शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2015

नई तकनीक से बिछेगा देश में सड़कों का जाल!


सरकार रोजना बनाना चाहती है 100 किमी सड़क
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार सड़क सुरक्षा की प्राथमिकता के साथ देशभर में सड़कों के निर्माण में नई तकनीक के जरिए तेजी लाने की कवायद में जुटी है। केंद्र सरकार देशभर में सड़कों का जाल बिछाने के लिए रोजाना 100 किमी सड़कों का निर्माण का लक्ष्य तय करने की तैयारी में है।
देश में सड़कों पर हादसों को लेकर चिंतित केंद्र सरकार सड़कों के डिजाइन बदलने के साथ नई तकनीक के जरिए सुरक्षित एवं नए निर्माण को आगे बढ़ाने की तैयारी में है। इसी योजना के खाके में सरकार अगले साल सड़क निर्माण के नए लक्ष्य में रोजना 100 किमी सड़क निर्माण का लक्ष्य तय करने का मन बना रही है, जो अभी तक राजग शासनकाल ने इस साल के अंत तक 30 किमी के लक्ष्य को साधने के 18 किमी तक पहुंचा दिया है। देश में दुनियाभर के देशों की अपेक्षा सबसे ज्यादा होने वाले सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार ने सड़कों के डिजाइन बदलने, सड़कों का चौड़ीकरण करने और नए सड़क निर्माण के लिए तकनीकी प्रणाली को अपनाने का निर्णय लिया है। शायद इसी मकसद को लेकर गुरुवार को राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए सड़क परिसंपत्ति प्रबंधन प्रणाली यानि आरएएमएस पर आयोजित कार्यशाला में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सरकार की भावी योजना को स्पष्ट किया है। नितिन गडकरी ने देश में सड़क क्षेत्र का तेजी से विकास करने की जरूरत पर विशेष देते हुए कहा कि देश की सड़कों पर बढ़ते यातायात के दबाव और दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या के मद्देनजर उनका मंत्रालय एक्सप्रेस हाईवे नेटवर्कों समेत नई सड़कों के निर्माण और मौजूदा सड़कों को चौड़ा करने तथा उनके रख-रखाव एवं मरम्मत की गति को निश्चित तौर पर तेज करने की तैयारी में है। इसके लिए तकनीक को इस्तेमाल में लाया जाएगा।
क्या होगी नई तकनीक
मंत्रालय के अनुसार सुरक्षित सड़क निर्माण के लिए आरएएमएस जैसी एक आधुनिक एवं डिजिटल परिसंपत्ति प्रबंधन प्रणाली के बिना राष्ट्रीय राजमार्गों को विकसित करना संभवन नहीं होगा। यह प्रणाली एक आधुनिक प्रबंधन प्रणाली है, जो सड़क परिसंपत्तियों के 360 डिग्री वाला नक्शा तैयार करने के लिए ‘गगन’ और ‘भुवन’ उपग्रह प्रणालियों का इस्तेमाल करेगा। इससे समय पर सड़कों की मरम्मत करने और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने में आसानी होगी। इस तकनीकी परियोजना से एकत्रित जानकारी परिवहन मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, राज्य पीडब्लूडी, पुलिस विभाग, आर्थिक सहायता एजेंसियों, डेवलपर्स और नागरिकों के लिए उपयोगी हो जाएगा।
इसरो से होगा करार
सड़कों के निर्माण में ‘गगन’ और ‘भुवन’ उपग्रह प्रणालियों का इस्तेमाल करने के लिए एनएचएआई जल्द ही इसरों के साथ एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करके समझौता करेगा। यह बात एनएचएआई के चेयरमैन राघव चन्द्र ने कहा कि राजमार्गों के कारगर नियोजन, निर्माण, रख-रखाव और वित्तीय प्रबंधन के लिए आरएएमएस वक्त की मांग है। उन्होंने कहा कि हमारी परिसंपत्तियों का समुचित मानचित्रण करने और सभी हितधारकों के साथ इसे साझा करने में गगन (जीपीएस सहायता युक्त भू संवर्धित नैविगेशन)काफी उपयोगी साबित होगा।
फाइलें दबाने वाले अफसरों की खैर नहीं!
विकास में बाधक बने नौकरशाहों को गडकरी ने चेताया
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
सरकार देश में बुनियादी ढांचे को विश्वस्तरीय बनाने की तैयारी में है, लेकिन इसके लिए सरकार विभागीय अधिकारियों की कामचोरी, सुस्ती और लालफीताशाही को बड़ी बाधा मान रही है। इसी टीस का उजागर करते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने चेतावनी दी कि अधिकारियों लालफीताशाही बर्दाश्त नहीं होगी, चाहे तो अधिकारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले सकते हैं।
दरअसल गुरुवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने यहां विश्व बैंक वित्तपोषित परियोजना के तहत सड़क परिसंपत्ति प्रबंधन पर आयोजित कार्यशाला में यह बात कही। उन्होंने अपने मंत्रालय और संबन्धित विभागों के अधिकारियों को चेताते हुए कहा कि उन्हें अपना काम ठीक से करना चाहिए, नहीं तो उन्हें वीआरएस ले लेना चाहिए। उन्होंने फाइलें दबाकर बैठने वाले बाबुओं से कहा कि वे देश के विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा हासिल करने के रास्ते में बाधक न बने और न ही उनकी यह कामचोरी बर्दाश्त की जाएगी। उन्होंने कहा कि दुनिया भारत में निवेश करने को तैयार है। विशेषरूप से राजमार्ग क्षेत्र में, लेकिन हम अपने बजटीय आवंटन का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। पांच लाख करोड़ रुपये के काम के लिए हमें तेजी से मंजूरी की जरूरत है, इसके लिए परियोजना रिपोर्ट जल्द बननी हैं, लेकिन हमारे अधिकारी फाइल दबाकर बैठें हैं और फैसले नहीं कर पा रहे हैं। गडकरी ने ऐसे अधिकारियों को अपनी सोच को सकारात्मक रूप से बदलने की सलाह दी, वरना उनके लिए वीआरएस लेना ही बेहतर होगा, क्यों कि सरकार हर योजना के प्रदर्शन का आडिट करेगी।
02Oct-2015

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें