गुरुवार, 15 अक्तूबर 2015

लंबित सड़क परियोजनाओं पर आगे बढ़ी सरकार!


सुस्त पड़ी परियोजनाओं को मिलेगी एकमुश्त राशि
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने उन लंबित सड़क परियोजनाओं को भी पूरा करने के लिए कमर कस ली है, जिनके लिए अभी तक किसी न किसी बाधा के कारण संघर्ष करना पड़ा रहा था। ऐसी राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के लिए केंद्र सरकार ने एकमुश्त राशि देने का फैसला किया है।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने बताया कि बुधवार को ही केंद्र सरकार द्वारा अधर में लटकी और सुस्त पड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने और उसके पूरा करने के लिए एकमुश्त राशि को मंजूरी प्रदान की है। यह यह मंजूरी बीओटी (टोल) परियोजनाओं से लेकर बीओटी (वार्षिकी) के लिए उपलब्ध प्रावधानों के विस्तार के तहत की गई है। इस निर्णय से इस वर्ष जून में एनएचएआई द्वारा बीओटी (टोल) परियोजना को विस्तृत करने के लिए एकमुश्त राशि देने पर जारी नीति परिपत्र के प्रावधानों को बीओटी (वार्षिकी) तक विस्तृत करने की अनुमित मिल जाएगी। मंत्रालय के अनुसार इस निर्णय के बाद 50 प्रतिशत काम पूरा होने के बावजूद एक नवंबर 2014 से लटकी पड़ी इस तरह की परियोजनाओं के लिए धन का एकमुश्त राशि के तौर पर वितरण किया जाएगा। इस तरह के सभी मामले और प्रत्येक मामले में जरूरी धनराशि प्राधिकरण द्वारा स्वीकृत की जाएगी। प्रस्ताव के अनुसार राजमार्ग क्षेत्र 3.8 लाख करोड़ रुपये की लटकी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रहा है, लेकिन कई मामलों में निर्माण एजेंसी इसमें रुचि नहीं दिखा पा रही थी। सरकार के इस निर्णय से देश में लटकी पड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं में एक बार फिर से जान आएगी। इससे देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति और बेहतर होगी। वहीं इस नीति को अपनाने से पीपीपी व्यवस्था में सभी प्रमुख हितधारकों प्राधिकरण, ऋणदाता और डेवलपर, रियायतग्राहियों को फायदा होगा। इस क्षेत्र के पुनर्जीवित होने से इस क्षेत्र में नागरिक और यात्रियों को राहत मिलेगी और इससे आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी। इसके लिए वित्तपोषण करने वाली एजेंसी, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण तथा बिल्डर के बीच त्रिपक्षीय करार किया जाएगा।
यूं अटकी सड़क परियोजनाएं
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग सचिव विजय छिब्बर के अनुसार बिना उचित जांच पड़ताल के सड़क परियोजनाओं को अत्यधिक कर्ज देने बैंक भी कुछ हद इस क्षेत्र में अवरद्ध ऋणों की ऊंची समस्या के लिए जिम्मेदार हैं। उनके अनुसार करीब 70 फीसदी परियोजनाओं का वित्तपोषण ऊंची दिखायी गयी लागत पर किया गया है। इस्पात के बाद बैंकिंग क्षेत्र की गैर निष्पादित आस्तियों में सड़क क्षेत्र का सबसे बड़ा योगदान है। क्रिसिल के एक हालिया अध्ययन के अनुसार करीब आधी सड़क परियोजनाओं को निर्माण बनाओ, चलाओ और स्थानांतरित करो माडल के आधार पर किया जा रहा है। इनके लिए 45,900 करोड़़ रुपये का कर्ज मंजूर किया गया है। इन परियोजनाओं के पूरा न होने का जोखिम बना हुआ था, जिसके कारण परियोजनाएं अटकी हुई थी।
15Oct-2015


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