गुरुवार, 3 मार्च 2022

साक्षात्कार: आजादी के अमृत महोत्सव में ‘आल्हा’ हरियाणवी गीत के रचनाकार नाहड़िया

सामाजिक परिस्थितियों से लोक संस्कृति के संरक्षण का दृष्टिकोण मिला 
-ओ.पी. पाल
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व्यक्तिगत परिचय 
नाम:सत्यवीर यादव 
साहित्यिक नाम : सत्यवीर नाहड़िया 
जन्म: 15 फरवरी 1971 
जन्म स्थान: नाहड़, रेवाड़ी (हरियाणा) सैनिक परिवार में शिक्षा:एम.एससी.,बी.एड.,पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर डिप्लोमा 
सम्प्रति: प्राध्यापक (रसायन शास्त्र) शिक्षा विभाग, हरियाणा सरकार 
अभिरुचि:अध्ययन, लेखन, काव्यपाठ, गायन, छायांकन एवं संचालन-संयोजन 
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रियाणा साहित्य अकादमी द्वारा वर्ष 2018 के लिए जनकवि मेहर सिंह सम्मान से नवाजे गये रचनाकार सत्यवीर नाहड़िया प्रदेश के एक ऐसे साहित्यकार हैं, जिन्हे आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत हरियाणा राज्य का आजादी गीत हरियाणवी संस्कृतिक विधा ‘आल्हा’ रूप में लिखने का सौभाग्य हासिल हुआ है। यही नहीं वे उन चुनिंदा साहित्यकारों में शुमार हैं, जिन्होंने गद्य लेखन हिंदी तथा पद्य लेखन हरियाणवी में किया है। उन्होंने साहित्य जगत में सामाजिक, सांस्कृतिक तथा पर्यावरणीय मुद्दों के साथ ही राष्ट्रीयता तथा सामाजिक विसंगतियों पर आधारित बहुआयामी विषयों पर अपनी रचनाधर्मिता को केन्द्रित रखा है। खासतौर से ग्रामीण संस्कृति से तेजी से विलुप्त होती लोकसंपदा तथा लोककलाओं के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु नाहड़िया ने निबंध, शोध आलेख, अध्ययन, गायन, छायांकन, फीचर लेखन, संयोजन, संचालन आदि विधाओं में निरंतर लेखन कार्य किया है। रेवाड़ी जिले के गांव खोरी स्थित राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में रसायन शास्त्र के प्राध्यापक के तौर पर सेवारत सत्यवीर नाहड़िया ने अपने साहित्यिक सफर और अनुभवों को हरिभूमि संवाददाता के साथ हुई खास बातचीत के दौरान साझा किया। ---- केंद्र सरकार की पहल पर केंद्रीय साहित्य अकादमी ने आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत हरियाणा के जिस आजादी गीत को आने वाले समय मे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लांच करेंगे, वह प्रसिद्ध साहित्यकार सत्यवीर नाहड़िया से ही हरियाणवी बोली में लिखवाया गया है, जिसे संगीत नाटक अकादमी संगीतबद्ध कर रही है। हरियाणा में रेवाड़ी जिले के नाहड़ गांव में किसानी संस्कृति के एक सैनिक परिवार में 15 फरवरी 1971 को जन्में साहित्यकार सत्यवीर नाहड़िया के पिता होशियार सिंह यादव भूतपूर्व सैनिक हैं। तीन भाइयों में उनके दोनों अग्रज भारतीय वायु सेना में सेवारत रहे। सैनिक परिवार से राष्ट्रीयता व अनुशासन के संस्कार की वजह से ही शयद उन्हें सामाजिक परिस्थितियों से लोक संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन लेखन तथा विश्लेषण का दृष्टिकोण मिला होगा, तभी तो लोक जीवन के बहुआयामी पक्षों को वैज्ञानिक दृष्टि से विश्लेषण भी उनके रचना संसार के लेखन में देखा जा सकता है। लोकजीवन, किसानी संस्कृति तथा सैन्य परंपरा इसी सामाजिक परिवेश से उन्हें विरासत में मिली। साहित्यकार नाहड़िया का कहना है कि देश और दुनिया में अपने स्वर्णिम सैनिक संस्कृति तथा अनूठी लोक संस्कृति के लिए विख्यात रहे हरियाणा प्रदेश का अनूठा लोकजीवन उनके लेखन की प्रेरणा रही है। प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के लिए सामाजिक, सांस्कृतिक तथा साहित्यिक पहलुओं पर अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करने का मकसद उनके लेखन का हिस्सा रहा है। फिलहाल रेवाड़ी के सेक्टर-1 में रहे साहित्यिक हरफनौला नाहड़िया ने बताया कि नवीं कक्षा में पढाई के दौरान उनकी पहला रचना शीर्षक बताइए प्रतियोगिता में नारानुमी तुकबंदी पहली बार प्रकाशित हुई, उसके बाद वह लिखते ही चले गये। हिंदू कॉलेज सोनीपत व रोहतक के छात्रावासीय छात्रकाल ने लेखन तथा मंच का माहौल मिलने के कारण उन्हे बहुत कुछ निरंतर सीखने को मिला और हरियाणा के हर जिले का प्रतिनिधित्व होने से इस अनूठे प्रदेश की विविधता में एकता के साक्षात दर्शन हुए। यहीं पर रहते हुए खादर, बांगर, बागड़ मेवात, अहीरवाल, ब्रज आदि क्षेत्रों की बोलियां को सीखने व समझने का अवसर भी मिला। सत्यवीर नाहड़िया दोहा, कुंडलिया, आल्हा, रागिनी,मुक्तक चौपाई, कविता आदि विधाओं में हिंदी तथा हरियाणवी की एक दर्जन कृतियां, कुछ संगीत एल्बम्स के अलावा राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में फीचर, लेख, समीक्षा, शोधपत्र तथा स्तंभ लेखन से जुड़े हैं। छायांकन की सफाई में हाथ आजमाते हुए उनी निपुणता जगजाहिर है, जिनके करीब डेढ़ सौ कलात्मक छायाचित्र राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रमुखता से प्रकाशित हुए हैं। वे 17 वर्ष बोड़िया कमालपुर तथा गत 4 वर्ष से खोरी में बतौर रसायनशास्त्र प्राध्यापक रहे नाहड़िया की प्रमुख लेखन विधाओं में दोहा, कुंडलिया, रागनी आल्हा, मुक्तक, निबंध, फीचर, संस्मरण,लेख आलेख तथा समीक्षा शामिल है। 
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प्रकाशित पुस्तकें 
प्रदेश के नामचीन साहित्यकारों में शुमार सत्यवीर नाहड़िया की साहित्य की विभिन्न विधाओं में हिंदी तथा हरियाणवी की करीब डेढ़ दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें प्रमुख रुप से लोक राग(हरियाणवी रागनी-संग्रह) एक बख़त था (हरियाणवी मुक्तक संग्रह), ज़रा याद करा क़ुर्बानी (रेजांगला शौर्य गाथा, आल्हा संग्रह), बख़त बख़त की बात (हरियाणवी दोहा सतसई), गाऊँ गोबिंद गीत (हरियाणवी दोहा सतसई, गीता अनुवाद), चालती चाक्की और नाहड़िया की कुण्डलियाँ (हरियाणवी कुण्डलिया संग्रह), हिन्दी पत्रकारिता के मसीहा गुप्त जी, गुड़ियानी और गुमनामी की पीर (निबन्ध), संत शिरोमणि बाबा रामस्वरूप दास जी: व्यक्तित्व एवं कृतित्व (काव्य संग्रह), पंचतत्त्व की पीर और रचा नया इतिहास (बाल दोहावली), दिवस खास त्योहार (बाल कविता संग्रह), हरियाणवी लोक संस्कृति के आयाम (निबंध), बोल कबीरा बोल (चौपाई-ग़ज़ल संग्रह), ठाड्डा मारै रोवण दे ना (हरियाणवी लघुकविता संग्रह) शामिल हैं। इसके अलावा तीन अन्य कृतियाँ प्रकाशनाधीन हैं। सत्यवीर नाहड़िया चार हरियाणवी फिल्मों में अब तक विभिन्न विधाओं में करीब डेढ़ दर्जन पुस्तकें लिख चुके नाहड़िया हरियाणवी कृतियों में रागनियां पर आधारित लोक राग, हरियाणवी मुक्तक में एक बखत था, हरियाणवी दोहा सतसई बखत-बखत की बात, श्रीमद्भगवत गीता का हरियाणवी दोहों में अनुवाद गाऊं गोविद गीत, आल्हा में हरियाणवी शौर्यगाथा जरा याद करो कुर्बानी तथा कुंडलियां विधा में नाहड़िया की कुंडलियां वह चालती चाक्की, चौपाई-गजल विधा में बोल, कबीरा बोल, ठाड्डा मारै रोवण दे ना आदि शामिल हैं। वहीं अग तक चार हरियाणवी फिल्मों में गीत एवं संवाद लेखन के अलावा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में रचनाकार के समग्र लेखन पर शोध कार्य संपन्न कर चुके हैं। नाहड़िया की पांच हजार से अधिक लेख, रचनाएं, फीचर, शोध आलेख, समीक्षाएं, रचनाएं राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। पिछले एक दशक से एक दैनिक अखबार में हरियाणवी काव्य स्तंभ के स्तंभकार और हरियाणवी इलेक्ट्रॉनिक चैनल एवन तहलका के लिए हरियाणवी रागनी दैनिक स्तंभ लेखन का कार्य करते आ रहे हैं।
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पुरस्कार/सम्मान 
हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा सुप्रसिद्ध साहित्यकार सत्यवीर नाहड़िया को साल 2018 के लिए दो लाख रुपये के जनकवि मेहर सिंह सम्मान से नवाजा है। यह पुरस्कार हाल ही में 24 फरवरी को पंचकूला में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रदान किया। इससे पहले बाबू बालमुकुंद गुप्त सम्मान हासिल करने वाले नाहड़िया देवीशंकर प्रभाकर साहित्य सम्मान, स्व. माता रघुराजी देवी एवं पं. राजकरण शुक्ल स्मृति सम्मान, अंतर्राष्ट्रीय हिंदी साहित्य सेवा एवं शोध संस्थान गुरुग्राम द्वारा लोक साहित्य साधना सम्मान, डॉ. जे. एस. यादव साहित्य सम्मान, साहित्य अनुराग सम्मान, लालसौट, (दौसा, राजस्थान), सरस्वती सम्मान, अहीरवाल गौरव सम्मान, दैनिक भास्कर के फोटोमेनिया अवार्ड के अलावा रसायन शास्त्र प्राध्यापक हेतु राज्य शिक्षक पुरस्कार का सम्मान भी हासिल कर चुके हैं। यही नहीं वे हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित काव्यपाठ एवं स्लोगन लेखन और हरियाणा विज्ञान मंच द्वारा विज्ञान निबंध लेखन में राज्यस्तर पर प्रथम स्थान लेकर अव्वल रहे हैं। वहीं आकाशवाणी तथा दूरदर्शन से उनकी हरियाणवी रचनाएं, हरियाणवी संस्कृति पर आधारित फीचर, शोधपत्र एवं वार्ताएं प्रसारित होते रहे हैं।
संपर्क सूत्र: चाँद-धरोहर, 257, सेक्टर-1, रेवाड़ी (हरियाणा) 01274-222325, 8168507684, 9416711141 
28Feb-2022

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