सोमवार, 28 मार्च 2022

साक्षात्कार. संस्कृति निर्माण में साहित्य की अहम भूमिका: राजेश भारती

जापानी काव्य विधा में बाल साहित्य लिखने का अनूठा प्रयास
-ओ.पी. पाल 
व्यक्तिगत परिचय
नाम: राजेश ‘भारती’ 
जन्म: 10 नवंबर 1989 
जन्म स्थान: गांव काकौत, जिला कैथल (हरियाणा) 
शिक्षा: स्नातक 
संप्रत्ति: कविता लेखन और खेती किसानी 
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साहित्य जगत में बाल साहित्य जैसे कठिन लेखन को धार देने वाले गिने चुने साहित्यकारों में ही हरियाणा के रचनाकार राजेश ‘भारती’ एक ऐसे उदयीमान प्रतिभाशाली युवा लेखक एवं कवि हैं, जिन्होंने समाज को नई दिशा देने के लिए भाषा, सभ्यता, संस्कृति और संस्कार के प्रति जागरूकता करने के अलावा राष्ट्रप्रेम, सामाजिक समरसता जैसे सामयिक विषयों पर गंभीरता के साथ सृजनात्मक लेखन को धार दी है। खासतौर से उन्होंने बाल मन को मोहने और बाल पाठकों को परिवार, समाज व देश के प्रति सम्मान की प्रेरणा देते हुए संस्कारों का पाठ पढ़ाने के मकसद से बाल साहित्य को ही अपने रचना संसार का आधार बनाया है। उनके इसी सृजनात्मक लेखन की विभिन्न विधाओं में अपने रचना संसार का विस्तार करने में जुटे युवा रचनाकार को हाल ही में हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा वर्ष 2018 के लिए स्वामी विवेकानन्द स्वर्ण जयंती युवा लेखक सम्मान से नवाजा है। प्रदेश के युवा कवि एवं लेखक राजेश भारती ने अपने अनूठे साहित्यिक सफर के अनुभवों को हरिभूमि संवाददाता से हुई खास बातचीत में विस्तार से अनेक पहलुओं के साथ साझा किया है। 
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रियाणा में कैथल जिले के गांव काकौत के रहने वाले युवा साहित्यकार राजेश भारती का जन्म 10 नवंबर 1989 को पाला राम के घर में हुआ। प्राथमिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल से हुई। इनका व्यक्तित्व शुरू से ही गंभीर प्रवृति का रहा है। स्कूल टाइम से ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बढ़ चढ़ कर भाग लेते रहे हैं। लेकिन पूरा परिवार खेतीबाड़ी के पवित्र कार्य से जुड़ा हुआ है। राजेश भारती भी स्वयं किसानी का कर्म करते हुए लेखन कार्य में इस मकसद से जुटे हैं कि वह हरियाणा के साहित्य क्षेत्र को विश्व पटल तक ले जाया जा सके, क्योंकि संस्कृति निर्माण में साहित्य की अहम भूमिका होती है। उनका कहना है कि कक्षा छह से उन्होंने दसवीं कक्षा तक चार पांच हजार फिल्मी गाने लिखे, उसके बाद उन्होंने समाज व देश के सामयिक विषयों पर कविताएं लिखने का सिलसिला शुरू किया। उनका मुख्य फोकस बाल साहित्य पर रहा है। बाल साहित्य के अलावा इनका लेखन बेटियों और नारी सम्मान के अलावा समाजिक कुरितियों के उन्मूलन और देशभक्ति से जुड़ा हुआ है। बाल साहित्य को आधार बनाकर राजेश भारती ने बालकों परिवार, समाज, व देश के प्रति प्रेम और सम्मान की प्रेरणा देकर उन्हें अपनी बाल कविताओं के माध्यम से साहस, ईमानदारी, मेहनत, सत्यवादी, अहिंसा जैसे गुणों का संचार करना है। जापानी काव्य विधा में बाल हाइकु संग्रह और तांका छंद में बच्चों के लिए जिस प्रकार रचनाएं लिखी है, वह उनका बेहद कठिन, लेकिन अनूठा प्रयास है। इसमें तांका विधा में कविताएं बच्चों को प्रकृति, पशु व पक्षी के प्रति लगाव सिखाता नजर आता है। ऐसे सृजनात्मक लेखन के जरिए बाल जीवन से जुड़ हर छोटे व बड़े पल को उन्होंने हाइकु संग्रह के जरिए बालकों में अपनी संस्कृति और संस्कार भरने का प्रयास किया है। राजेश भारती ने कहा कि हाइकु 5-7-5 ध्वनि घटकों में विभाजित 17 अक्षरों वाली जापानी मूल की वह कविता है, जो तीन पंक्तियों और तांका पांच लाइनों में लिखी जाती है। हाइकु व तांका काव्य विधा की रचनाओं के लिए तो हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध साहित्यकारों और आलोचकों ने आश्चर्य जताते हुए सराहना की है, कि खेती बाड़ी के कार्य में व्यस्त इतना कठिन साहित्य लिखना कैसे संभव हो पा रहा है, जो उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियां हैं। आज के आधुनिक युग में साहित्य की स्थिति के बारे में राजेश भारती का कहना है कि साहित्य का सृजन तो धरती के साथ ही हो रहा है। फर्क केवल इतना है कि इसमें समय के साथ परिवर्तन होते रहते हैं, लेकिन अच्छा साहित्य ही हमेशा जिंदा रहता है। यह बात जरुर है कि इंटनेट, मोबाईल और ईबुक्स के कारण प्रकाशित पुस्तकों पर इस तकनीकी युग में प्रभाव पड़ा है, जिसकी वजह से सोशल मीडिया की बढ़ती अहम भूमिका सामने आती है और लोगों में किताबे पढ़ने की रुचि खासकर युवा पीढ़ी में कम होने लगी है। वह मानते हैं कि आज सोशल मीडिया का बढ़ते प्रभाव के कारण साहित्य के लेखन स्तर में गिरावट भी आई है और हर कोई स्वतंत्र है, तो सोशल मीडिया के जरिए ही कुछ भी कहने को लिखने से नहीं चूकता। यहां तक कि अश्लील से अश्लील शब्द या वाक्य भी सोशल मीडिया पर आसानी से प्रचारित हो जाती है। साहित्य तो एक लंबी साधना है, जो जीवन के आखिर तक करनी पड़ती है। इसके लिए शार्टकट लेना हितकारी नही होता। इसलिए इस आधुनिक युग में आज और भी आवश्यक हो गया है कि बच्चों कोई साहित्य से जोड़ा जाए, क्योंकि साहित्य में ही संस्कार और संस्कृति के साथ जीवन जीने के तौर तरीके और सलीके विद्यमान हैं। 
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पुस्तकें प्रकाशित 
प्रदेश के साहित्यकार राजेश भारती की प्रकाशित करीब आधा दर्जन पुस्तकों में कविता संग्रह ' बेटियां हैं अनमोल', 'बेटी करे पुकार' और 'बिटिया के बस्ते में' हरियाणा साहित्य अकादमी के सौजन्य से 2014 में प्रकाशित हुई हैं। जबकि बाल कविता संग्रह 'मच्छर की शादी' भी बाल मन को खूब मोह रही है। युवा रचनाकार के बाल साहित्य में बालमन को मोहने वाला जापानी मूल की काव्य विधा में लिखा गया बाल हाइकु संग्रह 'आँख-मिचौली' इसलिए सुर्खियों में है कि जापानी विधा का यह बाल कविता संग्रह देश का पांचवा और हरियाणा में पहली बार किसी रचनाकार ने लिखकर बाल साहित्य के क्षेत्र में लोकप्रियता हासिल की है।वहीं हाल ही में एक ओर जापानी काव्य विधा-ताँका पर आधारित 'कच्ची धूप' नामक बाल-ताँका संग्रह बाल पाठकों के सामने आया है, जो जापानी काव्य विधा-ताँका पर यह देश का पहला बाल साहित्य है।
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पुरस्कार व सम्मान 
हरियाणा सरकार ने प्रदेश के युवा साहित्यकार एवं कवि राजेश भारती को पिछले माह फरवरी में हरियाणा साहित्य अकादमी के वर्ष 2018 के लिए स्वामी विवेकानंद युवा लेखक सम्मान से नवाजा गया है। राजेश भारती को साहित्य की विभिन्न विधाओं में लेखन और काव्य पाठ के लिए निर्मला स्मृति हिन्दी साहित्य गौरव सम्मान से सम्मानित (चरखी दादरी), अखिल भारतीय साहित्य मंथन शोध संस्थान दिल्ली से श्री देवेन्द्र माँझी साहित्य शिरोमणि सम्मान, हिन्दी प्रेरक साहित्य संस्था जींद से श्री कमल प्रकाश स्मृति साहित्य रत्न सम्मान हासिल हुआ है। साहित्य सभा कैथल से जुड़े राजेश भारती को मासिक गोष्ठियों और वार्षिक कवि सम्मेलनों में भी एक कवि एवं रचनाकर में अनेकों सम्मान हासिल हो चुके हैं। 
संपर्संक: राजेश भारती सुपुत्र श्री पाला राम, गांव काकौत, जिला कैथल-136027 हरियाणा। मोबाईल:9896992737 28Mar-2022

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