ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश
में दौड़ते वाहनों के प्रदूषण पर लगाम लगाने की चली आ रही कवायद में कल
यानि एक अक्टूबर से केंद्र सरकार द्वारा संशोधित किये गये मोटर वाहन नियमों
को लागू किया जा रहा है। मसलन नियमों का सहारा लेकर सरकार ने वायु प्रदूषण
के साथ सड़क सुरक्षा जैसे मुद्दो पर स्पीड गवर्नर प्रणाली को भी लागू कर
दिया है।
देश में बढ़ती प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए गंभीर
हुई केंद्र सरकार ने एक अक्टूबर से सबसे पहले वाहनों में इस्तेमाल किये जा
रहे र्इंधन के कारण होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने की शुरूआत की है।
इसके लिए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने अगस्त में ही
हरियाणा, पंजाब, हिमाचल, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के अलावा लेह
व कारगिल को छोड़कर समूचे जम्मू-कश्मीर में एक अक्टूबर से बीएस-4 मानक लागू
करने के लिए अधिसूचना जारी कर दी थी। इस अधिसूचना के मुताबिक इन सात
राज्यों के 23 जिलों में एक अक्टूबर से बीएस-4 मानकों वाले वाहनों का ही
पंजीकरण होगा। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय की प्रदूषण नियंत्रण के
लिए की गई इस पहल के तहत इन राज्यों में उन चार पहिया वाहनों की बिक्री और
पंजीकरण पर कल से रोक लग जाएगी, जो भारत स्टेज यानि बीएस-4 उत्सर्जन मानक
पर खरे नहीं उतरते। मंत्रालय के अनुसार एक अक्टूबर से इन सभी जिलों में
पेट्रोल पंपों पर यूरो-4 यानि बीएस-4 मानक के पेट्रोल व डीजल की आपूर्ति
शुरू हो जाएगी। हालांकि यूरो-4 या भारत-4 मानक के पेट्रोल व डीजल की
आपूर्ति दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, अहमदाबाद और लखनऊ जैसे 26 शहरों में पहले
से शुरू कराई जा चुकी है। सरकार का लक्ष्य है कि इस साल के अंत तक देश में
एक दर्जन से अधिक राज्यों के 50 से ज्यादा प्रमुख शहरों में वाहनों के
प्रदूषण नियंत्रण के लिए यूरो-4 यानि बीएस-4 मानक के पेट्रोल व डीजल की
आपूर्ति शुरू कर दी जाए।
क्या है बीएस-4 तकनीक

कॉमर्शियल वाहनों पर लगाम
केंद्र
सरकार ने सड़क हादसों पर अंकुश लगाने की दिशा में कल यानि एक अक्टूबर से ही
देशभर में कॉमर्शियल वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाने का फरमान दिया हुआ है।
मसलन कल से बिना स्पीड गवर्नर डिवाइस लगे वाहनों की सड़कों का सफर मुश्किल
में आ जाएगा, जिसके लिए उनके रजिस्ट्रेशन निरस्त करने का भी प्रावधान है।
सरकार के मोटर वाहन नियमों में संशोधन के तहत ट्रक, बस,डंपर, मिनी बसों,
टैंकर, स्कूल बसों, खतरनाक पदार्थ लेकर चलने वाले वाहनों की गति पर लगाम
कसने की दिशा में इस कदम को उठाया गया है।
01Oct-2015
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