रविवार, 4 अक्तूबर 2015

राग दरबार- सावधान! चमकेश बहादुरों...

हरित राजमार्ग नीति
भ्रष्टाचार..शब्द देश के सिस्टम से बाहर होगा या नहीं! यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन शायद मोदी सरकार सरकारी धन के दुरुपयोग को रोकने पर सतर्क है। शायद इसी मकसद से देश में राष्टÑीय राजमार्गो को हरा-भरा करने के लिए जारी हुई हरित राजमार्ग नीति में ऐसे भ्रष्टाचार या धांधलियों की बू को सरकार ने पहचानने का प्रयास किया है। इसी लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इस नीति के कार्यान्वयन में स्थानीय लोगों, एनजीओ और इस क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को शामिल करने की योजना तो बनाई है, लेकिन इस नीति के जरिए रोजगार को बढ़ावा देने के साथ ही मुस्कराते हुए मंत्री जी ने स्पष्ट कर दिया है कि सड़को के किनारे लगने वाले पेड़ों की मानिटरिंग के बाद ही भुगतान होगा, इसलिए वे लोग उनकी योजना से न जुड़े जो सरकारी धन को हड़पने के लिए नापते ज्यादा हैं और काटते कम हैं। मंत्री जी ने सरकार की नजरों में चढ़ने और पुरस्कार पाने की चाह वाले लोगों को चमकेश बहादुर की संज्ञा देने में भी कोई हिचक नहीं की, जिनसे परहेज करने का फैसला किया है। हरित भारत की कल्पना में ऐसी योजनाओं की निगरानी के लिए बनाए जाने वाले निगरानी तंत्रों की टेढ़ी नजरे होंंगी चमकेश बहादुरो पर...।
जूनियर से हलकान मंत्री
सियासत भी अजीब खेल है। अमूमन तो माना जाता है कि इस खेल में बड़ा खिलाड़ी छोटे खिलाड़ी को तकलीफ देता है या शोषण करता है। लेकिन, कई बार मामला उल्टा भी पड़ जाता है। अब ये वाक्या तो कम से कम इस बात की तस्दीक करता ही है। दरअसल, एक केंद्रीय मंत्री अपने जूनियर मंत्री से खासा खफा रहती हैं। कारण, काम तो वो कर रही पर मीडिया में उनके जूनियर मंत्री उस काम को जमकर भूना लेते हैं। इतना ही नही, मैडम जूनियर मंत्री से इस बात से भी तनिक रूष्ट रहती हैं कि उनके बारे में नकारात्मक खबरें जो पूर्व में मीडिया में आई उसके पीछे हो न हो छोटे मंत्री का हाथ रहा है। उनके मन की बात एक दिन सामने भी आ गईं। हुआ यूं कि कुछ पत्रकारों ने उनसे कोई जानकारी लेनी चाही । मैडम ने जानकारी तो न दी पर इशारों में ही कह दिया कि, जहां से दूसरी खबरें लेते हो उसी सूत्र से पूछो. .बेहतर जानकारी मिलेगी। इतना कह वे मुस्कुरा कर चल दी।. . मैडम के जाते ही एक पत्रकार ने उनके सलाहकार से तंज कसते हुए कहा कि जब मैडम बोलेंगी नही तो सूत्र के पास जाना ही होगा।
अजब था ईरानी के संस्कृत प्रेम का नजारा
अपनी बेहतरीन वाक शैली के लिए जानी जाने वाली केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी हिंदी और अंग्रेजी में बहुत अच्छा बोलती हैं ये सभी जानते हैं। लेकिन वो देश की प्राचीन भाषा संस्कृत को भी निबार्ध गति से बोल सकती हैं ये शायद किसी ने नहीं सोचा होगा। लेकिन हुआ तो कुछ ऐसा ही है। हाल ही में राजधानी में आयोजित संस्कृत के एक कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री ने न सिर्फ अपना संबोधन संस्कृत में दिया बल्कि इस पुरातन भाषा को स्पष्ट उच्चारण के साथ सबके सामने रखा। उनका ये संस्कृत अवतार देखकर श्रोता मानो एक पल को आवाक रह गए। लेकिन मंत्री जी की संस्कृत में दी गई इस बेहतरीन स्टेज परर्फाॅमेंस के पीछे उनके द्वारा बैक स्टेज में की गई कड़ी मेहनत ने काफी अहम रोल निभाया था। संस्कृत में भाषण देने से ठीक एक दिन पहले ईरानी ने अपने एचआरडी मंत्रालय स्थित कार्यालय में संस्कृत के एक विद्वान के साथ शब्दों के उच्चारण की कड़ी रिहर्सल की। पूरा भाषण तैयार किया। उनकी इसी मेहनत और संस्कृत प्रेम का अजब नजारा कार्यक्रम में मंच पर भी देखने को मिला। वास्तव में अजब नजर आया ईरानी का संस्कृत प्रेम।
सहमे हुए है आप विधायक
आम आदमी पार्टी के विधायक सहमे हुए हैं। उनको लगता है कि मुसीबत में कोई दुश्मन भले ही काम आ जाए पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कोई साथ नहीं देने वाले। सोमनाथ भारती का मामला इस बात की ताजी मिसाल है। भारती को पूरा विश्वास था कि उनकी पत्नी के साथ चल रहे पुलिस केस में पूरी पार्टी उनके पीछे लामबंद हो जाएगी। इसी खुशफहमी में दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री कानून को ठेंगा दिखाने की जुगत में थे। पुलिस और कोर्ट के साथ लुकाछिप्पी के बीच में केजरीवाल ने जब कहा कि भारती पार्टी और परिवार दोनों को शर्मिंदा कर रहे हैं तो उनके पैंरों तले से जमीन खिसक गई। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केजरीवाल से नाराज
भारती ने अपने वकील के जरिये उन्हें एक पत्र लिखवाया। चिट्ठी लिखी भले ही वकील साहब ने थी पर उसका मजमून सोमनाथ ने बताया था। केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा गया था कि मोदी मुसीबत और मुश्किल समय में अपनी पार्टी के नेताओं के साथ खड़े रहते हैं पर केजरीवाल नहीं। तोमर मामले में केजरीवाल देर तक साथ खड़े रहने का स्वाद चख चुके थे और वे भारती से तौबा करने में देर नहीं करना चाहते थे। सोमनाथ दुखी हैं। कोर्ट ने उनका रिमांड बढ़ाया तो आम आदमी पार्टी को लगा कि अब सोमनाथ का थोड़ा बहुत साथ देना चाहिए, वरना विधायकों में गलत मैसज जाएगा। लिहाजा अब आम आदमी पार्टी अपने रूख को थोड़ा लचीला कर रही हैं।

04Oct-2015

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