रविवार, 25 अक्तूबर 2015

राग दरबार-प्यार बढ़ाती मधुशाला..!

इंसानियत की मधुशाला
बैर बढ़ाते मंदिर-मस्जिद-प्यार बढ़ाती मधुशाला..। हरिवंश राय बच्चन की मधुशाला से निकलते इन शब्दों से तो इसी दौलतखाने की सच्च्चाई का पता चलता है। यही नहीं एक फिल्म में ओमपुरी का यह डायलॉग ‘इंसान मजहब के लिए नहीं, बल्कि मजहब इंसानों के लिए बना है’ भी धर्मनिरपेक्षता की सियासत करने वालों को ऐसी ही नसीहत देती है। इसके बावजूद बीफ और जातियों के नाम पर बांटने की सियासत के परिपेक्ष्य में अपने आपको सेक्युलर बताने वाले स्यापाबाजों की एक-दूसरे के खिलाफ बदजुबानी देश व समाज में जिस तानेबाने को बुनने का प्रयास कर रही है। उसे देखते हुए कुछ बुद्धिजीवियों ने हरिवंश राय बच्चन की मधुशाला की याद ताजा कर दी और मयखाने को ही तथाकथित सेक्युलर स्यापाबाजों की बस्ती से बेहतर करार दे दिया, जहां कम से कम इन्सान और इंसानियत तो देखने को मिलती है। देश की सियायत में धर्मनिरेपक्षता को चोला ओढ़कर इंसानियत की दुहाई देने वाले स्यापाबाज सेक्युलरिस्ट जब गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं, तो ऐसे में मधुशाला ही इस सांप्रदायिकता के रंग से दूर मोहब्बत का पैगाम देती है,जहां कम से कम हिंदू-मुसलमान नहीं, बल्कि इन्सान तो मिलते हैं, जो मिलजुल कर खर्च उठाते हैं और ठहाके के साथ गम भी भुलाते हैं। मसलन सबका प्याला एक, मगर प्यास अलग जरूर है, पर गजब की मोहब्बत है रिंदों में।
मांझी हुए खफा
जीतन राम मांझी भाजपा से बुरी तरह खफा हैं। बिहार में भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे मांझी का अपनी चुनावी नैया पार लगवाने के लिए दलितों का ही सहारा है। भाजपा ने भी बिहार के इस पूर्व मुख्यमंत्री से इसी रणनीति के साथ हाथ मिलाया था कि वे दलित वोटों को गठबंधन के पक्ष में लेकर आयेंगे। मांझी भी खूब ताल ठोंक रहे थे। खुद को पासवान से बड़ा दलित नेता बताने के अलावा वे लालू और नीतीश से भी लोहा ले रहे थे। पर इसी बीच हरियाणा में दलित परिवार को जलाने की दर्दनाक घटना और उसके बाद केन्द्रीय विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह के बयान ने मांझी को नाराज कर दिया। मांझी चुनावी माहौल में वीके सिंह के बयान को घाटे का सौदा मान रहे हैं। चुनाव प्रचार के दौरान उनको अपने दलित वोटबैंक को यह समझाने में पसीना आ रहा है कि भाजपा दलित विरोधी नहीं है। कोई चारा न देख मांझी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक संदेश भिजवाया कि वीके सिंह पर कड़ी कार्रवाई करिये। हालांकि भाजपा वीके सिंह को मंत्रीमंडल से बाहर करने के मूड में नहीं है, पर जीतन राम चाहते हैं कि ऐसा हो। फिलहाल तो एक बयान ने भाजपा और उसके सहयोगियों को बिहार चुनाव में नया सिरदर्द दिया हुआ है। उधर, नीतीश पूछ रहे हैं कि बिहार में अगर जंगलराज है तो क्या हरियाणा में मंगलराज है।
मंत्रीजी के मीडिया सलाहकार
मीडिया में अपनी छवि को बेहतर ढंग से पेश करने में मदद के लिए कई मंत्रियों ने मीडिया सलाहकार नियु्क्त कर रखा है, किंतु संस्कृति और धरोहर से जुड़े अहम महकमे की जिम्मा संभाल रहे मंत्री जी और उनके सलाहकार की बात ही जुदा है। कारण, एक तो मंत्री जी खुद ही अपने विवादित बयानों के जरिए मीडिया का अटेंशन खींच लेते हैं। तिस पर उनके मीडिया सलाहकार की सुस्ती भी आग में घी का काम कर देती है। मंत्रीजी के मीडिया सलाहकार संघी नेटवर्क के जरिए आए हैं। वह मंत्रीजी को सलाह देते हैं कि नही ये तो पता नही, किंतु पत्रकारों को जरुर स्टोरी आइडिया देते रहते हैं। हुआ यूं कि कुछ पत्रकार उनके साथ बैठे तो बातचीत में कहा कि भई, मंत्रीजी को सलाह दिजिए कि विवादित बयान न दें। इस बारे में तो उन्होंने कुछ नही कहा किंतु पत्रकारों को स्टोरी आइडिया देना शुरु कर दिया। अब एक पत्रकार को रहा नही गया उसने सलाहकार महोदय को शांत कराते हुए कहा कि, आप मंत्री के सलाहकार नियुक्त हुए हैं उन्हीं को सलाह दीजिए। आप की सलाह पह अगर हम पत्रकार चलेंगे तो मंत्री की तरह हमारी भी बड़ी फजीहत होगी। इतना सुनते ही सलाहकार महोदय के चेहरे का रंग ही उतर गया।
जल्द टूटेगा मंत्रीजी का मौन
मीडिया क्या करता, कहता और दिखाता है उसके बारे में बताने की कोई खास जरूरत नहीं है। लेकिन फिर भी न जाने क्यों हमारे देश में नेता मीडिया वालों से आए दिन नाराज हो जाते हैं। कुछ कहते हैं कि ये तो बस वही कहता सुनाता है जो इसे अच्छा लगता है। चर्चा तो ये भी चल रही है कि मोदी सरकार के एक बड़े केंद्रीय मंत्री तो मीडिया से इतने नाराज हो गए कि उन्होंने खबरनवीसों से बात करने पर छमाही बैन लगा दिया। यहां बात केंद्रीय रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की हो रही है। बैन के बाद तो आलम ये था कि मंत्री जी की कहीं भी मीडिया पर नजर पड़ जाएं, कुछ बोलें न बस सीधे चले जाएं। लेकिन इन सबके बीच एक अच्छी खबर अब ये सुनने में आ रही है कि मंत्री जी का यह मौन जल्द ही टूटने वाला है और अबकी बार तो अपनी बनी बनाई पुरानी रवायत को छोड़कर सीधे मीडिया वालों से मुखातिब होने का मन बनाया है। अब मंत्री जा मन बन ही गया है तो मीडिया तो मिलने पहुंच ही जाएगा।
25Oct-2015

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