ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश
में बढ़ते र्इंधन के खर्च और प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए केंद्र
सरकार ने एक मेगा योजना का खाका तैयार किया है, जिसमें देशभर में चलने वाली
डीजल और पेट्रोल चलित वाहनों को दो साल में इलेक्ट्रिक मोड पर लाने का
लक्ष्य रखा गया है।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय
की हरित राजमार्ग नीति का मकसद यही है कि देशभर के राष्ट्रीय राजमार्गो एवं
अन्य सड़कों को हराभरा बनाकर पर्यावरण को बढ़ावा दिया जाए। इसी के साथ सड़कों
पर दौड़ने वाले वाहनों को भी वैकल्पिक र्इंधन से जोड़ने की मेगा योजना में
निर्णय लिया गया है कि दो साल के भीतर देशभर में डीजल व पेट्रोल से चलने
वाले लाखों वाहनों को इलेक्ट्रिक यानि ई-वाहनों में तब्दील कर दिया जाए,
जिससे प्रदूषण की समस्या से निपटा जा सकेगा और वहीं र्इंधन पर होने वाले
खर्च की लागत भी कम हो सकेगी। मंत्रालय के अनुसार केंद्रीय मंत्री नितिन
गड़करी ने इस योजना के तहत इसरो के साथ करार को भी अंतिम रूप दे दिया है, जो
लिथियम इओन बैटरी तैयार करेगा, जो वैज्ञानिक पद्धति पर चार्ज होगी और इसे
कनवर्ट करके हर प्रकार के परिवहन वाहन में इस्तेमाल की जा सकेगी। मंत्रालय
का अनुमान है कि ऐसे ई-वाहन की लागत भी कम हो जाएगी। सरकार को उम्मीद है कि
दो साल के भीतर कम से कम 1.5 लाख बसों जैसे वाहनों को इलेक्ट्रिक मोड पर
लाने की तैयारी है और इसमें सफलता मिल जाएगी। गडकरी ने पहले भी इस परिवहन
प्रणाली को लागू करने पर कुछ अन्य मंत्रालयों से भी विचार-विमर्श किया है,
जिसके लिए मंत्रालय में एक मसौदा भी तैयार किया जा रहा है। इस मसौदे को एक
प्रस्ताव के रूप में संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में संसद में अन्य दलों
से भी सुझाव लेने के लिए चर्चा कराने की तैयारी की जा रही है।
ई-परिवहन प्रणाली से होगा मुनाफा
केंद्रीय
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार देश में करीब आठ लाख करोड़
रुपए क्रूड आॅयल को आयात करने में खर्च होते हैं जिसके बाद वाहनों के
र्इंधन की जरूरतों को पूरा किया जाता है। सरकार का प्रयास है कि इस
इलेक्ट्रिक परिवहन प्रणाली से सिर्फ तेल को कम मात्रा में मंगवाने में ही
मदद नहीं मिलेगी, बल्कि पर्यावरण को भी सुरिक्षत रखने में यह प्रणाली कारगर
होगी। इंडियन स्पेस रिसर्च आॅगेर्नाइजशन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने लिथियम
इओन बैटरी को तैयार किया है, जो अन्य दूसरी बैटरियों से करीब दस गुना सस्ती
है। मसलन इसका खर्च महज पांच लाख रुपए होने का अनुमान है। सरकार ने पायलट
प्रोजेक्ट के तौर पर दिल्ली में 20 बसों को इलेक्ट्रिक मोड पर बदला हैे और
अगर ये सफल होता है, तो देशभर की समस्त बसों को इसी मोड पर लाया जाएगा।
18Oct-2015
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