सोमवार, 7 मार्च 2022

चौपाल: सात समंदर पार हरियाणवी संस्कृति को महकाते रवि शर्मा

मातृभूमि, मातृभषा और संस्कृति को हमेशा सर्वोपरि रहा
(बाततचीत:दिनेश शर्मा) 
हरियाणा के रोहतक जिले के बखेता गांव के रहने वाले रवि शर्मा एक ऐसे विश्व प्रसिद्ध रेडियो एवं टीवी कलाकार के रुप में पहचाने जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी मातृभूमि, मातृभषा और संस्कृति को हमेशा सर्वोपरि रखा है। भले ही वह रोहतक से लंदन तक का सफर करते हुए वदेशी संस्कृति के माहौल में अपनी कला का हुनर बिचोर रहे हों। मसलन लायका मीडिया लंदन ब्रिटेन में रेडियो प्रस्तौता और हेड ऑफ प्रोडक्श न जैसे कला के दायरे मे काम कर रहे हों, लेकिन विदेश रहकर भी उन्होंने अपने संस्कार सनातन धर्म पद्धति, कर्मकांड, पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन कुछ भी नहीं छोडा और न बदलाव आने दिया। हरियाणवी संस्कृति के बीच अभावों में बचपन व्यतीत करने वाले रवि शर्मा ने जिस संकट के दौर को झेला है, बावजूद इसके अमेरीका, रियोलीन, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, जर्मनी, आयरलैंड, थाईलैंड, अफ्रीका आदि लगभग 25 देशों की यात्रा में अपनी कला के हुनर की प्रस्तुति देने के लिए भारतीय, खासकर हरियाणवी संस्कृति के गौरव को झुकने नही दिया। उन्होंने हरियाणवी और हिंदी में धारावाहिकों और फिल्मों में काम करने के साथ-साथ अनेक राग़नी और गीत भी लिखे हैं। अपनी भारतीय संस्कृति से मोह रखने वाले इस बहुयामी प्रतिभा के धनी रवि शर्मा को नवम्बर 2015 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लंदन के वेम्बले फुट्बॉल स्टेडियम लंदन में आयोजित सम्मान कार्यक्रम के संचालन का गौरव प्राप्त हुआ,जिसमें 65 हजार लोग उपस्थित थे। वदेश में वह अपनी कला के हुनर से बढ़ावा देने में हरियाणवी संस्कृति और संस्कार को गौरवान्वित कर रहे हैं। 
प्रसिद्ध कलाकार रवि शर्मा का जन्म 17 जुलाई 1963 को उनके ननिहाल गांव टिटौली जिला रोहतक में हुआ। प्राथमिक शिक्षा गांव टिटौली गांव के स्कूल में हुई। अपना बचपन अभावों में व्यतीत करने वाले रवि शर्मा ने बताया कि उनके पिता को जन्म देते समय मेरी दादी का निधन ही हो गया और पिताजी का पालन-पोषण उनकी ताई ने किया। पारिवारिक सम्पत्ति के नाम पर कुछ भी नहीं मिला सका। शादी के कुछ वर्ष बाद गांव से रोहतक आए तो पिताजी की नौकरी रोहतक प्राइवेट स्कूल में लगी थी। जहां हम एक ही छोटे-से कमरे में रहते थे। फिर हमने माता-पिता के साथ काम भी किया। हमारी मां मजदूरी करने जाती थी तो वह उनके साथ जाता था। हम थोड़े बड़े हुए तो मां से मजदूरी छुड़वाकर हमने खुद काम करना शुरू कर दिया। यहां तक कि उन्हे कई बार रिक्शा भी चलाने के लिए मजबूर होना पड़ा। लेकिन जब उच्च शिक्षा पाने के लिए विश्वविद्यालय पहुंचे तो जीवन ने करवट बदली। रोहतक में रेडियो स्टेशन खुल गया और उसमें मेरा सिलेक्शन हो गया। आकाशवाणी में गया तो वहां ज्यादा पैसा मिलने लगा। मेरी जिंदगी में चल रहा संघर्ष धीरे-धीरे समाप्त हो गया। बातचीत के दौरान रवि शर्मा ने बताया कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र में अध्ययन के दौरान 1980 में मॉरीशस स्थित थिएटर के बाद लंदन में भी एक प्रस्तुति दी। इसके बाद बी.बी.सी. लंदन से रेडियो शुरू की तो वापस मुडकर नहीं देखा। वर्ष 1982 में लंदन से रेडियो की शुरूआत करते ही रवि शर्मा की मेहनत रंग लाने लगी और वे रेडियो के साथ-साथ टीवी पर भी एक कलाकार के रुप में लोकप्रिय रहे। 
ऐसे हुई कलाकार जीवन की शुरुआत 
संगीत और मंच की ओर झुकाव के बारे में उन्होने कहा कि जब वह पांचवी-छठी में पढ़ते थे तो उनका मन पढ़ाई से ऊब गया और उन्होने स्कूल छोड़ दिया। घरवालों ने मुझे दूर के रिश्ते के एक रिश्तेदार के पास मजदूरी करने के लिए भेज दिया। वहां उनके पास 2-3 साल तक कुछ काम किया। फिर तीन साल बाद यह महसूस हुआ कि पढ़ाई बहुत जरूरी है और पढ़ाई के साथ गाना, बजाना, बोलना आदि कलाएं भी। फिर दोबारा स्कूल में एडमिशन ले लिया। आठवीं क्लास में भी पढ़ाई की जगह मेरा ध्यान सांस्कृतिक कार्यक्रमों में ज्यादा रहा। हाई स्कूल में गया तो छोटे मोटे कार्यक्रम जैसे मोनो एक्टिंग आदि चीजों में मेरा ज्यादा रुझान था। फिर पढ़ाई की जगह इन पर ध्यान दिया और इस प्रकार की गतिविधियों में स्कूल में बहुत इनाम स्कॉलरशिप मुझे मिलने लगे। कॉलेज में आते-आते उन्होने देखा कि यह रिक्शा चलाना या मजदूरी करना मेरे लिए जरूरी नहीं है,बल्कि अपनी कला के जरिये गीतों से या लोगों को हंसाकर पैसा कमाया जा सकता है। ऐसा करने से अपना खर्चा निकाल इस कलाकार जीवन की शुरुआत हुई। रवि शर्मा का कहना है कि चाहे रेडियो हो, मंच हो, थिएटर हो, गीत हों या संगीत हो अथवा जो भी कार्य वह कर रहे हैं उनका माध्यम हिंदी ही रहा है। लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग हिंदी कवि सम्मेलन करवाता है जिसमें वह मुझे भी बुलाते हैं। मुझे यह लगता है कि मैंने नहीं बल्कि हिंदी ने मेरी सेवा की और उसने ही मेरा पालन-पोषण किया। क्योंकि पिछले लगभग 40 वर्षों से मैं हिंदी का अपने व्यवसायिक जीवन में प्रयोग कर रहा हूं और हिंदी ने मुझे मान-सम्मान, धन-दौलत सब दिया है। 
लगातार मिला श्रेष्ठ अभिनेता का खिताब 
रवि शर्मा की कला प्रतिभा यहीं से जगजाहिर है, जब एमडीयू रोहतक में स्नातक की शिक्षा के दौरान तीन साल तक श्रेष्ठ अभिनेता का ताज सिर पर बंधा। इसके बाद वर्ष 1979 से 1981 तक कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र में स्नातकोत्तर के बीच 1980 में मॉरीशस में थिएटर करने का मौका मिला और वहीं एक ग्रुप के साथ शूट किया। मॉरीशस से एक कार्यक्रम करने का मुझे अनुबंध प्राप्त हुआ और अपनी पढ़ाई लिखाई जारी रखने के लिए धन जुटाने के साथ स्वाभिमान भी जगा और फिर लंदन में परफॉर्म किया। बी.बी.सी. से रेडियो शुरू किया, तो रेडियो पूरे यूरोप में जाता था और इस तरह से यूरोप में मुझे प्रोग्राम मिलने लगे। इन कार्यक्रमों से मुझे एक्स्ट्रा आय शुरू हो गई। कला के हुनर की वजह से रेडियो के साथ साथ स्टेज शो भी काफी चलने लगे। इस कला से आय होने लगी तो स्वत: ही यह पेशा व्यवसायिक रूप में बदल गया। 
यादगार बना जर्मनी शो
हरियाणा के कलाकार रवि शर्मा की कला का हुनर इस बात का गवाह है, कि वह जर्मनी के एक कार्यक्रम हमेशा याद रखते है। जहां एक हॉल की बैठने की क्षमता 700 लोगों की थी और ज्यादा टिकट की अनुमति प्रशासन से नहीं मिलती थी। पर वहां के ग्रुप ने अतिरिक्त टिकट लगाकर 1100 लोगों के सामने प्रोग्राम करवाया। उस समय वह लोकप्रियता की चरम स्थिति थी। जब मुझे सुनने के लिए और देखने के लिए लोग टिकट खरीदते थे। उन्होने बताया कि 2015 में लंदन के वेम्बले स्टेडियम में पीएम नरेंद्र मोदी के शो कार्यक्रम का संचालन करने का मौका मिला, जहां मोदी जी के आने से पहले 65000 लागों के बीच लोकनृत्य आदि सांस्कृतिक परफॉर्मेंस भी एक उपलब्धियों में गिनी जा सकती है। 
हरियाणवी क्रिकेट कॉमेंट्री 
हरियाणवी संस्कृति की बात की जाए तो 80 के दशक की प्रसिद्ध हरियाणवी क्रिकेट कॉमेंट्री ‘मैं देखण लाग रा सूं ग्राउंड के मैं लोग लामणी छोड़-छोड़ अर क्रिकेट देखन आ रे सैं। नाई का चाल्या गिंडो ले कै, नाई के न गिंडो बगाई अर सुरते नै मारी थापी गिंडो गई बाउंड्री लाइन कानी 4 रन खातर। मेरे बेटे नै रेल बना दी गिंडो की भाई, लाला केदारनाथ ने बही खोल खाते मैं चार रन लिख दिए..।’ से लेकर धारे जिब पहुंचया इंग़्लैड, देशी का पव्वा, कईं हरियाणवी राग़नी बहुत पसंद की गई हैं। रवि ने बताया कि हमने यहां लंदन में हरियाणा एसोसिएशन का गठन भी किया है। इसके उद्देश्य यहां हरियाणवी सांस्कृतिक कार्यक्रम कराना और हरियाणवी को बढावा देना है। हम पिछले 28 वर्षों से हरियाणा एसोसिएशन के मंच पर हरियाणा दिवस मनाते आ रहे हैं। उनका कहना है कि असल में हरियाणवी संस्कृति और भाषा एकदम अलग हैं। फिर हमारे तीज त्योहार भी अपने आप में विशेष ही हैं। कहते हैं ना आप किसी हिंदुस्तानी को हिंदुस्तान से बाहर निकाल सकते हैं लेकिन हिंदुस्तान को हिंदुस्तानी के दिल से बाहर नहीं निकाल सकते। सच तो यह है कि आप भारत में बसते हैं और भारत हमारे दिल में बसता है। 
लंदन में कर्मकांडी ब्राह्मण का किरदार 
लंदन में पंडित रवि शर्मा का एक अलग किरदार है। जिसका परचम पूरे यूरोप में घूमता है। जो कुछ लोग जानते हैं वह शादी का मुहर्त निकलवाने के लिए उनका इंतजार करते हैं। उनका कहना है कि रोहतक गुरु जी के आश्रम में रहते हुए उन्होंने सनातन धर्म में होने वाले सारे पूजा-कर्म सीखे हैं। यहां वर्ष भर होने वाले सारे हिंदू कार्यक्रमों में सहभागिता के लिए मेरा प्रयास रहता है। उनका लगातार यही प्रयास है कि विदेश में रहने वाले भारतीय अपने संस्कारों और अपनी संस्कृति से जुड़े रहें। 
प्रमुख सम्मान/पुरस्कार 
यूके हिंदी समिति द्वारा संस्कृति सेवा सम्मान (2002), हरियाणा सरकार द्वारा हरियाणवी संस्कृति प्रचार-प्रसार सम्मान (2009), भारतीय उच्चायोग लंदन द्वारा आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी यूके हिंदी मीडिया सम्मान (2013), हाउस ऑफ कॉमन्स ब्रिटिश पार्लियामेंट लंदन में प्रवासी समाचार द्वारा प्रवासी संसार पत्रकारिता सम्मान (2016), हरियाणा सरकार द्वारा प्रदत्त प्रवासी हरियाणा गौरव सम्मान (2017), ब्रिटिश पार्लियामेंट में संस्कृति युवा संस्था द्वारा भारत गौरव अवॉर्ड (2019)। 
 07Mar-2022

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