रविवार, 18 अक्तूबर 2015

राग दरबार-साहित्‍यकारों की भेडा चाल..

राजनीति के फेर में साहित्य
देश में भेड़ा चाल..सदियों पुरानी कहावत परिचलित है, जो साहित्य पुरस्कारों को लौटाने पर भी फिलहाल बड़े ही जोरोशोरो से चरितार्थ होती दिख रही है। मसलन साहित्य के भी होते राजनीतिकरण की आहट में पुरस्कार लौटाने वाले साहित्यकार इस भेड़ चाल के तेजी से शिकार होते नजर आ रहे हैं। साहित्य के राजनीतिकरण का तात्पर्य इसी अर्थ में कहा जा रहा है कि इन पुरस्कारों के लौटाने पर राजनीतिक लोग टकराव यानि नकारात्मक संदेश दे रहे हैं। एक भी ऐसा बोल सामने नहीं आया कि जिसमें सकारात्मक भाव विद्यमान हो। राजनीतिक गलियारों में तो यही चर्चा है कि पुरस्कारों को लौटाने की धार और दादरी के बिसाहड़ा में गोमांस की अफवाह पर अखलाख को पीट-पीट कर मार डालने वाली भीड़ में कोई अंतर नहीं है। यानि उधर अफवाह और इधर खुद का पैदा किया गया अंदेशा। इन दिनों पुरस्कार लौटा कर सुर्खियों में आए साहित्यकार ज्यादातर वह है, जिनका भाजपा विरोध का अपना एजेंडा है। सांप्रदायिक टकराव आजादी से पहले से ही किसी न किसी रूप में रहा है, लेकिन आम हिंदुस्तानी सहिष्णु है। पुरस्कार लौटाने वाले प्रधानमंत्री को बदनाम करने पर तुले हैं और होशियारी से यह साबित करना चाहते हैं कि स्वायत्त साहित्य अकादमी सरकार नियंत्रित है। वैसे पुरस्कारों को लेकर राजनीति की बात हमेशा चलती रहती है। पुरस्कार हासिल करने की यदि कोई राजनीति है तो उसे वापस करना भी राजनीति ही है।
मुलायम के बोल
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव कब क्या बात कहकर सियासी गर्मी पैदा कर दें कोई कह नहीं सकता। नेताजी ने कुछ दिन पहले बयान दिया कि बिहार में भाजपा गठबंधन जीत हासिल कर रहा था, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत अगर आरक्षण को लेकर बयान नहीं देते तो। मुलायम के इस बयान से नीतीश और लालू तो हक्के-बक्के रह गये। दोनोंको लगता था कि नेताजी भले ही उनसे नाराज होकर अलग से चुनाव लड़ रहें हो पर भाजपा के लिए तो कोई नरमी नहीं रखते हैं। मुलायम भी भाजपा को जबतब निशाने पर लेते रहते हैं पर इस बार उनको राजद और जदयू से हिसाब चुकता करना था। चर्चा है कि अपने उम्मीदवारों को बिहार में विजय हासिल न करते देख ही मुलायम ने भाजपा की जीत को लेकर बयान दिया ताकि उनके समर्थक इशारा समझकर वोट डालने जाए। हालांकि कयास यह भी लग रहे हैं कि नेताजी ने भाजपा के प्रति अपना लहजा इसलिए नरम किया है ताकि यादव सिंह के मामले से बचा जा सके। यादव सिंह को सीबीआई दबोचे हुए है और मुलायम सिंह नहीं चाहते कि इस मामले की आंच उनके कुनबे तक पहुंचे। इसलिए थोड़ा संभल कर बोल रहे हैं नेताजी।
मंत्रीजी के ज्योतिषी
केंद्र सरकार के एक अहम महकमे में जूनियर मंत्री इन दिनों बिहार विधान सभा चुनाव में पूरी शिद्दत से जुटे हुए हैं। वह अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के समर्थन में लगातार रैलियां और सभाएं कर रहे हैं। मंत्रीजी का ज्योतिष पर भी पूरा भरोसा है। लिहाजा, वह ग्रह, दशा व मुहूर्त के हिसाब से ही प्रचार कार्यक्रम तय कराते हैं। इसमें उनकी मदद उनके एक सलाहकार कर रहे हैं। दरअसल, ये सलाहकार महोदय ही मंत्रीजी के विश्वस्त ज्योतिषी हैं। लोकसभा चुनाव सं पहले ही सलाहकार ने ये भविष्यवाणी कर दी थी कि उन्हें मंत्री पद मिलेगा। हुआ भी वैसा ही। तब से मंत्रीजी आंख मूंद कर अपने ज्योतिष सलाहकार पर भरोसा करते हां। अब चर्चा है कि मंत्रीजी के सलाहकार ने उने मुख्यमंत्री बनने की संभावना जताई है। इस भविष्यवाणी के बाद से ही ये मंत्रीजी काफी उत्साहित हैं और जमकर मेहनत कर रहे हैं। हालांकि, मंत्रीजी की पार्टी के हिस्से में जितनी सीटें आईं हैं उसके मुताबिक तो मुख्यमंत्री बनने की दूर तक कोई संभावना नजर नही आती. . लेकिन उनके ज्योतिषी ने जो ख्वाब दिखाए हैं उसके चलते मंत्रीजी के धुआंधार चुनाव प्रचार से पार्टी के खाते में जरूर कुछ सीटें आ सकती हैं।
आलीशान तो है मंत्री जी का नया कमरा
करीब डेढ़ साल पुरानी सरकार के मुखिया यानि प्रधानमंत्री जहां कामकाज को प्राथमिक्ता देते हैं तो वहीं उनके कैबिनेट के मंत्री काम को छोड़कर अन्य गैरजरूरी चीजों को अपनी प्रायोरिटी लिस्ट में नंबर वन बनाए हुए हैं। प्रायोरिटी भी देखिए किसी और चीज की नहीं बल्कि मंत्रालय में बैठने के लिए एक अदद आलीशान कमरे में बैठने की ख्वाहिश की है। यहां बात मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री रामशंकर कठेरिया की हो रही है। मंत्री बनने के बाद जो कमरा शास्त्री भवन स्थित एचआरडी मंत्रालय में इन्हें दिया गया था। वो मंत्री जी को अपने पद के हिसाब से बहुत छोटा लग रहा था। कमरा छोटा होने के चलते कठेरिया कई महीनों तक मंत्रालयी कामकाज अपने सरकारी आवास से ही निपटाते रहे यानि मंत्रालय में एबसेंट रहे। मंत्री जी का ये रूख देखकर उनके लिए तुरंत मंत्रालय में एक बड़े कमरे की व्यवस्था की गई। काम शुरू हुआ और कुछ महीनों में ही नया और आलीशान कमरा चकाचक बनकर तैयार हो गया है। कमरा बनते ही मंत्री जी भी बिना लाग लपेट के आ गए अपने नए नवेले आलीशान कमरे में और शुरू हो गया काम। इसे देखकर तो यही कहेंगे कि मंत्री जी को अपनी जिम्मेदारियों से ज्यादा प्यारा और बड़ा उनका कमरा है।
18Oct-2015

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें