंचायत भवन के रूप में निर्माण के अलावा कृषि से संबंधित वर्मी कम्पोस्टिंग, तरल जैव-खाद, पशुधन संबंधी कार्य मुर्गी पालन आश्रय, बकरी आश्रय जैसे कार्यो में भी रोजगार दिया जाता है। 
28Feb-2022

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