मेक इन इंडिया से जुड़ने पर जताई सहमति
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
दुनियाभर
में दिग्गज विमान निर्माता कंपनियों में शुमार अमेरिकी बोइंग विमानन कंपनी
ने मोदी सरकार के मेक इन इंडिया अभियान से जुड़ने पर सहमति जताई है, जिसके
तहत यह कंपनी भारत में अपाचे लडाकू हेलीकाप्टर या चिनूक हैवी लिफ्ट हेलीकाप्टर का निर्माण कर सकती है।
नागर विमानन मंत्रालय के
सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि अमेरिकी विमानन कंपनी बोइंग के
चेयरमैन जेम्स मैकनर्नी ने मेक इन इंडिया अभियान के साथ सहमति जताते हुए
कहा कि उनकी कंपनी अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर या चिनूक चॉपर को भारत में ही
असेम्बल करने पर विचार कर रही है। इस सहमति से फ्रांसीसी राफेल लड़ाकू
विमानों के सौदे में बदलाव के बाद अब अचानक दुनिया की सबसे बड़ी विमान
निमार्ता कंपनी बोईंग ने अत्याधुनिक लड़ाकू विमान का भारत में निर्माण करने
की योजना का खुलासा किया। बोईंग के चेयरमैन जेम्स मैकनर्नी का यहां तक कहना
है कि उनकी कंपनी भारत में लड़ाकू विमान का निर्माण करने के लिए तैयार है,
और उससे भारत को भी वह तकनीक मिल जाएगी, जिसका निर्माण के क्षेत्र में कहीं
भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। मैकनर्नी ने कहा कि भारत के लिए 'मेक इन
इंडिया' बेहद महत्वपूर्ण पहल है। दरअसल बोईंग ने एफ-18 हॉरनेट जैसे लड़ाकू
विमान बनाए हैं, जो राफेल का सौदा पक्का होने से पहले भारत द्वारा पसंद किए
जाने वाले विमानों की दौड़ में शामिल थे। भारत का मानना है कि अब भारतीय
वायुसेना को बहुत-से ऐसे विमानों की जरूरत है, जिनमें इंटरसेप्शन, जमीनी
हमले तथा हवाई सुरक्षा से जुड़ी तकनीक मौजूद हों। ऐसे में बोइंग के मेक इन
इंडिया से जुड़ने से इन जरूरतों को पूरा करना आसान हो सकता है। मैकनर्नी ने
यह भी कहा कि वह भारत के साथ अंतरिक्ष तकनीक के क्षेत्र में भी साझीदारी
करना चाहते हैं। उनका मानना है कि बहुत-से क्षेत्रों में भारत से साझीदारी
के विकल्प उस समय काफी बढ़ गए थे, जब भारत और अमेरिका के बीच नागरिक परमाणु
समझौता हुआ था। गौरतलब है कि पिछले माह ही बोईंग को भारत की ओर से 37 सैन्य
हेलीकॉप्टरों जिनमें 22 अपाचे और 15 चिनूक हेलीकॉप्टर शामिल है की आपूर्ति
का तीन अरब अमेरिकी डॉलर का आॅर्डर मिला है।
हेलीकाप्टर उद्योग को बढ़ावा देगी सरकार!
नई विमानन नीति में शामिल होगी मेगा योजना
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र
सरकार द्वारा हवाई सेवाओं की आम आदमी तक पहुंच बनाने की दिशा में नई नागर
विमानन नीति में ऐसी मेगा योजना को भी शामिल करने करने का निर्णय लिया है,
जिसके जरिए देश में हेलीकाप्टर उद्योग को बढ़ावा मिल सके। सरकार का मकसद है
कि खासकर पूर्वोत्तर राज्यों के पहाड़ी इलाकों में हेलीकाप्टर सेवाओं का
आवागमन सहजता से बढ़ाया जा सके।
केंद्रीय नागर विमानन मंत्रालय के
अनुसार नई नागर विमानन नीति के तैयार किये जा रहे मसौदे में हेलीकाप्टर
उद्योग को बढ़ावा देने के लिए मेगा योजना को शामिल किया जा रहा है।
हेलीकाप्टर सेवाओं के विस्तार के कारण देश में पहाड़ी इलाकों में सस्ती हवाई
सेवाओं का आवागमन सरल बनाने की कवायद में देश में नई तकनीक के साथ
हेलीकाप्टर उद्योग को विकसित करने की योजना बनाई गई है। केंद्र सरकार की
ऐसी योजनाओं की जानकारी शुक्रवार को यहां आयोजित अंतर्राष्ट्रीय नागरिक
हेलीकॉप्टर्स सम्मेलन के उद्घाटन करते हुए केन्द्रीय नागर विमानन मंत्री
पी.अशोक गजपति राजू ने भी दी और सभी हितधारकों से सम्पूर्ण नागर विमानन
क्षेत्र खासकर देश के हेलीकॉप्टर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए नए विचारों
के साथ आगे बढ़ने का आव्हान किया। राजू ने यह भी स्पष्ट किया कि हवाई सेवाओं
की सुविधा केवल देश के विशेषाधिकार प्राप्त लोगों तक ही सीमित नहीं होनी
चाहिए, बल्कि ऐसी नीति तैयार करने की जरूरत है जिसमें सस्ती उड़ान की पहुंच
आम जनता तक हो। इस दौरान नागर विमानन राज्य मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने भी
सड़क संपर्क की समस्या से जूझ रहे खासकर पूर्वोत्तर में पहाड़ी क्षेत्रों में
हेलीकाप्टर सेवाओं को बढ़ाने की जरूरत बताया।
कैसी होगी नई विमानन नीति
नागर
विमानन मंत्रालय के अनुसार नई नागर विमान नीति के मसौदे में हेलीकॉप्टर
क्षेत्र की विशेष जरूरतों की पहचान की गई है और इस क्षेत्र के लिए विनियमों
का अलग सेट तैयार करने के प्रयास किया जा रहा है। इसका कारण है कि
हेलीकॉप्टर क्षेत्र को सरल विनियमों की जरूरत है। नई नागर विमानन नीति में
डीजीसीए की वे नीतियां भी शामिल हैं, जिनमें समग्र सुरक्षा जरूरतों से
समझौता किए बगैर ऐसे सरल विनियम शामिल होंगे। नई नीति में क्षेत्रीय संपर्क
और धार्मिक पर्यटन के लिए हेलीकॉप्टरों का उपयोग करने के बारे में बढ़ावा
दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय द्वारा इस क्षेत्र के लिए
वित्तीय पहल के प्रयास और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के साथ सड़क
दुर्घटनाओं में घायल लोगों की जल्द से जल्द कम लागत में निकासी करने के
तरीकों का पता लगाने के लिए भी विचार विमर्श जारी है। हेलीकॉप्टर यात्रा की
सुरक्षा के मुद्दे पर उन्होंने बताया कि गगन उपग्रह से सहायता प्रदत
नेविगेशन प्रणालियां का हेलीकॉप्टर की आवाजाही पर प्रभावी निगरानी करने और
ट्रैकिंग के लिए उपयोग किया जाएगा। नेविगेशन प्रणालियां अनियंत्रित हवाई
क्षेत्र में भी एक मीटर रेजलूशन (स्थिरता) प्रदान करने में मदद करती है।
17Oct-2015
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