गुरुवार, 29 अक्तूबर 2015

अब नहीं मिलेगी विदेशियों को किराए की कोख!

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिया शपथपत्र
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शपथपत्र देकर स्पष्ट कर दिया है कि वह विदेशियों के लिए किराए पर कोख यानि सरोगेसी के कारोबार पर रोक लगाना चाहती है। इसके लिए सरकार जल्द की संसद में एक विधेयक भी लेकर आएगी।
केंद्र सरकार ने सरोगेसी के कानूनी नियमों को सख्त बनाकर ऐसे प्रावधान लागू करने के लिए जल्द ही एक विधेयक को संसद में पेश करके उसे पारित कराने की पूरी तैयारी कर ली है। केंद्र सरकार का मकसद सरोगेसी के लिए कानूनी नियमों को सख्त करके किराये की कोख के दुरुपयोग रोकना है। इस काननू के लागू होने पर किसी भी विदेशी नागरिक का भारत में किराये की कोख लेना नामुमकिन ही नहीं, बल्कि असंभव हो जाएगा। सूत्रों के अनुसार नये ‘असिस्टेड रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी रेगुलेशन बिल’ में ऐसे प्रावधान किए जा रहे हैं जिससे सरोगेसी के मामलों में बहुत हद दुरुपयोग को रोका जा सकेगा।
भारतीयों पर मान्य होगी सेरोगेसी 
केंद्र सरकार ने शपथपत्र में कहा है कि वह विदेशियों के लिए व्यावसायिक तौर पर होने वाली सरोगेसी को प्रतिबंधित करेगा। वहीं सरोगेसी केवल भारतीय दंपती के लिए मान्य रहेगी। सरकार ने कहा है कि इस संबंध में कानून लाने में थोड़ा वक्त लगेगा। सूत्रों के अनुसार सरकार ने इस नए विधेयक में ओवरसीज सिटिजंस आॅफ इंडिया, भारतीय मूल के लोग, नॉन रेजिडेंट इंडियंस और भारतीय नागरिक से विवाह करने वाले किसी भी विदेशी को पहले की तरह यह सुविधा देने का प्रावधान भी रखा है। इसी प्रकार भारतीय महिला से शादी रचाने वाले विदेशी नागरिक को शादी के दो साल बाद ही सरोगेट मदर का लाभ उठाने का मौका मिल सकेगा, लेकिन इसके लिए उन्हें अपने देश की आथॉरिटी से लिखित में यह देना होगा कि उनकी पत्नी मां नहीं बन सकती।
इसलिए केंद्र को लगी फटकार
दरअसल बुधवार को सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने केंद्र सरकार की ओर से न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष हलफनामा दायर किया। न्यायालय ने सरोगेसी के मामले में सरकार के हलफनामे की बातें अदालत तक पहुंचने से पहले मीडिया में लीक हो जाने को लेकर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया, क्योंकि सरकार सरोगेसी पर न्यायालय में क्या दलील देगी यह पहले अखबार में कैसे प्रकाशित हो चुकी है। इसलिए न्यायमूर्ति गोगोई ने सवाल किया कि आखिर सरकार का पक्ष न्यायालय के समक्ष आने से पहले मीडिया के कुछ हिस्से में कैसे पहुंच गया? न्यायालय ने इसे सरकार के 'डर्टी माइंड' का परिणाम बताया। बाद में कुमार ने इसके लिए अदालत से माफी मांगी। न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई के लिए 24 नवंबर की तारीख मुकर्रर की है।
29Oct-2015

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